बच्चों को प्रकृति से जोड़ना होगा-देवेंद्र मेवाड़ी
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अल्मोड़ा,उत्तराखंड। बालप्रहरी तथा बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा आयोजित 500वें ऑनलाइन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध विज्ञान लेखक देवेंद्र मेवाड़ी ने कहा कि आज के दौर में बच्चे मोबाइल तथा इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों से जुड़े हैं। उन्हें प्रकृति तथा पुस्तकों से जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बच्चे अपनी पढ़ाई करें। अपनी रूचि के अनुसार भविष्य में अपनी मंजिल को पाएं। परंतु उनके मन में वैज्ञानिक सोच जाग्रत करने की जरूरत है। बच्चों के अंदर मानवीय मूल्यों के संचार करने तथा उन्हें सामाजिक सरोकारों से जोड़ने की जरूरत है।
‘बालप्रहरी और बालसाहित्य’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए बच्चों की प्रिय कविता ‘यदि पेड़ भी चलते होते’ कविता के लेखक प्रमुख बालसाहित्यकार डॉ. दिविक रमेश ने कहा कि बालसाहित्य केवल बच्चों के लिए नहीं होता है। ये बड़ों के लिए भी होता है। उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए उत्कृष्ट बालसाहित्य लिखा जा रहा है। इसे बच्चों तक कैसे पहुंचाया जाए। इस पर चिंतन मनन किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कल्पना के बगैर कोई साहित्य नहीं होता। परंतु बच्चों के लिए ऐसा साहित्य लिखा जाना चाहिए जो विश्वश्वनीयता के दायरे में हो।
प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए आयोजक मंडल के संरक्षक आकाश सारस्वत उप निदेशक शिक्षा विभाग उत्तराखंड ने कहा कि बालप्रहरी की ऑनलाईन कार्यशालाओं में बच्चे जहां साहित्य की विभिन्न विधाओं से जुड़ रहे हैं। वहीं संचालक,मुख्य अतिथि तथा अध्यक्ष बतौर उनमें नेतृत्व की भावना जाग्रत हो रही है।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ. राजेंद्र्प्रसाद स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय बरेली के शिक्षा संकाय विभागाध्यक्ष तथा बालसाहित्यकार डॉ. नागेश पांडेय ‘संजय’ ने कहा कि बालप्रहरी केवल एक पत्रिका नहीं बल्कि एक आंदोलन है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार बच्चों को स्कूलों में भोजन उपलब्ध करा रही है। इसके साथ ही जरूरी है कि स्कूल में बच्चों के लिए पुस्तकालय या बालसाहित्य का पीरियड भी हो।
एम.बी.राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय हल्द्वानी की हिंदी विभागाध्यक्ष साहित्यकार डॉ. प्रभा पंत ने कहा कि आज के अभिभावक अभिभावक बच्चों को पाठ्यक्रम से बाहर की पुस्तकें नहीं देना चाहते हैं। जबकि पाठ्यक्रम से बाहर की पुस्तकें तथा गैर शैक्षणिक गतिविधियों से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। उन्होंने कहा कि आज बच्चों को दोष दिया जाता है कि बच्चे मोबाइल की ओर आकर्षित हो रहे हैं। बच्चे पुस्तकों से दूरी बना रहे हैं। एक साहित्यकार, शिक्षक तथा अभिभावक बतौर यदि बड़े लोग पुस्तकें पढ़ने की आदत बनाएंगे तो बच्चे जरूर पुस्तकों से जुड़ेंगे।
संगोष्ठी के अंत में प्रसिद्ध बालसाहित्यकार एवं बालप्रहरी के संरक्षक श्यामपलट पांडेय ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बालप्रहरी की ऑनलाईन कार्यशालाओं में लगभग 36 विधाओं से बच्चों को जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि बालप्रहरी की दीर्घकाल से चल रही गतिविधियों में बच्चों के साथ ही अभिभावकों का महत्वपूर्ण योगदान है। कई अभिभावक व साहित्यकार प्रतिदिन समय निकालकर बच्चों का मनोबल बढ़ाते हैं
कार्यक्रम का संचालन आर्मी पब्लिक स्कूल अल्मोड़ा के कक्षा 7 के छात्र चैतन्य बिष्ट ने किया। सृष्टि आर्या कक्षा 7 (झांसी,उ.प्र.) तथा मंत्रिता शर्मा,कक्षा 4 (ग्वालियर,म.प्र.) ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. शकुंतला कालरा, हूंदराज बलवाणी, डॉ. प्रत्यूष गुलेरी, शील कौशिक, समीर गांगुली, फहीम अहमद, पवन चौहान, डॉ. गिरीश पांडेय ‘प्रतीक’, बलदाऊराम साहू, सुशीला शर्मा, हरीश सेठी ‘झिलमिल’, कृपालसिंह शीला, प्रकाश पांडे, सौम्या पांडेय,कैलाशचंद्र जोशी, पुष्पा आर्या,शिवदत्त तैनगुरिया, सुरेश सती,शशि ओझा, डॉ. महेंद्र राणा,शशिबाला श्रीवास्तवा, लोकमणी गुरूरानी,आशा पाटिल, नितिन पाठक,मोहनचंद्र पांडे, देवसिंह राना, सोनू उप्रेती, युगल मठपाल, शंकरदत्त तिवारी, संदीपकुमार जोशी, प्रियंका सांगा,, त्रिलोचन जोशी, हरदेवसिंह धीमान, रविप्रकाश केशरी,नीनासिंह सोलंकी, संजय जोशी, सुमित श्रीवास्तव, पूनम भूषण, हेमा नयाल, विनोद आर्य, हेमंत यादव, दीपा तिवारी, शिवराज कुर्मी, हेमंत चौकियाल, शोभा बिष्ट, पवन ,चिंतामणी जोशी, शोभा बिष्ट, एकात्मता शर्मा, दीपा तिवारी, गंगा आर्या आदि ने ऑनलाइन कार्यक्रम में भागीदारी की। कार्यक्रम के प्रारंभ में बालप्रहरी के संपादक एवं बालसाहित्य संस्थान सचिव उदय किरौला ने कार्यशाला की अवधारणा बताते हुए कहा कि बालप्रहरी की ऑनलाइन कार्यशालाओं से देश के 16 राज्यों के 2100 बच्चे जुड़े हैं। अभी तक लगभग 250 बच्चे संचालन कर चुके हैं। लगभग 1500 बच्चे अध्यक्ष तथा 150 बच्चे विशिष्ट अतिथि बतौर जुड़ चुके हैं। उन्होंने इसके लिए अभिभावकों का आभार व्यक्त किया ।