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Road Accident : सड़क पर दर्दनाक हादसा… सिपाही के दोनों पैर टूटे

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लोक दस्तक से रवि नाथ दीक्षित विशेष रिपोर्ट

गाज़ियाबाद,उप्र।

गाज़ियाबाद, जो दिल्ली-एनसीआर का एक व्यस्त इलाका है, अक्सर ट्रैफिक जाम और सड़क हादसों के कारण सुर्ख़ियों में रहता है। यहाँ रोज़ाना लाखों वाहन चलते हैं और लोगों की भागदौड़ भरी ज़िंदगी के बीच ट्रैफिक पुलिस की भूमिका बेहद अहम होती है।

लेकिन जब वही पुलिसकर्मी, जो सड़क पर जनता की सुरक्षा के लिए तैनात है, खुद हादसे का शिकार हो जाए, तो यह सिर्फ एक दुर्घटना नहीं बल्कि पूरे सिस्टम और समाज के लिए गंभीर चेतावनी है।

ऐसा ही एक दर्दनाक हादसा गाज़ियाबाद में सामने आया, जब एक ट्रैफिक सिपाही ड्यूटी पर खड़ा था और सामने से आ रही 110 किमी/घंटा की रफ्तार वाली कार ने उसे इतनी जोरदार टक्कर मारी कि वह 10 फीट ऊपर उछलकर दूर जा गिरा। इस हादसे में उसके दोनों पैर बुरी तरह से टूट गए और हालत नाज़ुक हो गई।

घटना का सिलसिला

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, घटना उस समय हुई जब सिपाही सड़क पर खड़ा होकर ट्रैफिक नियंत्रित कर रहा था। भीड़भाड़ और भारी ट्रैफिक के बीच लोग सामान्य स्पीड में गाड़ी चला रहे थे। तभी दूर से एक कार लगभग उड़ती हुई सी आई। कार की स्पीड इतनी ज़्यादा थी कि उसके टायरों से निकलती आवाज़ भी अलग सुनाई दे रही थी।

सिपाही ने हाथ उठाकर कार को रुकने का इशारा किया, लेकिन ड्राइवर ने न तो स्पीड कम की और न ही रुकने की कोशिश की। कार सीधे पुलिसकर्मी से आ टकराई। टक्कर इतनी भीषण थी कि मौके पर मौजूद लोग दंग रह गए।

10 फीट दूर जा गिरा सिपाही

टक्कर लगते ही सिपाही हवा में उछल गया और लगभग 10 फीट दूर सड़क पर गिरा। उसके गिरते ही आस-पास अफरा-तफरी मच गई। लोग दौड़कर उसकी मदद के लिए पहुंचे। किसी ने तुरंत एम्बुलेंस बुलाई, तो किसी ने पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी।

चश्मदीदों के मुताबिक, जब तक लोग घायल सिपाही को संभालते, कार चालक मौके से फरार होने की कोशिश करने लगा। लेकिन भीड़ ने समझदारी दिखाते हुए गाड़ी को घेर लिया और उसे पुलिस के हवाले कर दिया।

अस्पताल में भर्ती, हालत गंभीर

घायल सिपाही को नज़दीकी सरकारी अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि उसके दोनों पैर बुरी तरह से फ्रैक्चर हो गए हैं, साथ ही शरीर के अन्य हिस्सों में भी चोटें आई हैं। उसे तुरंत ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया और प्राथमिक सर्जरी की गई। फिलहाल सिपाही की जान को खतरा नहीं बताया जा रहा है, लेकिन इलाज लंबा चल सकता है।

आरोपी चालक की पहचान

पुलिस ने गाड़ी को जब्त कर लिया है और आरोपी चालक को गिरफ्तार किया गया है। शुरुआती जांच में पता चला कि कार की रफ्तार लगभग 110 किमी/घंटा थी। पुलिस को शक है कि चालक या तो नशे की हालत में था या मोबाइल पर बात कर रहा था। मेडिकल रिपोर्ट का इंतज़ार है।

ट्रैफिक पुलिस की चुनौतियाँ

यह हादसा एक बार फिर यह दिखाता है कि ट्रैफिक पुलिस किस खतरे के बीच ड्यूटी करती है। वे दिन-रात भीड़भाड़ और तेज़ रफ्तार गाड़ियों के बीच खड़े रहते हैं। प्रदूषण, गर्मी और बारिश में भी उन्हें लगातार खड़ा रहना पड़ता है। कई बार लोग पुलिस के निर्देश मानते नहीं और उन्हें ही गाली-गलौज करने लगते हैं। और अब तेज़ रफ्तार व लापरवाह ड्राइविंग उनकी जान पर बन आती है।

सड़क सुरक्षा पर बड़ा सवाल

गाज़ियाबाद हादसा केवल एक पुलिसकर्मी की तकलीफ नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए चेतावनी है। भारत हर साल सड़क हादसों में 1.5 लाख से ज़्यादा लोगों को खोता है। सड़क सुरक्षा पर कई कानून बने, अभियान चलाए गए, लेकिन लापरवाही अब भी जारी है।

1. ओवर स्पीडिंग – भारत में सड़क हादसों का सबसे बड़ा कारण।2

2. ड्रिंक एंड ड्राइव – नशे में गाड़ी चलाना अब भी आम है।

3. मोबाइल पर बात – गाड़ी चलाते समय फोन इस्तेमाल करना दुर्घटनाओं का मुख्य कारण है।

4. सड़क पर लापरवाही – सिग्नल तोड़ना, गलत दिशा में गाड़ी चलाना आम हो गया है।

जनता का गुस्सा और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

जैसे ही हादसे की खबर फैली, सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। ट्विटर पर #JusticeForCop ट्रेंड करने लगा। लोग लिख रहे थे…

“जब पुलिस ही सुरक्षित नहीं है तो आम जनता का क्या होगा?”

“ओवरस्पीड ड्राइविंग के लिए सख्त से सख्त सजा होनी चाहिए।”

“यह केवल हादसा नहीं है, यह कानून तोड़ने का नतीजा है।”

परिवार का दर्द

घायल सिपाही का परिवार सदमे में है। उनके परिजनों ने कहा –”वह घर का सहारा है। रोज़ाना ड्यूटी पर जाता है ताकि लोग सुरक्षित रहें, लेकिन आज वही खुद असुरक्षित हो गया।”परिवार ने सरकार और विभाग से मदद की अपील की है।

विशेषज्ञों की राय

सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में सड़क हादसों की रोकथाम के लिए सिर्फ कानून नहीं, बल्कि जागरूकता भी ज़रूरी है।पुलिसकर्मियों को सड़क पर ड्यूटी करते समय सेफ्टी गियर (हेलमेट, रिफ्लेक्टर जैकेट, सेफ्टी बैरिकेड) दिए जाने चाहिए।

तेज़ रफ्तार गाड़ियों पर इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और कड़े चालान होने चाहिए।

गाज़ियाबाद का यह हादसा केवल एक पुलिसकर्मी का दर्द नहीं, बल्कि यह पूरे सिस्टम और समाज की लापरवाही का आईना है। सड़क पर ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मी जनता की सुरक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं, लेकिन अगर लोग ही नियम न मानें, तो हादसों को रोकना नामुमकिन है।

यह हादसा हमें याद दिलाता है कि –ट्रैफिक नियमों का पालन हर नागरिक की जिम्मेदारी है। ओवरस्पीडिंग और लापरवाही किसी की भी जान ले सकती है। सड़क सुरक्षा केवल पुलिस या सरकार नहीं, बल्कि हम सबका कर्तव्य है।

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