भए प्रगट कृपाला___ :- श्री रामलला मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई पूर्ण
1 min readPRESENTED BY NEERAJ SINGH (EDITOR)
AYODHYA NEWS I
दशकों से बहु प्रतीक्षित घड़ी आ गई जब भगवान राम के बाल रूप की मूर्ति को गर्भ गृह में स्थापना के बाद सोमवार को पूरे विधि-विधान एवं अनुष्ठान के साथ प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई है।अयोध्या में प्रभु श्रीराम भव्य और दिव्य मंदिर में विराजमान हो गए हैं ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संघ प्रमुख मोहन भागवत और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ समेत संत समाज और अति विशिष्ट लोगों की उपस्थिति में रामलला के श्रीविग्रह की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो गई है। अयोध्या नगरी को हजारों क्विंटल फूलों से दुल्हन की तरह सजाया गया है।
500 वर्षों के इंतजार के बाद आज प्रभु श्रीराम अपने भव्य और दिव्य मंदिर में विराजमान हो चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी समेत संत समाज और अति विशिष्ट लोगों की उपस्थिति में रामलला के श्रीविग्रह की प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक अनुष्ठान संपन्न हो चुका है। कार्यक्रम में देश विदेश के करीब आठ हजार अति विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए चौदह जोड़े यजमान बने। एक दिन बाद यानी 23 जनवरी से मंदिर को आमजनके लिए खोल दिया जाएगा । बता दें कि मैसूर के फेमस मूर्तिकार अरुण योगीराज ने भगवान राम की ऐतिहासिक प्रतिमा बनाई है. नई 51 इंच की मूर्ति को गुरुवार को मंदिर के गर्भगृह में रखा गया था।
तस्वीर में रामलला माथे पर तिलक लगाए बेहद सौम्य मुद्रा में दिख रहे हैं। आभूषण और वस्त्रों से सुसज्जित रामलला के चेहरे पर भक्तों का मन मोह लेने वाली मुस्कान दिखाई दे रही है। कानों में कुंडल तो पैरों में कड़े पहने हुए हैं। मूर्ति के नीचे आभामंडल में चारों भाइयों राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की छोटी-छोटी मूर्तियों की पूजा की गई है।
मंदिर में प्रतिष्ठित राम लला के मूर्ति की विशेषताएं
मूर्ति की विशेषताएं देखें तो इसमें कई तरह की खूबियां हैं। मूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम है। इसकी कुल ऊंचाई 4.24 फीट, जबकि चौड़ाई तीन फीट है। कमल दल पर खड़ी मुद्रा में मूर्ति, हाथ में तीर और धनुष है। कृष्ण शैली में मूर्ति बनाई गई है। मूर्ति श्याम शिला से बनाई गई है, जिसकी आयु हजारों साल होती है। मूर्ति को जल से कोई नुकसान नहीं होगा। चंदन, रोली आदि लगाने से भी मूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
रामलला के चारों ओर आभामंडल है। मूर्ति के ऊपर स्वास्तिक, ॐ, चक्र, गदा, सूर्य भगवान विराजमान हैं। श्रीराम की भुजाएं घुटनों तक लंबी हैं। मस्तक सुंदर, आंखें बड़ी और ललाट भव्य है। भगवान राम का दाहिना हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में है। मूर्ति में भगवान विष्णु के 10 अवतार दिखाई दे रहे हैं। मूर्ति नीचे एक ओर भगवान राम के अनन्य भक्त हनुमान जी तो दूसरी ओर गरुड़ जी को उकेरा गया है।
मूर्ति में पांच साल के बच्चे की बाल सुलभ कोमलता झलक रही है। मूर्ति को मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है। इससे पहले श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अधिकारियों ने जानकारी दी थी कि जिस मूर्ति का चयन हुआ उसमें बालत्व, देवत्व और एक राजकुमार तीनों की छवि दिखाई दे रही है। रामलला पीतांबर से सुशोभित हैं और हाथों में धनुष बाण धारण किए हुए हैं।
रामलला ने सोने का कवच कुंडल, करधन माला धारण की हुई है। रत्न जड़ित मुकुट का वजन करीब पांच किलो बताया जा रहा है। रामलला के मुकुट में नौ रत्न सुशोभित हैं और गले में सुंदर रत्नों की माला है। भगवान रामलला की कमरबंद भी सोने से बना है। रामलला के आभूषणों में रत्न, मोती, हीरे शामिल हैं।
रामलला के चरणों में वज्र, ध्वजा और अंकुश के चिन्ह शोभित हैं।
कमर में करधनी और पेट पर त्रिवली हैं। रामलला की विशाल भुजाएं आभूषणों से सुशोभित हैं। रामलला की छाती पर बाघ के नख की बहुत ही निराली छटा है। छाती पर रत्नों से युक्त मणियों के हार की शोभा है।