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Self Supporting Womens : डीएम-सीडीओ के नेतृत्व में आजीविका मिशन से बदल रही महिलाओं की तकदीर

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रिपोर्ट-लोकदस्तक संवाददाता

अमेठी, उप्र।

जिलाधिकारी संजय चौहान एवं मुख्य विकास अधिकारी सूरज पटेल के मार्गदर्शन में अमेठी जनपद में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत संचालित योजनाओं का क्रियान्वयन प्रभावी रूप से किया जा रहा है। शासन की इस महत्वाकांक्षी योजना से जुड़कर अब तक हजारों महिलाएँ न केवल अपने परिवार को आर्थिक मजबूती प्रदान कर रही हैं बल्कि समाज में भी अपनी अलग पहचान बना रही हैं।

जिला प्रशासन का लगातार प्रयास है कि अधिक से अधिक पात्र लाभार्थियों को योजना से जोड़कर स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ। इसी क्रम में जनपद के विभिन्न गाँवों से सामने आईं महिलाओं की कहानियाँ इस बात की पुष्टि करती हैं कि सही मार्गदर्शन और अवसर मिलने पर महिलाएँ हर क्षेत्र में अपनी सफलता की गाथा लिख सकती हैं।

रेहाना कौसर – संघर्ष से सफलता की ओर

विकासखंड मुसाफिरखाना के ग्राम पंचायत पिण्डारा करनाई की रहने वाली **रेहाना कौसर** का जीवन कभी आर्थिक तंगी और सामाजिक बंधनों से घिरा हुआ था। पति के बेरोजगार होने और परिवार में उपेक्षित रहने के कारण उन्होंने हमेशा अपने और बच्चों के भविष्य की चिंता की। लेकिन फरवरी 2021 में उन्होंने साहस दिखाते हुए “गंगा महिला आजीविका स्वयं सहायता समूह” का गठन किया और इसकी अध्यक्ष बनीं।

समूह से ऋण प्राप्त कर रेहाना ने सिलाई मशीन खरीदी और घर पर ही सिलाई का कार्य शुरू किया। इसके बाद उन्होंने बैंक सखी बनने के लिए आवेदन किया और जुलाई 2022 में परीक्षा पास कर बड़ौदा यूपी बैंक, मुसाफिरखाना में बैंक सखी के रूप में नियुक्त हुईं। आज वे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधार चुकी हैं और पूरे गाँव में अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं।

रीना – आत्मनिर्भरता की ओर मजबूत कदम

विकासखंड शाहगढ़ के ग्राम पंचायत दुलापुर कला की निवासी रीना “जानवी स्वयं सहायता समूह” की अध्यक्ष हैं। पहले उनका परिवार केवल सीमित खेती पर निर्भर था और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करता था। बच्चों की शिक्षा व परिवार के स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल असर पड़ता था।

कोरोना काल में रीना ने अन्य महिलाओं से प्रेरणा लेकर समूह का गठन किया और इसे उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जोड़ा। धीरे-धीरे समूह ने बचत, ऋण लेन-देन और योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी आर्थिक स्थिति सुधारी। बाद में समूह ने धूपबत्ती निर्माण का कार्य शुरू किया। मशीनरी और प्रशिक्षण प्राप्त कर जब उत्पादन प्रारंभ हुआ तो शुरुआत में विपणन में कठिनाई आई, लेकिन मेहनत और लगन से समूह द्वारा निर्मित सुगंधित धूपबत्ती की माँग स्थानीय बाज़ारों में बढ़ने लगी।

आज समूह की मासिक बिक्री ₹60,000 से ₹70,000 तक पहुँच चुकी है और रीना का परिवार न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हुआ है बल्कि उनके गाँव की अन्य महिलाओं को भी स्वरोजगार अपनाने की प्रेरणा मिल रही है।

योजनाओं से अमेठी में बदल रही तस्वीर

डीएम एवं सीडीओ के प्रयासों से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अमेठी जनपद में ग्रामीण महिलाओं के जीवन को नई दिशा दे रहा है। वर्तमान समय में जिले के सभी विकासखंडों में स्वयं सहायता समूह सक्रिय हैं और लगभग हर ग्राम पंचायत में महिलाएँ इस योजना से जुड़कर अपने जीवन को संवार रही हैं।

आज जिले की महिलाएँ बैंक सखी, उद्यमी, स्वरोजगार से जुड़ी हुई हैं और विभिन्न उत्पादन इकाइयाँ स्थापित कर स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन भी कर रही हैं। यह सफलता केवल प्रशासनिक प्रयासों का परिणाम नहीं बल्कि महिलाओं की मेहनत, हौसले और आत्मविश्वास की कहानी है।

जिला प्रशासन का यह संकल्प है कि हर पात्र महिला को आजीविका मिशन से जोड़कर उनके परिवार को आत्मनिर्भरता और सम्मान की ओर अग्रसर किया जाए।

 

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