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धर्म की रक्षा को पृथ्वी पर अवतरित होते हैं भगवान नारायण-आचार्य रामविलास चतुर्वेदी

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वृन्दावन।आनंद वाटिका स्थित सनातन संस्कार धाम में चल रहे सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत सप्ताह कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन भक्तों व श्रद्धालुओं को श्रीकृष्ण जन्म की कथा श्रवण कराते हुए आचार्य रामविलास चतुर्वेदी महाराज ने कहा कि पृथ्वी पर जब-जब अधर्म बढ़ता है और धर्म की हानि होने लगती है,तब-तब अधर्म का नाश करने के लिए और धर्म की रक्षा व पुनःस्थापना के लिए भगवान नारायण पृथ्वी पर अवतरित होते हैं।इसीलिए वे तारणहार कहे जाते हैं।
भागवत भूषण आचार्य रामविलास चतुर्वेदी ने भगवान के दिव्य स्वरूप का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान ने ब्रज में अवतार लेकर पूरब से लेकर पश्चिम तक धर्म की स्थापना के लिए समस्त राक्षसों का उद्धार कर जीव मात्र को सुख प्रदान किया।सुदामा चरित्र से हमें यह शिक्षा प्राप्त होती है कि व्यक्ति जैसा भी है भगवान को उसी प्रकार से उसी अवस्था में वह प्रिय है।प्रभु को बनावटी पन जरा भी प्रिय नहीं है।
ब्रज सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने भागवत भूषण आचार्य रामविलास चतुर्वेदी व उनके द्वारा संचालित सनातन संस्कार सेवा संस्थान की विभिन्न लोक कल्याणकारी गतिविधियों की जानकारी दी। साथ ही यह कहा कि आचार्य रामविलास चतुर्वेदी व उनकी संस्था धर्म व अध्यात्म के अलावा समाजसेवा के क्षेत्र में भी पूर्ण समर्पण के साथ जुटी हुई है। ऐसे व्यक्ति व संस्था का हम सभी को तन-मन-धन से पूर्ण सहयोग करना चाहिए।
इस अवसर पर कथा के मुख्य यजमान श्यामसुंदर मुथरेजा,शोभारानी मुथरेजा (फरीदाबाद),अर्जुन टेबड़ीवाल (सूरत), गोविंद प्रसाद किल्ला व गायत्री देवी किल्ला (दिल्ली), युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, गुलशन चतुर्वेदी,पंडित राम रिछारिया, पंडित जितेंद्र आदि की उपस्थिति विशेष रही।

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