ARTICLE : नई ऊंचाई पर भारत-आस्ट्रेलिया संबंध…
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PRESENTED BY ARVIND JAYTILAK
गत दिवस पहले भारत और आस्ट्रेलिया ने दूसरी टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता के जरिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र समेत दुनिया भर में गहराती गंभीर चुनौतियों से मिलकर निपटने का आह्नान कर पुनः रेखांकित किया है कि दोनो दोस्त अंतर्राष्टीय मसले पर कंधा जोड़ने को तैयार हैं। दोनों देशों ने सूचना आदान-प्रदान के साथ समुद्री व रक्षा क्षेत्र में मिलकर काम करने की हामी भरी है।
आस्ट्रेलिया ने चीन को व्यापारिक भागीदार के साथ अपने व भारत के लिए सबसे बड़ा सुरक्षा खतरा भी कहा है। भारतीय विदेश मंत्री की मानें तो विगत वर्षों दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में तेजी आई है। दोनों देशों ने स्वीकार किया कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी न सिर्फ दोनों देशों के लिए लाभकारी होगी बल्कि हिंद-प्रशांत की समग्र शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण होगी। गौर करें तो दोनों देशों के बीच रिश्ते लगातार प्रगाढ़ हो रहे हैं।
याद होगा मई माह में तीन देशों की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आस्ट्रेलिया गए थे। तब उन्होंने दोनों देशों के रिश्ते को परिभाषित करते हुए कहा था कि अब दोनों देशों के रिश्ते ‘ट्रिपल सी’ यानी काॅमनवेल्थ, क्रिकेट और करी तक सीमित नहीं है। बल्कि दोनों देशों के रिश्तों का आयाम बहुत व्यापक है। भले ही दोनों देश भौगोलिक रुप से दूर हैं लेकिन ऐतिहासिक संबंधों के डोर से बंधे हुए हैं। तब आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने भी कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी बाॅस हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को उस अमेरिकी गायक ब्रूस स्प्रिंगस्टीन से भी ज्यादा बड़ा राॅकस्टार बताया जिसे सुनने के लिए आस्ट्रेलिया यूथ उमड़ पड़़ा था। अल्बनीज मोदी के इस कदर मुरीद हुए थे कि उन्होंने सिडनी के उपनगर हैरिस पार्क को ‘लिटिल इंडिया’ घोषित करने का एलान कर दिया था। गौरतलब है कि हैरिस पार्क पश्चिमी सिडनी में एक केंद्र है जहां भारतीय समुदाय दिवाली और आस्ट्रेलिया दिवस जैसे त्यौहार और कार्यक्रमों को उल्लास से मनाता है।
दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्ते लगातार परवान चढ़ रहे हैं। अभी पिछले वर्ष ही आस्ट्रेलिया संसद ने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को मंजूरी दी। खुद आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने ट्वीट किया कि भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता संसद से पारित हो गया। इस समझौते के बाद कपड़ा, चमड़ा, फर्नीचर, आभुषण और मशीनरी सहित भारत का तकरीबन 6000 से अधिक उत्पाद आस्ट्रेलियाई बाजारों में शुल्क मुक्त पहुंचने लगा है। भारतीय नागरिकों के लिए वीजा आसान हो गया है।
गौर करें तो पिछले दो दशकों में भारत में आस्टेªलिया द्वारा द्वारा किया गया स्वीकृत पूंजी निवेश काफी महत्वपूर्ण रहा। 1991 से लेकर अभी तक भारत सरकार आस्ट्रेलिया के कई सैकड़े संयुक्त उद्यमों को स्वीकृति प्रदान की है। वहीं भारत की सूचना तकनीक से जुड़ी कई महत्वपूर्ण कंपनियों ने आस्ट्रेलिया में वाणिज्य एवं कई संगठनों को अच्छी सुविधाएं प्रदान करने हेतु अपने कार्यालय खोल दिए हैं। इन कंपनियों के आॅफिस अधिकतर सिडनी में हैं।
