संस्कृत वांगमय में आयुर्वेद विषय पर आयोजित हुई संगोष्ठी
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रानी सुषमा देवी महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में’ संस्कृत वांगमय में आयुर्वेद’ विषय पर कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आर.आर. पी.जी. की डॉ.आशा गुप्ता (संस्कृत विभाग) ने ‘संस्कृत वांग्मय में आयुर्वेद’ विषय पर विस्तृत विवेचन करते हुए बताया कि किस प्रकार अपने आस-पास उपलब्ध पेड़ पौधे हमारे लिए उपयोगी हैं उसके बारे में जानकारी प्रदान की। जैसे -नीम, पीपल, तुलसी, गिलोय आदि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कोरोना कॉल मी किस तरह से हम लोग गिलोय, तुलसी, अदरक, हल्दी इन सभी का काढ़ा पीकर इस भयानक महामारी से निजात पा सके। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ .पूनम सिंह जी ने आयुर्वेद के अंतर्गत पंचकर्मा पर विशद विवेचन किया । किस तरह से जटिल से जटिल रोग इससे ठीक हो जाता है। संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. कंचना पांडेय जी आयुर्वेद की उत्पत्ति भारतीय परंपरा के अनुसार ब्रह्मा से हुई।
महाविद्यालय की छात्रा अनुकृति ने आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र के संबंध में तीन महत्वपूर्ण ग्रंथ चरक संहिता, सुश्रुत संहिता ,वाग्भट के ग्रंथों पर विशद विवेचन किया।
मानसी, श्रुति, सृष्टि , प्रियांशी इन सभी छात्राओं ने आयुर्वेद के बारे में अपने अपने विचार प्रस्तुत किए। आभार प्रकाशन डॉ. शशांक त्रिपाठी जी ने किया। इस कार्यक्रम का संचालन बी.ए.द्वितीय वर्ष की छात्रा आंचल ने किया। इस कार्यक्रम में सभी प्राध्यापक व प्राध्यापिकाएं उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ।