रिचर्ड्स के जन्म दिन सात मार्च पर विशेष…. हैप्पी बर्थ डे टू – सर विव रिचर्ड्स
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इस फोटो के बारे में कोई क्या कह सकता है। कितना कह सकता है। कैसे कह सकता है। जो भी कह सकता है वह अपर्याप्त है। सर इसाक विवियन अलेक्जेंडर रिचर्ड्स। आज इनका 67 वां जन्म दिन है। और इन्हें जन्म दिन की असीम अनंत शुभकामनाएं।
रिचर्ड्स क्रिकेट की दुनिया मे एक रोमांच का नाम है। उनकी बैटिंग के बारे में मेरे कहने का क्या मतलब है। सुनील गावस्कर, इमरान खान , वसीम अकरम, मार्टिन क्रो और न जाने कितने महान क्रिकेटर्स ने उनकी बैटिंग के बारे में जो कहा है उससे उनके मेआर का पता चलता है।
बल्लेबाज तो एक से एक आते रहेंगे लेकिन मैदान में रिचर्ड्स की मौजूदगी से जो अहसास होता था वह इफेक्ट कोई और ला ही नहीं सकता। इतना बड़ा क्रिकेटर और कितना शालीन। बैटिंग की आक्रामकता कभी व्यवहार में नहीं झलकी। आज के दौर में तो दो चार मैच खेलने वाले प्लेयर जरा जरा सी बात पर मैदान में ऐसी भाव भंगिमा बनाते हैं कि बंदर व चिंपाजी शर्मा जाए।
च्युंगम को चबाते हुए बेपरवाह चाल और विकेट पर अलेक्जेंडर जैसा अंदाज। रिचर्ड्स ने तूफानी गेंदबाजों को खेला लेकिन कभी हेलमेट नहीं लगाया और कोई गेंदबाज कभी उन्हें छू भी नहीं सका। सभी तरह के स्ट्रोक लगाने में माहिर। कभी हाथ में डंकन तो कभी वैम्पायर।साथ में बेहतरीन फील्डर और उपयोगी गेंदबाज। पहले वर्ल्ड कप के फाइनल में उनकी फील्डिंग को कौन भूल सकता है।
रिचर्ड्स 1992 का वर्ल्ड कप खेल कर रिटायर होना चाहते थे लेकिन शायद दुनिया के सबसे बदतरीन क्रिकेट प्रशासक वाला देश वेस्टइंडीज अपने इतने बड़े क्रिकेटर का इतना मान भी न रख सका और उन्हें 1991 में ही क्रिकेट को अलविदा कहना पड़ा। यह अफसोसनाक था।
रिचर्ड्स ने रिटायरमेंट के बाद अपनी बायोग्राफी लिखी जिसका शीर्षक था ” हिटिंग अक्रॉस द लाइन ” और यही उनका बैटिंग स्टाइल भी था। अक्सर वह अपना विकेट खो देते थे अक्रॉस द लाइन हिट करने के चक्कर में। रिचर्ड्स के नाम पर एंटिगा में स्टेडियम भी है और वह फुटबॉल के भी शौकीन है और एंटिगा के लिए वर्ल्ड कप क्वालीफायर भी खेल चुके हैं। लिवरपूल उनका पसंदीदा क्लब है।
लिखते रहिए तो रिचर्ड्स की दास्तान जारी ही रहेगी। फिलहाल उन्हें – हैप्पी बर्थ डे