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Voter’s Rights Tour : जनता से जुड़ने की कवायद या सियासी दांव ? राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा

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 विशेष रिपोर्टर -रवि नाथ दीक्षित 

बिहार।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 17 अगस्त 2025 को सासाराम (बिहार) से “वोटर अधिकार यात्रा” की शुरुआत की। यह यात्रा कुल 16 दिन, लगभग 1300 किलोमीटर और 20 जिलों से होकर गुजर रही है और 1 सितम्बर को पटना के गांधी मैदान में एक बड़ी जनसभा के साथ समाप्त होगी।

इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य विशेष पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के खिलाफ लोगों को जागरूक करना है। राहुल गांधी का आरोप है कि इस प्रक्रिया के जरिये बड़ी संख्या में गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के वोटर सूची से बाहर किए जा रहे हैं।

यात्रा का स्वरूप

यात्रा में कांग्रेस के साथ-साथ INDIA गठबंधन की कई पार्टियां (राजद, सीपीआई, भाकपा-माले आदि) शामिल हुईं। जगह-जगह राहुल गांधी का स्वागत बैनर, पोस्टर और जुलूस के रूप में किया गया। छोटे-छोटे नुक्कड़ सभाओं और जनसंवाद के जरिये लोगों से सीधा संवाद किया गया। यात्रा को कांग्रेस ने “जन आंदोलन” का रूप देने की कोशिश की।

यात्रा का जनता पर असर

1. जागरूकता में वृद्धि – ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में लोगों को वोटर सूची से नाम कटने के संभावित खतरे के बारे में जानकारी मिली। खासकर युवा और मजदूर वर्ग ने इसे गंभीरता से लिया।

2. राजनीतिक विश्वास – कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा और राहुल गांधी की छवि मजबूत होती दिखी। कार्यकर्ताओं को लगा कि पार्टी अब आक्रामक तरीके से जनता से जुड़ रही है।

3. जनसमर्थन – कई जिलों में लोगों ने खुले दिल से यात्रा का स्वागत किया और वोटर अधिकार की लड़ाई को अपनी लड़ाई बताया।

4. चिंता भी सामने आई – गरीब तबके के लोगों ने आशंका जताई कि अगर सही समय पर आवाज़ न उठी तो भविष्य में उनका वोट डालने का अधिकार ही छिन सकता है।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

एनडीए दलों ने इस यात्रा को “सियासी नौटंकी” बताया। बीजेपी नेताओं का कहना है कि चुनाव आयोग पर सवाल उठाना कांग्रेस की हताशा का नतीजा है। उनका तर्क है कि कांग्रेस जनता के बीच लोकप्रियता खो चुकी है, इसलिए इस तरह की यात्राओं का सहारा ले रही है।

यात्रा का राजनीतिक मायने

जनता में संदेश वोटर अधिकार को लेकर माहौल बना। कांग्रेस की छवि कार्यकर्ताओं और समर्थकों का हौसला बढ़ा। INDIA गठबंधन एकता का प्रदर्शन हुआ। विपक्षी हमला एनडीए ने इसे सियासी स्टंट बताया।

यात्रा पर समीक्षा

बिहार की यह वोटर अधिकार यात्रा केवल कांग्रेस के लिए चुनावी अभियान नहीं, बल्कि जनता के अधिकारों से जुड़ा मुद्दा बन चुकी है। राहुल गांधी ने इसे जनसंघर्ष का रूप देने की कोशिश की है।

जहां एक ओर जनता के बीच इसने वोटर अधिकार पर गंभीर चर्चा छेड़ी है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे महज राजनीतिक प्रदर्शन करार दे रहा है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस यात्रा का असर बिहार की सियासत और आगामी चुनावी समीकरणों पर कितना पड़ता है।

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