हिंदू संस्कृति में छुआछूत का कोई स्थान नहीं-दत्तात्रेय होसबोले
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सुल्तानपुर।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने स्वयं सेवकों को सामाजिक समरसता का संकल्प दिलाया।उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के अमृत काल में समाज में फैले छुआछूत को दूर करना पड़ेगा। हम सब को भगवान राम और कृष्ण की जीवन शैली को अपने जीवन में उतारना है।हिंदू संस्कृति में छुआछूत का कोई स्थान नहीं है।
श्री होस्बोले शहर के समीप केएनआई परिसर में संघ की सरस्वती शाखा के मकर संक्रांति उत्सव कार्यक्रम में संघ के स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार भगवान राम ने शबरी के जूठे बेर खाकर समाज को एक सूत्र में बांधा।उसी प्रकार हमें भी अपने जीवन में सामाजिक समरसता को कायम रखना है।देश सेवा के लिए निस्वार्थ भाव से परिश्रम करेगा तभी भारत माता की जय बोलने का नैतिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने 1000 वर्षों के संघर्ष में कई प्रकार के अनुभव पाए हैं।अपमान सहन किए हैं।दमन चक्र झेले और गुलाम रहे हैं। हमारे पूर्वजों ने बड़ी लड़ाई लड़ी तब जा कर भारत देश को गुलामी से आजाद कराया।
पेड़ पौधों,वनस्पतियों में भी जीवन होता है इसको हमारे देश के वैज्ञानिक जगदीश चंद्र ने ही अपने प्रयोग से सिद्ध किया। संघ के सरकार्यवाह बोले कि रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने लिखा है , सिया राम मय सब जग जानी ,।सब के अंदर राम हैं,सब के मन में, सब के दिल में राम हैं। एकलव्य ने गुरु द्रोण का शिष्य बनने के लिए प्रण किया ।बाद में द्रोण जी की मूर्ति रखकर धनुर्विद्या का अभ्यास कर सिद्धहस्त धनुर्धारी बन गया। धनुर्विद्या में वह अर्जुन से कम नहीं था। उसका ऐसा वीर धनुर्धारी बन जाना उसके गुण,गुरु भक्ति और सद्भाव के कारण है ।
इस कहानी का यही संदेश है कि व्यक्ति के जन्म के आधार पर ऊंच-नीच नहीं मानना चाहिए ।लेकिन आज समाज में ऐसी स्थितियां आ गई हैं ।भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति उसे सोने की चिड़िया बनाए था।अत्यंत श्रेष्ठ विश्व गुरु हम रहें। समाज में अपने को बचाने के लिए कई प्रकार के गलत रास्ते भी मनुष्य अपना लेता है।वह कुछ भी कर सकता है। नाम छुपाता है और तमाम झूठ बोलता है।यह भारत की संस्कृति नहीं है।यह हमारी कमियां ,हमारी कमजोरियां हैं।इससे मनुष्य के मन को,तन को मलीनता आ जाती है। उसको समय समय पर साफ करना पड़ता है। यह कार्य समय-समय पर हमारे गुरुओं, ज्ञानियों संतो ,मुनियों, ऋषियों और समाज सुधारकों ने किया।संत समाज और समाज सुधारकों ने मनुष्य और समाज की इस मलीनता को दूर करने का महान कार्य किया है ।इसलिए हम उनकी पूजा करते हैं।ये समाज सुधारक साधु संत,गुरु, ज्ञानी ,ऋषि,मुनि हैं।
संघ के इस मकर संक्रान्ति उत्सव के कार्यक्रम में मंच पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत संघ चालक डॉ विश्वनाथ लाल निगम,जिला संघ चालक डा ए के सिंह, नगर संघ चालक अमरपाल सिंह मौजूद रहे। अतिथियों का परिचय अजय सिंह ने दिया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से संघ के क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रांत प्रचारक रमेश , प्रांत प्रचारक मुनीश, प्रांत प्रचारक प्रमुख रामचंद्र ,विभाग प्रचारक अजीत , जिला प्रचारक आशीष, प्रांत बौद्धिक प्रमुख महेश आदि मौजूद रहे।