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‘परंपरा,संस्कार और सामाजिक मर्यादा ही भारतीय जीवन पद्धति ‘

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होली के अवसर पर पिछले 2-3 दिन गाँव मे ही रहना हुआ। गाँव मे होलिका दहन के समय गाये जाने वाले फगुवा गायन अब लगभग नदारद हो चुका है I मेरे बचपन मे जो गाँवो मे अपने गाँव की सबसे बड़ी होली लगाने की प्रति स्पर्धा थी वो भी अब समाप्त हो रही है I होली के समय रंग ग़ुलाल के साथ फाग गायन की जगह अब डी जे के कान फोड़ू आवाज ने परम्पराओ और संस्कारो को तार-तार कर दिया है I

जो परंपराए भारतीय जीवन दर्शन की आत्मा थी वो परम्पराए अब टूट रही है I परम्पराओ से विपथन और ख़त्म होते संस्कार के कारण सामाजिक मूल्यों का जिस प्रकार से क्षरण हो रहा है, उसकी बानगी है जो संयुक्त परिवार अब गाँव मे मुश्किल से बचे है I राजनीति में भ्रष्टाचार और अपराध का बोल बाला हुआ,ये भ्रष्टाचार अपराध सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं रहा नौकरशाही भ्रष्टाचार के अथाह समुद्र मे खूब गोते लगाने लगी I

जहाँ तक मुझे याद है कि मेरे विद्यार्थी जीवन मे पी.सी.एस एसोसिएशन 10 ईमानदार अधिकारियो की सूची जारी करता था I बाद में आईएएस एसोसिएशन भी उनकी देखा देखी 10 ईमानदार अधिकारियो की सूची जारी करने लगा I लेकिन 10 सबसे भ्रष्ट पी सी एस/पी. पी.एस और आई. ए.एस/आई. पी. एस. अफसरों की सूची कभी जारी नहीं हो पायी,और नेताओं की तो कभी सूची जारी हो भी नहीं पायी I जो नेता भ्रष्टाचार के आरोप मे यदा कदा जेल भी गया,उस जेल यात्रा को भी उसने जाति और समाज के उत्पीड़न से जोड़कर अपने को अपनी जाति धर्म का स्वयं बलिदानी महापुरुष घोषित करवा लिया I

इसलिए महाभ्रष्ट अधिकारियो/राजनेताओं की सूची जारी हो भी नहीं सकती थी, अन्य कई तरह की अड़चन भी रहती है……जो भी अनैतिक रूप से पद पैसा अर्जित कर लिया उसे मूल्य विहीन समाज ने सर आँखो पे बिठाना शुरू किया। लोगो के मन से सामाजिक भय समाप्त हो गया I बड़े छोटे का लिहाज जो सामाजिक व्यवस्था की सबसे मजबूत कड़ी थी वो अब पूरी तरह टूट चुकी है I

आज गाँव के आस पास शराब के ठेको पर युवाओं की भीड़ को देखकर मन बहुत दुखी है कि क्या इनके परिवार मे अब कोई टोकने वाला नहीं बचा है, या ये बच्चे अब अपने मां बाप की इज्जत को अपने क्षणिक नशे से ज्यादा जरूरी समझते है I जिन गांवो मे सुबह की पूजा और शाम की संध्या आरती गूंजती थी, वहाँ अब शाम को नशे मे झूमते युवा घूमते हैं I

गाँव घर में आते जाते समय चौराहो पर शराब के ठेको पर युवाओ की भीड़ देखकर चिंता जाहिर किया तो मेरे बगल मे बैठे एक सज्जन ने कहा कि ‘ठेके पर पीने की मनाही होती है I लेकिन फिर भी ये लोग ठेके पर बैठ कर पी भी रहे है I पुलिस को कुछ करना चाहिए ‘मैंने कहा कि क्या सब चीजें पुलिस ही रोके सामाजिक जिम्मेदारी ख़त्म हो गयी है I

2-3 लाख की आबादी पर 60-65 पुलिस स्टॉफ का एक पुलिस थाना होता है और सब तरह के बुराइयों को नियंत्रित रखने के लिए जिम्मेदार सिर्फ थाना ही है,क्या अब सामाजिक जिम्मेदारी ख़त्म हो गयी है। जो सामाजिक मर्यादा हम सबके बचपन मे थी वो अब ख़त्म हो चुकी है, पहले गाँव का कोई भी बुजुर्ग किसी के भी लड़के को भी गलत बात पर डॉट देता था, टोक देता था,अब कोई टोकने वाला बचा नहीं I बढ़ते एकल परिवारों मे सामाजिक और पारिवारिक अनुुशासन ख़त्म हो रहा है।

पहले मानवीय संस्कार जितना ज्यादा होता था उसे सभ्य कहा जाता था I अब जब भौतिक सुख सुविधा ही प्रगति का पैमाना बन चुकी है तो युवाओ मे इस तरह के अवगुण आना स्वाभाविक है। यदि हम भौतिक प्रगति के साथ अपनी परम्परा अपने संस्कारो से जुड़े रहते तो बहुत बेहतर परिणाम आते।

भारत में किसानों की आर्थिक दशा सुधारने के लिए हरित क्रांति की शुरुआत 1965-68 में हुई थी। हरित क्रांति को उस अवधि के रूप में संदर्भित किया जाता है जब भारतीय कृषि आधुनिक तरीकों और प्रौद्योगिकियों को अपनाने के कारण एक औद्योगिक प्रणाली में परिवर्तित हो गई थी।

परिणाम ये हुआ की कृषि प्रगति के लिए बहुतायत में रासायनिक उर्वरक /कीट नाशक के प्रयोग ने हमारे शरीर को  बीमारियों का घर बना दिया I जिस पतले चावल और रोटी को हम प्रगति का सूचक मानते थे I उसने हमारे जीवन को ही अवरूद्ध करना शुरू किया I तब फिर से विश्व समुदाय को मोटे अनाजो की याद आयी  है I

उनकी पौष्टिकता की याद आयी,तो पूरे विश्व के चौधरी संयुक्त राष्ट्र संघ ने फसल के जलवायु-लचीलेपन और पोषण संबंधी लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 2023 को मोटे अनाज का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया है। हमारी भारत सरकार भी मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम चला रही है।

ठीक इसी तरह हमने जिस भौतिक प्रगति को प्रगति माना उसने परम्परा संस्कार सामाजिक व्यवस्था का जो ताना बाना था उसे नष्ट कर दिया I आज फिर से परंपरा /संस्कार और सामाजिक मर्यादा की ओर लौटना पड़ेगा तभी हमारी सभ्यता संस्कृति,संस्कार और परंपरा भारतीय जीवन दर्शन के रूप मे युगो युगो तक अक्षुण रहेगी I

(लेखक -विजय विक्रम सिंह उत्तर प्रदेश सरकार में पूर्वांचल विकास बोर्ड के सदस्य है)

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