अब वन डिस्ट्रिक्ट,वन कोऑपरेटिव बैंक की दिशा में आगे बढ़ेगा यूपी
1 min read
लखनऊ ब्यूरो।
उत्तर प्रदेश के विकास और अन्नदाता किसानों की जरूरतों को देखते हुए सभी को बैंकिंग सुविधाएं मिलनी चाहिए। हमने सहकारिता विभाग से कहा है कि जिन स्थानों पर बैंक शाखा की आवश्यकता हो, वहां मैपिंग की जाए। उत्तर प्रदेश में एमएसएमई का सबसे बड़ा बेस है, इसके लिए सहकारी बैंकों की बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है।
हमें प्रयास करना चाहिए कि वहां पर सहकारिता बैंक की एक शाखा खोलने के साथ ही बीसी सखी के कार्यक्रम को जोड़ने का कार्य करें। पहले चरण में बैंक खोलें, दूसरे चरण में इन बैंकों को प्रॉफिटेबल बनाएं और फिर तीसरे चरण में वन डिस्ट्रिक्ट, वन कोऑपरेटिव बैंक की परिकल्पना की दिशा में आगे बढ़ें। राज्य सरकार इसमें पूरा सहयोग करेगी।
यह बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अपने सरकारी आवास पर बी पैक्स सदस्यता महाभियान और टोल फ्री नंबर का शुभारंभ करते हुए कार्यक्रम में कहीं। उन्होंने कहा कि आज वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट कार्यक्रम देश भर में छा गया है।
इसमें एमएसएमई विभाग अपने लोकल प्रोडक्ट के लिए उनकी पैकेजिंग, डिजाइनिंग, मार्केटिंग के लिए एक बड़े अभियान को आगे बढ़ा रहा है।। सहकारी बैंक भी इस प्रक्रिया के साथ जुड़ते हैं तो यह उनके प्रति आमजन के विश्वास को बहाल करने में मदद करेगा।
सीएम योगी ने कहा कि पीएम मोदी ने 2019 में दोबारा पीएम बनने के बाद सहकारिता को मंत्रालय का दर्जा दिया। सहकारिता को आम नागरिक के जीवन में समृद्धि का एक माध्यम बनाकर उसे समृद्धि, स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
देश के पहले सहकारिता मंत्री के रूप में आज देश के गृह मंत्री अमित शाह ने सहकारिता को समृद्धि के साथ जोड़ते हुए उसकी सबसे आधारभूत इकाई पैक्स को मजबूत बनाने की ओर कार्य किया है।
उत्तर प्रदेश में एक से 30 सितंबर तक इस सदस्यता अभियान का शुभारंभ और टोल फ्री नंबर जारी किया गया है। पैक्स अब तक खाद और बीज बेचने तक ही सीमित रहता था, लेकिन अब इसको कॉमन सर्विस डेवलपमेंट सेंटर के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। अब वहां पर अन्य सुविधाएं उपलब्ध हो पाएंगी।
सहकारिता आंदोलन को नई रफ्तार देगा अभियान
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में खेती ही उसकी सबसे बड़ी समृद्धि रही है। हमारे पास दुनिया की सबसे उर्वरा भूमि है तो सबसे अच्छा जल संसाधन भी मौजूद है। 2.61 लाख से अधिक किसान ऐसे हैं जो पीएम किसान सम्मान निधि से जुड़े हुए हैं।
यानी 3 करोड़ किसान हमारे पास हैं जो इस अभियान से जुड़कर इसको समृद्धि के पथ पर अग्रसर करके उत्तर प्रदेश की कृषि को उत्तर प्रदेश की समृद्धि से जोड़ने में सहायक हो सकते हैं। भारत की आजादी के समय कुल जीडीपी का 40 फीसदी से अधिक भाग कृषि का था। धीरे-धीरे यह कम होता गया और अब यह 16-17 फीसदी पर आ गया है, लेकिन उत्तर प्रदेश में यह अब भी 25 से 26 फीसदी है।
