SPECIAL ARTICLE : रहें सक्रिय वृद्धावस्था में भी
1 min readPRESENTED BY PRADEEP CHHAJER
कभी-कभी ऐसी खबरें पढ़ने में आती हैं कि उम्रदराज़ लोगों ने उच्च शिक्षा में सफलता पा ली।किसी ने उम्र को भुलाकर किसी विशेष हुनर में दक्षता प्राप्त कर ली। क्योंकि ये खबरें साधारण से हट कर होती हैं , सुनकर अचंभित कर देती हैं
। कहते है की वृद्धावस्था में हर पल बढ़ती उम्र में बिन बुलाए आए दर्द और प्रतिकूलताओं का रोना ना रोएँ वो तो आजकल युवा वय में भी दस्तक दे देते हैं , हमारी क्षमता को कमजोर कर छोटी उम्र को भी बड़ी उम्र का दर्जा दे देते हैं ।
हर आयु में – हँसें-हँसायें ,सेहत की तंदुरुस्ती पर गौर फ़रमायें , एक सक्रिय जीवन शैली के साथ सृजनात्मक क्रिया में दिन बितायें , अरुणोदय से अस्ताचल तक हमारे दिवस को उपयोगी बनाएँ ,संतुष्टि के साथ चैन की नींद सोएँ ।
ये तो सौभाग्य है कि हमारी जीवन चर्या और पुण्य कर्मों ने हमें उम्र का यह पड़ाव भी दिखाया अन्यथा कई लोगों को तो आयु का अर्द्धशतक तक नसीब न हो पाया ।उम्र तो आनी है , वो आयेगी ।उसी के दायरे में पलें – फलें और अपनी ही मौज में अपना भी कार्य करते चलें ।
आसान सा जीवन है , नकारात्मकता की ग़लत सोच से कठिन क्यों बनाएँ ? कई बुजुर्ग हैं जो अपनी सांध्य बेला को अकारण ही भारभूत बना लेते हैं , हताशा और निराशा के गहन तिमिर में ले जाते हैं । जब कि कई ज्वलंत ऐसे उदाहरण हैं जो दाँतों तले अंगुली दबाने सम हैं।
हाल ही में पंजाब की 92 वर्ष की महिला ने एक नया start up खोला और वो दिन दूना रात चौगुना चल पड़ा , तामिलनाडु की 93 वर्ष की महिला योगाभ्यास करवाती हैं ,युवाओं को मात कर जाती हैं , इन सब जैसे कई क़िस्से हैं जो कइयों के जीवन के हिस्से हैं ।
हम सबके लिए प्रेरणा पाथेय है- ज्ञेय हैं – उपादेय हैं ।छोटी या बड़ी , उम्र कोई मायने नहीं रखती , जब हौसलों और जज़्बों के आगे चट्टानें तक टूट कर बिखरतीं हैं बस जरुरत हैं पचपन में भी मन बचपन का सा चंचल हो , उसमें कुछ करने की हलचल प्रतिपल हो और साथ में आह्वान हो वयोवृद्ध अवस्था वरदान है ।
बुढ़ापे में भी गम-दर्द सब बौने हैं जब हमारे मनोबल के समक्ष बन जाते वो खिलौने हैं । इस तरह सक्रियता उनके जीवन को आत्मविश्वास व आनन्द से भर देती है। अतः उम्रदराज़ों को यही नेक सलाह है कि कोई भी शौक अपनाएँ निष्क्रियता पर रोक लगाएँ।