धर्म और इंसानियत की रक्षा को गुरु गोविंद सिंह ने लडी़ चौदह लडाईयां
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अमेठी। गुरु गोविंद सिंह जी लंगर आयोजन समिति की ओर चाणक्य पुरी लंगर स्थल पर गोष्ठी आयोजित करके धर्म और इंसानियत की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले सिक्खों के दसवें गुरु गुरु गोविन्द सिंह जी के परिवार के बलिदान का स्मरण करते हुए चार साहिबजादों की शहादत को नमन किया गया।
गोष्ठी की शुरुआत मुख्य सेवादार बाबा मनोहर सिंह और सेवादार संजीव भारती ने गुरु साहब, माता गुजरी देवी चार साहिबजादों के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन के साथ की। बाबा मनोहर सिंह ने कहा कि गुरु साहब ने धर्म और इंसानियत की रक्षा के लिए कुल चौदह लडाईयां लडी।किसी शहर और गांव पर कब्जा नहीं किया। जुल्म के खिलाफ लडे़ और जुल्म के खिलाफ मरे। 21 से 27दिसम्बर का समय पंजाब में गमगीन माहौल में बीतता है।सात से नौ साल के साहिब जादों को वजीर खां ने जिन्दा दीवार में चुनवा दिया था।चुनाई के बाद सौ निहाल सश्री काल की आवाजें गूंज रही थी।
बाबा वंदा सिंह और चप्पडचिडि की जंग के संस्मरण सुनाए और कहा कि साहिब जादों के बलिदान की खबर सुनकर माता गुजरी देवी के प्राणांत हो गये।गुरु साहब को जब यह खबर लगी तो उन्होंने अपने स्थान एक तीर छोडा था,यह तीर मुगलों के सर्वनाश का संकेत था,बाबा वंदा सिंह ने जंग में वजीर खां को बुरी तरह हराया,उसकी लाश को घोडो़ के पीछे बांधकर पूरे शहर में घुमाया था।और उसके कब्जे की सारी जमीनें किसानों में बांट दीं।
बाबा मनोहर सिंह ने साहब जादों की शहादत की स्मृति में वीर बाल दिवस मनाने के लिए भारत सरकार और स्कूलों का आभार व्यक्त किया और कहा कि गुरु साहब के परिवार और साहिब जादों का बलिदान युगों युगों तक हमें और संगत को जुल्म के खिलाफ लडने और इंसानियत की रक्षा की ताकत और प्रेरणा प्रदान करता रहेगा।
सेवादार संजीव भारती ने कहा कि गुरु साहब के परिवार और उनके चार पुत्रों के बलिदान के संस्मरण सुनकर आज भी रोंगटे खडे हो जाते है।दुनिया के इतिहास में यह अद्वितीय घटना हमेशा स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगी।जब तक यह धरा रहेगी,सृष्टि रहेगी और मानव सभ्यता रहेगी,साहिब जादों के बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा।संकट जैसा जैसा भी हो,कितनी भी कठिन परिस्थिति हो धर्म और इंसानियत की रक्षा के लिए कभी जुल्मियों के सामने झुकना नहीं चाहिए।
सेवादार अम्बरीष मिश्रा ने गुरु गोविन्द सिंह के परिवार के बलिदान, चमकौर के युद्ध और वजीर खां के अंत तक के वृतांत का उल्लेख किया और कहा कि साहिब जादों और माता गुजरी देवी की अंत्येष्टि के लिए राजा टोडरमल ने साढे़ चार सौ स्वर्ण मुद्राएं बिछाकर मुगलों से जमीन खरीदी थी। सचिव सदाशिव पांडेय, त्रिभुवन दत्त, श्रीनाथ, साधना त्रिपाठी, सतीश मिश्रा, रोहित, अंकित, श्री नाथ आदि ने भी साहिब जादों की शहादत को कोटिकोटि नमन किया।