Check Up आत्मा का……
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जैसे हमारे शरीर का चेकअप होने से शरीर की स्वस्थता का पता लगता है एवं शरीर की व्याधि और हो तो नियंत्रित की जा सकती है । ठीक इसी तरह क्या हमने आत्मा का चेक अप किया है । आत्मा अजर -अमर है और निश्चय नय की दृष्टि से शुद्ध भी किंतु जब तक आत्मा के कर्म लगे रहते हैं तब तक आत्मा अपनी विशुद्ध दशा को प्राप्त नहीं कर पाती है ।
इसी कारण उसे संसार में 84 हजार योनियों में भटकना पड़ता है । हर आत्मा का जन्म निश्चित है।हर आत्मा अपने पिछले जन्मों के कर्मों के अनुसार इस सृष्टि पर जन्म लेती है। उसी क्रम में आता है एक मनुष्य जीवन। जन्म से लेकर मृत्यु तक का जीवन एक किताब की तरह होता है।जिसका पहला पेज सूचक होता है मनुष्य का जन्म और अंतिम पृष्ट कहलाता है इंसान की मृत्यु। पहले और अंतिम पेज के बीच के पंनों को इस जीवनकाल में हम्हें ही भरना होता है।अच्छे या बुरे कार्यों द्वारा।
अगर किसी किताब को पढ़ने में इतना आनंद आता है कि उसको बीच में छोड़ने का मन ही नहीं करता।ठीक वैसे ही इंसान को अपने जीवनकाल में ऐसे कार्य करने चाहिये कि लोग स्वतः ही आपकी और खिंचा चला आये।उसकी मौजूदगी ही भरी सभा में एक आकर्षण बन जाये।वो तभी सम्भव होता है कि इंसान का मन बच्चे की तरह सच्चा,करण जैसा दानवीर, महात्मा गांधी जैसा अहिंसावादी और राम जैसा मर्यादा पालन करने वाला आदि हो।अगर ऐसा इंसान का जीवन होगा तो उस इंसान के जीवन की किताब का पहला और अंतिम पृष्ट तो क्या पूरी किताब ही बहुत सुंदर होगी। ठीक उसके विपरीत कार्य करने वाले व्यक्ति की किताब का पहला पृष्ट तो क्या कोई पेज पढ़ने का मन नहीं करेगा।
जन्म से लेकर मृत्यु तक के किये गये कार्यों के आधार पर ही हर आत्मा का पुनः जन्म होता है। हमने कितने पुण्य कार्य किये होंगे तब मनुष्य जन्म मिला।जीवन के हर दिन हम्हें कोई ना कोई नेक कार्य करके इस जीवन से अलविदा होना है। साथ में आत्मा का स्तर करुणा का, मानवता का और सबसे महत्वपूर्ण क्रोध, मान, माया, लोभ, परिग्रह, राग-द्वेष आदि कषायों का जानना समय – समय पर जरुरी है ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़,राजस्थान )