दवा की कमी से गर्भवती महिला की गई जान
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हापुड़ I
भले ही उपमुख्यमंत्री एवं चिकित्सा मंत्री बृजेश पाठक प्रदेश के समस्त व्यवस्थाओं को लेकर छापेमारी करते रहे I डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों पर कार्रवाई करते रहें I लेकिन स्वास्थ्य महकमा अपने ही मर्जी से चल रहा है I जहां एक तरफ मुख्यमंत्री का दावा रहता है कि चिकित्सालय में दवाओं की कमी नहीं होने पाएगी I लेकिन दवा की कमी से गर्भवती महिला जिसकी प्रसव के दौरान ही मौत हो जाती है, इसे बदइंतजामी न कहें तो और क्या कहेंगे l जबकि प्रदेश राष्ट्रीय पोषण माह चल रहा है गर्भवती महिलाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है I ऐसे समय में गर्भवती महिला का प्रसव के दौरान मौत होना काफी गंंभीर विषय है I चिकित्सा मंत्री द्वारा प्रदेश में बढ़िया स्वास्थ्य व्यवस्था देने का दावा खोखला साबित हो रहा है I मिली जानकारी के अनुसार दवाओं के अभाव में शहर के गढ रोड़ स्थित संचालित सीएचसी में डिलीवरी के समय एक महिला की मौत हो गई। 23 वर्षीय गरीब सीमा की मौत पर उसके परिजनों में कोहराम मच गया। मृतका के परिजनों ने मौत के लिए स्वास्थय विभाग को जिम्मेदार बताया है। वहीं केंद्र अधीक्षक डा0 दिनेश खत्री ने महिला की मौत का कारण बिना पोस्टमार्टम कराये हार्ट अटैक करार दिया है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सुबह डिलीवरी करते समय अचानक महिला को हार्ट अटैक आने से मृत्यु हो गई थी। जबकि विभाग के होनहार चिकित्सकों ने बच्चे को सकुशल बचा लिया है। विभाग ने मृतका सीमा के परिजनों को समझा बुझाकर आनन फानन में उसका अंतिम संस्कार भी करा दिया। ताकि किसी प्रकार का बखेड़ा ना खडा हो सके। सीएमओ डा0 सुनील कुमार ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष के जुलाई महीने में उन्होने जनपद का कार्य संभाला है। उनके आने से पहले सीएचसी के सालाना बजट 25 लाख से ज्यादा की दवाईयां वितरित हो चुकी थी।जबकि सितंबर माह के पहले पखवाड़े तक 1.25 करोड़ की दवाओं का वितरण होने के कारण सितंबर में ही 16 लाख के बहादुरगढ सीएचसी के बजट से हापुड़ में कुछ दवाईयों मंगाई गई है। जोकि रोजाना ओपीडी में आने वाले करीब 2 हजार मरीजों के लिए नाकाफी हो रही हैं। विभाग की हर संभव कोशिश है कि मरीजों को निराशा ना हो। इतना ही नहीं दवाओं की कमी से मरीजों को निजी मैडिकल स्टोरों का सहारा लेना पड रहा है। रात्रि प्रसव पीड़ा होने पर गांव रघुनाथपुर निवासी 23 वर्षीय सीमा को परिजनों उपचार के लिए हापुड़ सीएचसी में भर्ती कराया गया था। जहां महिला के उपचार शुरू करने के बाद सुबह डिलीवरी की गई। डिलीवरी के दौरान सीमा की हालत खराब होती चली गई। डॉक्टर जब तक कुछ समझ पाते तब तक उसकी मौत हो गई। गनीमत रही कि प्रसव पीड़ा से हालत खराब होने पर आनन फानन में डिलीवरी करा कर बच्चे को बचा लिया गया। सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी का मामला काफी गंभीर है I इसे लेकर स्वास्थ्य मंत्री को विशेष ध्यान देने की जरूरत है I अगर विभाग की लापरवाही समय से दवाई नहीं पहुंची तो उसके जिम्मेदार लोगों को अवश्य दंडित किए जाने की आवश्यकता है तो फिर से सरकार की छवि पर सीधा असर पड़ता है I और विपक्ष को स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में एक नया हथियार मिल जाता है I अगर समय पर पुरुषों के दौरान गर्भवती महिला को दवाई मिल गई होती शायद आज उसकी जान बच गई होती और विभाग की इतनी किरकिरी ना हुई होती I