विषय आमंत्रित रचना – कोरोना के बाद की स्थिति !
1 min readPRESENTED BY PRADEEP CHHAJER
हम जियें भय -मुक्त हो कर । न डरे मन से इस दुनिया में ।यहाँ किसी के चाहने से बुरा किसी का नहीं होता है । हमें मिलता है वही जो हमने बोया होता है । मौत से ज्यादा भयभीत है दुनियां सुनकर मौत की आहट से। वर्तमान की समस्या से अधिक चिंतित है आने वाले कल से।कमोबेश हर प्राणी की यही कहानी है । यही हकीकत है ।
हम इस सच्चाई को सही से आत्मसात कर सकें इसकी बङी जरूरत है। भयानक विकराल रूप लिए एक भूत ने कोरोना के रूप में पूरे विश्व मे अपनी दहशत फैला दी थी । फैला कर आतंक लाखो – लाखो लोगों को मौत के आगोश में सुला दिया था । उसका यह रूप देख कर लोग इतने भयभीत हो गए थे कि हल्की सी भी खांसी ,जुकाम , गला सुकना ,श्वास की तकलीफ आदि होते ही अपने आपको असुरक्षित महसूस करने लग जाते ।
रोग के प्रभाव को बढ़ाने में बन गए हम नहीं चाहते हुए भी सहायक। 100% नहीं पर 90 %लोग तो रोग से नहीं रोग के भय से ज्यादा प्रभावित हुए है । हम कोरोना से भयभीत न हों ।हम अपने आप को सुरक्षित रखते हुए सकारात्मक चिंतन के साथ इस समय को सम भाव से व्यवतीत करें । अतः वक्त के साथ हमें भी चलना होगा । फिर देखे क्या जीवन का नजारा होगा ।
आज कितना भी जीवन में अँधेरा हो कल फिर नया उजाला होगा ।फिर देखें पुनः हम सूर्य का उदय होगा । पुनः ऊँचाई पर जीवन होगा। इंसान हो या अन्य कुछ अन्य वस्तु किसी को अपने से छोटा आँकलन करने की भूल हमें नहीं करनी चाहिये।कभी-कभी छोटी सी वस्तु बहुत बड़ा काम कर देती है।
वर्तमान समय में इस कोरोना महामारी के दौरान बड़े कल कारख़ाने बंद हो गये थे उसी समय छोटे से मास्क ने करोड़ों का व्यापार किया और कर रहा है और साथ में इस महामारी से बचा भी रहा है।कोरोना वाइरस अदृश्य है ।इस वाइरस ने पूरी दुनियाँ में तबाही मचा रखी है।इसको हम्हें हल्के में नहीं लेना चाहिये। आज कोई आपके ओहदे में छोटा है । वह सम्पन्नता में छोटा है और रिश्ते में छोटा है।
तो उस समय आप यह क्यों भूल जाते हो कि सामने वाले की तुलना में आपके बराबर नहीं है इसलिए आप उससे बड़े कहलाने का हक़ प्राप्त किया है। समय सदा एक जैसा किसी का नहीं रहता हैं । कल तक जिसकी तूती बोलती थी वो आज फुटपाथ पे हो सकता है और कल तक जिसको कोई जानता नहीं था वो आज बड़ा आदमी बन गया।जैसे हमारे देश के प्रधान मंत्री मोदी जी।चाय बेचने वाला आज देश का प्रधान मंत्री।
इसलिए हमें जीवन में किसी को किसी भी क्षण छोटा समझने की भूल नहीं करना चाहिये । व्यक्ति को ऐसा जीवन जीना चाहिए जिससे चारों ओर परोपकार और सहयोग की भावना बढ़े। जिस तरह प्रकृति अपना सब कुछ निछावर कर देती है उसी प्रकार मनुष्य को भी यह सोचना होगा कि उसका जन्म मानव कल्याण के लिए हुआ है। मानवता यानि इंसानियत ।
जिस व्यक्ति में मानवता नहीं वह मानव के रूप में दानव है ।भगवान महावीर ,महात्मा गांधी, महर्षि दधीचि ,संतकबीर आदि ने अपना सारा जीवन मानव कल्याण में समर्पित कर दिया था। उन्होंने केवल अपना सुख नहीं देखा बल्कि सबके सुख की कामना की। हमें भी अपना स्वार्थ त्याग कर एक-दूसरे के प्रति मानवता का परिचय देना चाहिए खासकर इस कोरोना काल या इस जैसे और किसी संकट में। मानव में सोचने , समझने की शक्ति है तो मानव को मानवता का फर्ज निभाना भी चाहिए।