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भारतीय शौकीन सस्ती स्कॉच व्हिस्की का आनंद उठा पाएंगे !

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इस समय पूरे विश्व में कहीं शराब सबसे ज्यादा पी जाती है तो भारत है I सस्ते से लेकर महंगे ब्रांड तक भारत में मांग हमेशा बहुत रही है I ऐसा कह सकते हैं कि शराब का सबसे बड़ा बाजार भारत में ही है I भारत में सबसे महंगी ब्रांड में स्कॉटलैंड की स्कॉच व्हिस्की काफी प्रचलित है,  जिसे लोग बहुत पसंद करते हैं I लेकिन यह लोगों की पहुंच से बाहर है, क्योंकि इस पर दोनों देशों के विभिन्न प्रकार के शुल्क लगते हैं I अब जबकि ब्रिटेन में नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की ताजपोशी हुई है जोकि एक भारतीय मूल के हैं I इन्हें लेकर स्कॉच व्हिस्की के शौकीन लोगों को उम्मीद जगी है I उन्हें सस्ते दामों में उपलब्ध होने लगेगी I इस पर लगने वाले शुल्क में कटौती अवश्य होगी I बताते चलें कि भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापार मुक्त समझौता काफी समय से लटका हुआ है जिससे दोनों देशों के बीच इसके तहत व्यापार किया जा सके लेकिन अभी तक संभव नहीं हो पाया है I पांच राउंड वार्ता भी हो चुकी है लेकिन नतीजा अभी नहीं निकल पाया है I इसलिए व्हिस्की के शौकीनों को अभी थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा I

पीएम मोदी ने समझौते पर जताई उम्मीद
भारत के प्रधानमंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल पर ट्विट करते हुए लिखा आज @RishiSunak से बात करके खुशी हुई। यूके के पीएम के रूप में कार्यभार संभालने पर उन्हें बधाई दी। हम अपनी व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए मिलकर काम करेंगे। हम एक व्यापक और संतुलित एफटीए के शीघ्र निष्कर्ष के महत्व पर भी सहमत हुए I

स्कॉटलैंड के व्यापरियों को समझौते का इंतजार 

स्कॉटलैंड के शराब व्यवसायियों को भी व्यापार समझौते से बड़ी उम्मीद है I उनका मानना है कि अगर भारत और ब्रिटेन के साथ यह समझौता होता है तो स्कॉटलैंड का शराब व्यवसाय अरबों डॉलर में पहुंच जाएगा I उन्हें उम्मीद है कि भारत भी स्कॉच व्हिस्की पर लगने वाले डेढ़ सौ प्रतिशत आयात शुल्क को ब्रिटेन सरकार की मांग के अनुसार 20% करने का प्रस्ताव मान लेगा और स्कॉटलैंड के व्यापारियों को भारत जैसा बड़ा खुला बाजार मिल जाएगा I

 

सुएला ब्रेवरमैन बनी समझौते में रोड़ा
भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता में दो वजहें प्रमुख रूप से उभर कर सामने आई हैं I इसी दीपावली पर होने वाले समझौते में ब्रिटेन में राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक अनिश्चितता पहली वजह बनी है I वहीं दूसरी सबसे बड़ी वजह ब्रिटेन के गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन का इस समझौते के प्रति रवैया काफी नकारात्मक रहा है I उन्होंने अक्टूबर के पहले सप्ताह में एक प्रमुख मैगजीन को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि भारत के साथ व्यापार समझौते की वजह से ब्रिटेन में आने वाले भारतीयों की संख्या बढ़ सकती है और इससे ब्रेग्ज़िट के मक़सद को भी नुक़सान पहुँच सकता है I भारतीय मूल की सुएला ने ये भी कहा था कि ब्रिटेन में वीज़ा समाप्त होने के बाद सबसे ज़्यादा भारतीय प्रवासी ही रह जाते हैं I इस बयान से भारत में तीखी प्रतिक्रियाएं हुई थी I इसी बीच सुएला ब्रेवरमैन ने इस्तीफा भी दे दिया था I इस समझौते के प्रति तत्कालीन प्रधानमंत्री लिज ट्रस भी सुएला के बयान से सहमत नहीं थी और दीपावली तक समझौता पूर्ण करने को कहा था I लेकिन आर्थिक व राजनीतिक अस्थिरता के चलते लिज को  इस्तीफा देना पड़ा था I वर्तमान में भारतीय मूल के ऋषि सुनक प्रधानमंत्री बने हैं, उन्होंने भी सूएला ब्रेवरमैन अपना गृहमंत्री बनाया है I लेकिन भारत ब्रिटेन के बीच होने वाले समझौते को लेकर सुनक काफी उत्सुक हैं और जल्द ही समझौते पर हस्ताक्षर कर लागू करने के पक्ष में है I

सुएला ब्रेवरमैन

क्या है मुक्त व्यापार समझौता
मुक्त व्यापार समझौता दो देशों के बीच का व्यापक समझौता है  I जिसमें सीमा शुल्क को घटाकर ,गैर टैरिफ बाधाओं को समाप्त कर या फिर कम कर व्यापार को सरल प्रक्रिया में लाने को मुक्त व्यापार समझौता कहा जाता है I इससे द्विपक्षीय व्यापार बढ़ता है और दोनों पक्ष एक दूसरे की अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान करते हैं I एफ़टीए में आम तौर से गुड्स एंड सर्विसेज़, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी अधिकार और निवेश इत्यादि शामिल होते हैं I भारत के साथ मलेशिया, जापान, नेपाल, भूटान, श्रीलंका और आसियान देशों जैसे कई अन्य देशों के साथ एफ़टीए समझौता पहले से ही है I अभी हाल में ही संयुक्त अरब अमीरात और आस्ट्रेलिया के साथ समझौते पर हस्ताक्षर हुआ है I जिस से आयात टैरिफ 85 % तक घटने का अनुमान लगाया जा रहा है I ब्रिटेन ने भी मुक्त व्यापार समझौता के तहत ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड से समझौता किया है और भारत से भी एटीएफ पर समझौता करने के लिए इच्छुक है I इस तरह ब्रिटेन यूरोपीय संघ से बाहर निकलकर अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए समझौतों पर अन्य देशों के साथ प्रयास कर रहा है I इसी कड़ी में भारत भी शामिल है I बताते चलें कि भारत इसी वर्ष 3.1 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था के साथ आज विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है I जिससे विभिन्न देशों की नजरें भारत की तरफ लगी हुई है और अपने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का प्रयास में भारत को उम्मीद की तरह देख रहा है I

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