शराफत की बातें……..
1 min readबहुत सुन चुकी हूॅं शराफत की बातें।
छुपी हैं उन्हीं में तिजारत की बातें।।
रखे हो छुपाकर दिलों में ज़हर तुम।
हैं झूठी तुम्हारी मुहब्बत की बातें।।
हो सैय्याद तुम ये जहां जानता है।
क्यूंँ करते चमन की हिफ़ाज़त की बातें।।
अभी आईना पत्थरों से ये बोला।
क्या मालूम तुमको नफ़ासत की बातें।।
बसी जिनके फितरत में ही दिल्लगी है।
वो महफ़िल में करते हैं उल्फ़त की बातें।।
क़दम जबसे पूनम ने मंज़िल पे रक्खा।
सुनाई पड़ें बस खिलाफ़त की बातें।।
*बेख़बर वक़्त ग़ज़ल संग्रह*