स्थापना दिवस व हनुमान जयंती महोत्सव की धूम
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वृन्दावन,मथुरा I मोतीझील स्थित श्रीराधा उपासना कुंज में ब्रज के प्रख्यात संत श्रीपाद बाबा महाराज के द्वारा संस्थापित ब्रज अकादमी का त्रिदिवसीय स्थापना दिवस व श्री हनुमान जयंती महोत्सव अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम के साथ प्रारम्भ हो गया है।।महोत्सव का शुभारंभ आनंद वृन्दावन (अखंडानंद आश्रम) के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद सरस्वती महाराज, अनेक प्रमुख संतों व विद्वानों ने श्रीराधा कृष्ण एवं स्वामी श्रीपाद बाबा महाराज के चित्रपट के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके किया।
अखंडानंद आश्रम के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद सरस्वती महाराज व स्वामी महेशानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीपाद बाबा महाराज परम रससिद्ध संत, अध्यात्म योगी व परम वीतरागी थे।उन्होंने ब्रज अकादमी की स्थापना आज से 43 वर्ष पूर्व श्रीधाम वृन्दावन के जयपुर मन्दिर में छोटी दीपावली के दिन की थी।उनके द्वारा इस अकादमी की स्थापना ब्रज संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए की गई थी।जिसके लिए वे अपने जीवन के अंतिम समय तक पूर्ण समर्पित रहे।
महंत बाबा संत दास महाराज व ब्रज अकादमी की सचिव साध्वी डॉ. राकेश हरिप्रिया ने कहा कि ब्रज अकादमी की स्थापना श्रीपाद बाबा महाराज ने प्रत्येक व्यक्ति के आध्यात्मिक उन्नयन एवं नैतिकतावादी मूल्यों पर आधारित शिक्षा पद्धति के पुनरोत्थान के लिए की थी।जो अपने उद्देश्यों पर आज भी अटल है।
प्रख्यात अध्यात्मविद डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व प्रमुख समाजसेवी पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीपाद बाबा महाराज ने प्रख्यात वाणी कारों की वाणियों की पांडुलिपियां व अन्य हस्तलिखित ग्रंथों को ब्रज अकादमी के द्वारा संग्रहित व प्रकाशित कर ब्रज संस्कृति व श्रीधाम के प्राचीन स्वरूप का पुनरोद्धार करने का अभूतपूर्व कार्य किया।
इस अवसर पर प्रख्यात संत बेरिया वाले बाबा महाराज, संत सेवानंद ब्रह्मचारी, प्रमुख शिक्षाविद् डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा, संगीताचार्य देवकीनंदन शर्मा, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, डॉ. रामदत्त मिश्र,ब्रज अकादमी के निदेशक डॉ. बी.बी. माहेश्वरी,महंत मधुमंगल शरण शुक्ल आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।
इससे पूर्व प्रातः काल संत श्रीनाभा दास महाराज कृत श्रीमद् भक्तमाल ग्रंथ का संतों ने संगीतमय गायन किया।रात्रि को प्रख्यात रासाचार्य पंडित भुवनेश्वर वशिष्ठ की रास मंडली ने रासलीला का अत्यंत नयनाभिराम व चित्ताकर्षक मंचन करके सभी को भाव-विभोर कर दिया।