हम इसमें और भी अच्छा योगदान दे सकते हैं। किसानों को समय पर बीज मिले, समय पर खाद मिले, सभी इकाइयां प्रभावी ढंग से काम करना प्रारंभ कर दें तो कोई कारण नहीं कि अन्नदाता किसान इसी धरती से सोना उगाने का काम न कर दे। विश्वास है कि यह अभियान उत्तर प्रदेश में सहकारिता आंदोलन को एक नई गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगा। अच्छे लोग, रुचि लेने वाले लोग इसके माध्यम से चुनकर के आगे बढ़ेंगे।
पैक्स की बढ़ाएं क्रेडिट लिमिट, फसली ऋण को सहकारी बैंकों से जोड़ें
सीएम योगी ने पैक्स की क्रेडिट लिमिट बढ़ाने के साथ ही फसली ऋण के विषय में लक्ष्य निर्धारित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि अभी जो हमारे पास 7500 पैक्स हैं, इनमें फर्टिलाइजर की खरीद के लिए जो लिक्विडिटी चाहिए उससे काफी कम है। प्रदेश की आवश्यकता के अनुरूप पैक्स 10 लाख की क्रेडिट लिमिट आवश्यक है।
इस संबंध में तत्काल कार्यवाही को आगे बढ़ाकर 7500 पैक्स की क्रेडिट लिमिट को आगे बढ़ाना चाहिए जिससे किसान को सहूलियत हो। राज्य सरकार इस संबंध में पूरा सहयोग करेगी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में कृषि विभाग के साथ मिलकर फसली ऋण के बारे में विचार करना चाहिए।
एमएसएमई विभाग से भी कहा गया है कि ओडीओपी या विश्वकर्मा श्रम सम्मान के तहत हम जब बैंक से किसी हस्तशिल्पी या कारीगर को पैसा दिलाते हैं तो उसे डिजिटल पेमेंट के साथ जोड़ें। यदि डिजिटल पेमेंट पर वह समय पर अपनी किस्त भर लेता है तो जो ब्याज आता है ।
उस पर राज्य सरकार स्तर पर उसको इंसेटिव देने की व्यवस्था होनी चाहिए जिससे लोकल स्तर पर अपने हस्तशिल्पी और कारीगरों को प्रोत्साहित कर सकें। अच्छा होगा कि उसे कोऑपरेटिव बैंक से जोड़ें, जो उनकी छोटी जरूरतों को पूरा करेंगे।
इस अवसर पर प्रदेश सरकार के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह, सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह, प्रमुख सचिव सहकारिता बीएल मीणा एवं जनप्रतिनिधि और सहकारिता से जुड़े लोग मौजूद रहे।
क्या है बी पैक्स महाभियान?
बी पैक्स यानी बहुउद्देशीय ग्रामीण सहकारी समितियों के खोले जाने की योजना है। जनपद में किसानों को सस्ते दर पर खाद, बीज और सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए 250 सहकारी समितियां संचालित हैं।
भविष्य में ऋण वितरण, खाद और बीज वितरण को लेकर दिक्कत न हो इसलिए बी-पैक्स महाभियान के तहत हर समितियों पर एक सितंबर से सदस्य बनाए जाएंगे। 30 सितंबर तक चलने वाले इस सदस्यता महाभियान में हर समिति पर कम से कम 200 सदस्य जोड़े जाएंगे। कोई भी किसान 21 रुपए की रसीद कटवाकर सदस्य बन सकता है। सदस्य किसान को 200 रुपए का शेयर बांड खरीदना होगा। इससे सदस्य किसानों को ऋण सीमा में बढ़ोतरी हो सकेगी। जिसकी वार्षिक ब्याज दर भी कम होगी।
कोई भी सदस्य जो साधन सहकारी समिति के ग्राम पंचायत में रहता हो और अस्थाई रूप से व्यापार करता हो या भू स्वामी हो, इसके अलावा समिति में धन जमा करना चाहता हो वह समिति का साधारण सदस्य बन सकता है। सदस्य बन जाने के बाद किसानों को साधन सहकारी समिति का लाभ लेने में आसानी होगी।
कपिलदेव सिंह (यूपी हेड)