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किसानों ने प्राइमरी स्कूल को बना दिया तबेला

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अमेठी ।

आवारा पशुओं से परेशान होकर किसानों ने बड़ी संख्या में पशुओं को प्राथमिक विद्यालय डेहरा परिसर में खदेड़ कर बंद कर दिया। फसलों को नष्ट करने से नाराज हो ग्रामीणों ने प्रशासन पर कड़ी नाराजगी जताई और जमकर हंगामा किया ।

मौके पर पहुंचे पशु विभाग के कर्मचारियों ने लोगों को समझा-बुझाकर मामले को शांत किया और आवारा पशुओं को प्राइमरी स्कूल से निकलकर पशु आश्रय स्थल पर पहुंचाने का काम किया।


किसानों ने बताया कि आवारा पशुओं के कारण एक भी फसल नहीं बच पा रही है। जिसके कारण लोग परेशान हैं। प्रशासन की ओर से अवारा पशुओं के लिए किए गए सारे इंतजाम बेकार साबित हो रहे हैं।

छुट्टा गोवंशों आमजन के लिए बना परेशानी का सबब

अमेठी। अवारा पशुओं के आतंक से लोग परेशान हैं।शाम के समय छुट्टा गोवंशों के सड़कों पर डेरा डालने से दूर्घटना के खतरे बढ़े हुए हैं। जिले के तेरह विकास खंडों और नगरीय क्षेत्रों में कुल 108गो वंश आश्रय स्थल संचालित हैं। इनमें लगभग पन्द्रह हजार गोवंश संरक्षित किए गए हैं।

अन्ना प्रथा पर अंकुश न लगने से हर सड़क पर शाम होते ही सैंकड़ों पशु अपना डेरा जमा लेते हैं। प्राथमिक विद्यालय नगर डीह (भादर) में इन दिनों आवारा पशुओं का आतंक चरम पर है। बुधवार को भी सांड ने जमकर उतपात मचाया। यहां बच्चों एवं शिक्षकों के साथ कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है।

जर्जर स्कूली भवन से भी दुर्घटना की आशंका है।आश्रय स्थलों में जगह न होने के कारण प्रशासन इन पशुओं को संरक्षित नहीं करा पा रहा है।

कड़े कानून लागू किए बगैर नहीं कम होगी अन्ना प्रथा

अवारा पशुओं को संरक्षित करने के लिए अतिरिक्त ड्यूटी में लगाए गए कई पंचायत सचिवों और सफाई कर्मियों ने कहा कि जब तक पुलिस का डर नहीं होगा,लोग दूध बंद होने के बाद गायों और बछड़ों को छोड़ते रहेंगे।

चौकीदारों को जिम्मेदारी दी जाय वे अपने गांव में गोवंशो को छुट्टा छोड़ने वाले किसानों के बारे में सही जानकारी दें सकते हैं। चौकीदार थाने में शिकायत दर्ज कराएं और पुलिस ऐसे लोगों पर कार्रवाई करें,जो अन्ना प्रथा को बढ़ावा दे रहे हैं।

तभी समस्या कम हो सकती है ‌गोवंश आश्रय स्थलों का निर्माण सभी ग्राम पंचायतों में होना चाहिए।

डा जे पी सिंह मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, अमेठी के उवाच

“जिले में सभी गोवंश आश्रय स्थल गोवंशो से भरे हुए हैं।जब तक किसान स्वयं इस समस्या के हल पर गंभीर नहीं होंगे, सरकार और प्रशासन समस्या को खत्म नहीं कर सकते। अन्ना प्रथा को समाप्त करने के लिए किसानों को स्वयं आगे आना होगा।जनजागरूता और समुदाय का सहयोग जरूरी है।”

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