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एनएचएआई की मिलीभगत से सम्भव हुआ अरबों का मुआवजा घोटाला

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अमेठी ।केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र अंतर्गत लखनऊ-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के लिए भूस्वामियों से अधिग्रहीत भूमि के मुआवजा निर्धारण में 384 करोड़ रुपए का घालमेल उजागर होने के विभागीय अधिकारियों के साथ ही प्रशासनिक अमले में हड़कंप मचा हुआ है।मुसाफिरखाना तहसील क्षेत्र अंतर्गत शामिल करीब 30 राजस्व गांवों के किसानों को वितरित किए गए मुआवजे की धनराशि में गड़बड़ी सामने आने के साथ कई अधिकारियों के दामन दागदार हो सकते हैं। डीएम के निर्देश पर गठित चार सदस्यीय जांच टीम ने फिलहाल प्रारंभिक तौर पर बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ी की रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है।


लखनऊ वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग को फोरलेन सड़क के निर्माण के लिए करीब सात वर्ष पहले आसपास के किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया गया था।भूमि अधिग्रहण व मुआवजा वितरण के लिए बकायदा मुसाफिरखाना तहसील कार्यालय में एनएचएआई का कार्यालय खोलकर राजस्व अधिकारियों व कर्मियों को तैनात किया गया था।वर्ष 2014 -15 में शुरू की गई परियोजना में राजस्व अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके एनएचएआई के अफसर 384 करोड़ रुपए के खेल में बराबर के साझीदार होने के संकेत मिल रहे हैं। एनएच 56 से जुड़े दोनो बाईपास के लिए अधिग्रहीत भूमि के लिए मुआवजा तय करने में एनएचएआई के अफसर भी शामिल रहे हैं।तत्कालीन सक्षम अधिकारी अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा तय करके उसे स्वीकृति के लिए एनएचएआई के अधिकारियों को भेजते रहे ।एनएचएआई के अधिकारियों की स्वीकृति के बाद राशि जारी की गई ।राजस्व विभाग के द्वारा भेजी जाती रिपोर्ट को एनएचएआई के अफसर भी आंख बंद करके मंजूरी देते रहे ।जिसका नतीजा रहा कि जो मुआवजे की धनराशि 180 करोड़ रुपए के आसपास होनी चाहिए थी, के बदले में 564 करोड़ का वितरण कर दिया गया।दरअसल मुसाफिरखाना तहसील क्षेत्र अंतर्गत उतेलवा से कनकूपुर तक बनने वाले 49 .5 किमी लंबे बाईपास के करीब 95 हेक्टेयर भूमि का मुसाफिरखाना ब्लॉक के मठा भुसुंडा से लेकर जमुआरी तक के भूस्वामियों से करीब 38 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करते हुए मुआवजे की धनराशि तय की गई।जिसके मुआवजा निर्धारण में जिम्मेदार अधिकारियों ने खेल खेल दिया ।
वर्ष 2018 में एनएच 56 के लिए अधिग्रहीत भूमि के मुआवजे के वितरण में करीब छः सौ करोड़ रुपए के घपले उजागर होने के बाद सुल्तानपुर जिला प्रशासन ने कई खातों को सीज करने का आदेश दिया।जिसके बाद मुसाफिरखाना के एसडीएम पद से बाराबंकी जिले में स्थांतरित होकर जा चुके एसडीएम अभय पांडेय ने एनएचएआई के अफसरों को पत्र लिखकर घपले की आशंका जताई थी।प्रकरण के खुलासे के बाद एनएचएआई के अफसरों ने 30 में से 10 गांवों को लेकर डीएम न्यायालय में वाद दाखिल किया। वाद की फाइल देखने के बाद डीएम राकेश कुमार मिश्र ने एडीएम न्यायिक राजकुमार द्विवेदी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच टीम गठित कर जांच कराई तो मामले के गंभीर रहस्य सामने आए ।फिलहाल डीएम राकेश कुमार मिश्र ने शासन को रिपोर्ट भेज दी है।वही घपले के खुलासे के बाद जिम्मेदारों की धड़कने बढ़ गई हैं। डीएम राकेश कुमार मिश्र के सख्त रुख को देखते हुए जिले के प्रशासनिक अमले में चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है।

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