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यूपी पुलिस सिपाही भर्ती : न्याय अभी अधूरा है !

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PRESENTED BY AKASH YADAV 

उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा को रद्द कर दिया गया है। इसी महीने की 17 और 18 तारीख को इसका आयोजन किया गया था.।इस परीक्षा में 60 हजार पदों के लिए कुल 48 लाख अभ्यार्थियों ने आवेदन किया था और परीक्षा में शामिल हुए थे । मिल रही जानकारी के अनुसार, यूपी सरकार ने इस परीक्षा को इस वजह से रद्द किया है क्योंकि बीते कुछ समय से परीक्षा का पेपर लीक होने जैसी कई सूचनाएं बाहर आ रही थीं।9 इस पूरे मामले की जांच के लिए यूपी सरकार ने एक विशेष टीम गठित की है ।

यूपी सरकार ने इस प्रकरण में शामिल आरोपियों की पहचान करने और बाद में उन्हें सख्त से सख्त सजा दिलाने का भरोसा दिया है। परीक्षा रद्द करने का आदेश देने के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि ” यूपी पुलिस आरक्षी नागरिक पुलिस के पदों पर चयन के लिए आयोजित परीक्षा-2023 को निरस्त करने तथा आगामी 06 माह के भीतर ही पुन: परीक्षा कराने के आदेश दिए हैं।

परीक्षाओं की शुचिता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता. युवाओं की मेहनत के साथ खिलवाड़ करने वाले किसी भी दशा में बख्शे नहीं जाएंगे. ऐसे अराजक तत्वों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होनी तय है।” यूपी पुलिस की भर्ती को रद्द करके योगी सरकार ने लाखों अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है ।

पेपर लीक के दावों के बाद लाखों अभ्यर्थी परीक्षा रद्द करने और दोबारा परीक्षा करवाने को लेकर पिछले कुछ दिनों से सरकार पर भरसक प्रयास कर रहे थे। दबाव इतना ज्यादा था कि सरकार को अभ्यर्थियों की मांग के आगे झुकना पड़ा और परिक्षा को रद्द करने का फैसला लेना पड़ा।

मगर बात यहीं आकर खत्म नहीं होती। सरकार के ऊपर परीक्षा दर परीक्षा पेपर लीक के आरोप चस्पा होते रहे हैं और सरकार अभी तक अपने आपको इस जंजाल से निकालने में कामयाब होती नहीं दिखी है। इसने न सिर्फ अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में पड़ रहा है बल्कि सरकार की छवि भी धूमिल होती जा रही है ।

सरकार को चाहिए की नकल माफिया गिरोह के सरगना को पकड़ कर सलाखों के पीछे पहुंचाये पर अमूमन ऐसे मामलों में देखने को मिलता है कि जो बड़ी मछलियां हैं उन्हें बचाकर छोटी मछलियों को शिकार बना दिया जाता है जो सिर्फ मोहरा होते हैं । शायद इस कुव्यवस्था के तार इतने ऊपर तक फैला हुए हैं कि वहाँ तक कोई पहुँचना नहीं चाहता ।

ऐसे में इस पूरे पेपर लीक गिरोह का नेटवर्क टूट नहीं पाता है और पेपर दर पेपर यह पेपर लीक गिरोह फिर से सक्रिय हो जाता है और सरकार की साख पर बट्टा लगाने का काम करता है साथ ही लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का काम करता है ।

अब इस बार भी यह देखना दिलचस्प होगा की सरकार इस पूरे मामले में फिर वही पुराना पैटर्न अपनाते हुए छोटी मछलियों को ही दोषी बनाएगी या इस पूरे रैकेट को चलाने वाले सरगना को पड़कर अभ्यर्थियों के साथ न्याय करेगी।अगर सरकार ऐसा करने में कामयाब हुई तभी उसका 6 महीने के अंदर पूरे शुचिता के साथ दोबारा पेपर कराने उद्देश्य पूर्ण होगा।

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