NATIONAL LIVELIHOOD MISSION : ड्राई राशन उठान करने वाली समूह की महिलाएं हुईं कर्जदार
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REPORT BY MADHAV BAJPAYEE
AMETHI NEWS I
राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अंतर्गत बाल विकास विभाग से ड्राई राशन की उठान करने वाली स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को पिछले ढाई वर्ष से भाड़ा नहीं मिला है। उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।
सरकार गांव की गरीब महिलाओं को राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जोड़ कर रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की बात कहती है लेकिन विकास खंड खंड बाजार शुकुल के 58 स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को पिछले अप्रैल माह से ड्राई राशन उठान का भाड़ा न मिलने के कारण आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।
वर्ष 2021 में जारी शासनादेश के अनुसार बाल विकास विभाग की ओर से गांवों में गर्भवती-धात्री महिलाओं,कुपोषित-अतिकुपोषित बच्चों एवं किशोरियों में वितरित कराए जाने वाले ड्राई राशन के उठान का दायित्व स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सौंपा गया था।
इसके बदले महिलाओ को छ: रुपए प्रति लाभार्थी की दर से भाड़ा दिए जाने का आदेश है।तभी से नामित समूह बाल विकास परियोजना विभाग के गोदाम से ड्राई राशन का उत्थान कर गांव की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्राप्त कराती है।
क्या कहती हैं सहायता समूह की महिलाएं
मवैया रहमत गढ़ को ग्राम पंचायत के जय दुर्गा सहायता समूह की महिला गीता बताती हैं कि उनका समूह ड्राई राशन उठान के लिए नामित है। वह ढाई वर्ष से राशन का उठान भी कर रही है।परंतु अप्रैल माह से भाड़े के नाम पर अभी तक उन्हें एक रुपया भी नहीं मिला।
किसान स्वयं सहायता समूह सेवरा गांव की सुनीता देवी बताती हैं कि वह पिछले छह माह से कर्ज लेकर राशन का उठान कर रही हैं। भाड़ा न मिलने की वजह से लोगों ने उन्हें कर्ज देना भी बंद कर दिया है।
कृष्णा स्वयंसहायता समूह की राजपती देवी बताती हैं कि बीते माह में हम लोगों ने आर्थिक तंगी के कारण ड्राई राशन उठान करने में असमर्थता व्यक्त करते हुए बाजार शुकुल विकास खंड के राष्ट्रीय आजीविका मिशन कार्यालय में शिकायत की। माँझ गांव के प्रेणा स्वयं सहायता समूह की महिला बताती है कि राशन की उठान करते-करते हम सब महिलाएं कर्ज में डूब चुकी हैं। कमोबेश यही हालात पूरे जिले का है I
इनकी भी सुनिए
डीपीओ संतोष श्रीवास्तव ने बताया कि बाजार शुकुल बाल विकास परियोजना गोदाम से 54 स्वयं सहायता समूह की, महिलाएं ड्राई राशन का उठान करती हैं। इनका भाड़ा बाल विकास विभाग से ग्राम्य विकास विभाग को हस्तांतरित कर दिया जाता है। समूह के खातों में पैसा भेजना ग्राम्य विकास विभाग की जिम्मेदारी है।
प्रभारी एडीओ एनआरएलएम मनोज मिश्र ने बताया कि उनके स्तर से लाभार्थियों का आंकलन करके भाड़ा भुगतान के लिए डाटा प्रत्येक माह जिला मुख्यालय भेज दिया जाता है, शीघ्र ही समूहों के खाते में भाड़े की धनराशि पहुंच जाएगी।