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किसान बीज शोधन करके ही करें रबी फसलों की बुवाई – कृषि वैज्ञानिक 

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अमेठी। कृषि विज्ञान केन्द्र कठौरा ने किसानों को बीज शोधन के बाद ही रबी फसलों की बुवाई करने की सलाह दी है।
जिले के बहुत से किसान इस समय सरसों, चना, मटर एवं मसूर की बुवाई कर रहे हैं । यदि बुवाई के समय ही बीज शोधन कर लिया जाये तथा अच्छी प्रजातियों का चयन तथा उर्वरक प्रबंधन कर लिया जाए तो बीजजनित बीमारियों से बचाव के साथ बेहतर उत्पादन लिया जा सकता है। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या से संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, कठौरा के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ आर के आनंद ने बताया कि सरसों, चना, मटर एवं मसूर जैसी रबी की फसलों में कई तरह की बीज जनित बीमारियों का प्रकोप होता है जिससे बाद में फसल उत्पादन प्रभावित होता है इसलिए बीज को बुवाई से पूर्व थीरम या कैप्टान या कार्बेंडाजिम फफूंदनाशी की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें। बीज उपचार के लिए बीज को छाये में फैलाकर उसके ऊपर दवा डालकर बीज में अच्छी तरह मिला दें। उसके बाद बीज की बुवाई करें। इसकी जगह बीजों को ट्राइकोडरमा से भी उपचारित किया जा सकता है। सभी दलहनी फसलों को राइजोबियम से उपचारित करना फायदेमंद रहता है। अलग-अलग दलहनी फसलों के लिए अलग अलग राइजोबियम कल्चर प्रयोग किया जाता है। इसके लिए 200 ग्राम कल्चर का पैकेट 10 किलोग्राम बीज के लिए पर्याप्त होता है। आधा लीटर पानी में 50 ग्राम गुड घोलकर उसमें एक पैकेट कल्चर मिला दे फिर इस घोल को बीज के ऊपर छिड़ककर हल्के हाथ से बीज में मिला दें जिससे बीज के ऊपर कल्चर की एक हल्की परत बन जाती है। कल्चर से बीज उपचारित करते समय बीज को धूप में ना रखें तथा तत्काल बीज की बुवाई कर दें। कल्चर से बीज उपचार करने से पूर्व फफूंदनाशी से बीज उपचार अवश्य करें।
उन्होंने किसानों को उन्नतशील बीजों की जानकारी देते हुए कहा कि सरसों एन डी आर 8501, आर एच 749, आरएच 725, गिरिराज सीएस 60, चना: जीएनजी 2171, आरवीजी 202, आरवीजी 203, बीजी 3043, मसूर: नरेंद्र मसूर 1, आईपीएल 315,के एल एस 09 – 3, के एल एस 1322, आईपीएल 316,
मटर: प्रकाश, विकास, आई पी एफ डी 09-2, पंत मटर 250 बेहतर प्रजातियां हैं।

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