30 वां विकास महोत्सव________
1 min readPRESENTED BY PRADEEP CHHAJER
(BORAVAR, RAJSTHAN) ।
भादवा सुदी 9 का दिन गुरुदेव तुलसी ने अपने आचार्य पद के विसर्जन की घोषणा कर महाप्रज्ञजी को अपना उतराधिकारी बना दिया और महाप्रज्ञजी को अपना दायित्व सौंपा व साथ में फरमाया की मेरा पट्टोंत्सव अब नही मनाया जाएगा ।
यह बात सुन समझ के विवेकपूर्वक चिन्तन कर आचार्य श्री महाप्रज्ञजी ने विकास महोत्सव की शुरुआत की संकल्पना संजोयी जो आज हमारे सामने विकास महोत्सव के रूप में विधिवत सानन्द रूप से प्रतिवर्ष मनाया जाता है ।
इस अवसर पर कुछ पंक्तियाँ – हिंदी के प्रथम लेखक, महान आशु कवि ,संस्कृत के व्याख्याता हैं-आचार्य महाप्रज्ञ। प्रेक्षा ध्यान प्रणेता,अनेकांत उदगाता,जीवन विज्ञान निर्माता हैं -आचार्य महाप्रज्ञ। आज के विवेकानंद, तुलसी महाप्रज्ञ युग विधाता हैं आचार्य महाप्रज्ञ। लोक महर्षि, धर्म चक्रवर्ती, विश्व शांति दूत के पुरस्कर्ता हैं- आचार्य महाप्रज्ञ। न्याय के राधाकृष्ण, विज्ञान समन्वित साहित्य के संस्कर्त्ता हैं-आचार्य महाप्रज्ञ।
तेजपुंज, योगीराज ,अहिंसा प्रशिक्षण व अहिंसा समवाय के जनक हैं- आचार्य महाप्रज्ञ । विकास महोत्सव गणाधिपति पद , महाश्रमण पद , महाश्रमणी पद के सृजक हैं -आचार्य महाप्रज्ञ। मुख्य नियोजका नियुक्ति व समणी वृंद शतक स्वप्न पूरक हैं -आचार्य महाप्रज्ञ।
त्रिनेत्र धारी,विविध भाषाओं में साहित्य के बेजोड़ लेखक हैं- आचार्य महाप्रज्ञ। अहिंसा यात्रा से जन-जन में नैतिक मूल्य जगाने वाले हैं- आचार्य महाप्रज्ञ । स्व प्रज्ञा से युग की समस्याओं को समाहित करने वाले हैं -आचार्य महाप्रज्ञ। राष्ट्रपति संग सुखी परिवार समृद्ध राष्ट्र पुस्तक लिखने वाले हैं- आचार्य महाप्रज्ञ। परिवार के साथ कैसे जिएं के गुर बताने वाले हैं- आचार्य महाप्रज्ञ। कालू गणी के बोए बीज प्रगति के, पल्लवित है विकास महोत्सव में ।तुलसी , महाप्रज्ञ के स्वप्न साकार हो रहे विकास महोत्सव में। युगप्रधान महातपस्वी शान्ति दूत महाश्रमण गण माली पा, जन – जन मन हर्षित है विकास महोत्सव में ।
नए – नए कीर्तिमान विकास के स्थापित कर रहे ज्योतिचरण विकास महोत्सव में । महाश्रमणी साध्वी प्रमुखा विकास की साझीदार है विकास महोत्सव में ।तेरापंथ नंदनवन गण गुलजार है विकास महोत्सव में ।चहुँ दिश जय -जय कार है। हो रहा महा उपकार है विकास महोत्सव में ।
जय हो जय हो सदा विजय हो ,विकास ही विकास आगे,विकास महोत्सव में। मंगल भावों के साथ ।