इनमें से आईआईटी, एचसीएल, टीसीएस, पेंटासोफ्ट, सत्यम, विप्रो, इंफोसिस, ऐपटेक, वल्र्डवाइड, आइटीआइएल, महेंद्रा ब्रिटिश टेलकाॅम लिमिटेड, मेगा साॅफ्ट आस्ट्रेलिया प्राइवेट लिमिटेड एवं जेनसार टेक्नोलोजिज इत्यादि प्रमुख कंपनियां हैं। मेलबोर्न में विंडसर होटल भी ओबेराॅय होटल समूह का होटल है। टाईटन घड़ियों ने सिडनी में अपना शो रुम खोल दिया है। क्वीनजलैंड में पेसिफिक पेंट कंपनी को एशियन पेंट ने खरीद लिया है।
स्टालाइट कंपनी ने माउंट लोयला में दो तांबे की खानें खरीद ली है। एयर इंडिया, आईटीडीसी, स्टेट बैंक तथा न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी ने आस्ट्रेलिया में अपने कार्यालय खोल लिए हैं। इसी तरह आस्ट्रेलिया के वाणिज्य कर्मियों ने भी भारत में अपना कार्य शुरु कर दिया है। एएनजेड ग्रिंडले बैंक अपनी पांच दर्जन शाखाओं के साथ भारत में किसी भी विदेशी बैंक से सबसे बड़ा बैंक बन गया है।
आस्ट्रेलिया की अन्य महत्वपूर्ण कंपनियां जो भारत में कार्यरत हैं उनमें आरटीजेड, सीआरए, नेशनल म्यूच्अल, क्वांटास, कोटी कार्पोरेशन, जोर्ड इंजीनियरिंग प्रमुख हैं। विज्ञान एवं तकनीकी समझौते के अंतरगत दोनों देश वित्तीय, शिक्षा सेवाओं, पर्यावरण, कंप्यूटर साॅफ्टवेयर, संचार, रद्दी पदार्थ प्रबंधन, फसल वायरस, रासायनिक खादों का परीक्षण तथा खाद्यान्न इत्यादि क्षेत्रों में मिलकर सुचारु रुप से काम कर रहे हैं।
दोनों देश द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग के साथ-साथ बहुपक्षीय मंचों जैसे आसियान, हिंद महासागर रिम, विश्व व्यापार संगठन इत्यादि पर भी सहयोगात्मक संबंध विकसित किए हैं। आस्ट्रेलिया भारत के इस दृष्टिकोण का हमेशा समर्थन किया है कि विश्व के वित्तीय निर्णय-निर्धारक फोरमों का स्वरुप प्रजातांत्रिक और प्रतिनिध्यात्मक होना चाहिए। वह हमेशा भारत के साथ द्वि-पक्षीय व्यापक संबंधों को आगे बढ़ाने की वकालत की है।
अतीत के गर्भ में जाएं तो शीतयुद्ध के दौरान दोनों देशों के बीच संबंध आकर्षणपूर्ण नहीं रहे। उपनिवेशवाद से एक लंबे संघर्ष के बाद जब भारत स्वतंत्र हुआ तब उसने सैन्य गठबंधनों से दूर रहने के लिए गुटनिरपेक्षता की नीति अपनायी तो आस्ट्रेलिया ने भारत की इस नीति को मूर्खतापूर्ण करार दिया। लेकिन देखा गया कि आस्ट्रेलिया में जब-जब मजदूर दल का शासन आया तब-तब दोनों देशों के संबंधों में निखार आया।
1991 के बाद दो ऐसी घटनाएं (शीतयुद्ध का अंत और भारत में आर्थिक सुधार की प्रक्रिया) घटी जिससे दोनों देश एकदूसरे के निकट आ गए, जिसका परिणाम यह हुआ कि दोनों देशों के बीच आर्थिक कारोबार आसमान छूने लगा। मौजूदा समय में आस्टेªलिया के निर्यात का छठा सबसे बड़ा गंतव्य-स्थान भारत ही है जिसमें कोयला, सोना एवं शिक्षा जैसी सेवाएं शामिल है।
दोनों देश व्यापक ज्ञान भागीदारी के सृजन हेतु भी काम कर रहे हैं जिसमें प्राथमिक स्कूल से विश्वविद्यालय स्तर तक की शिक्षा में संयुक्त सहयोग परियोजनाओं सहित विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान कार्य शामिल है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग इस भागीदारी का अहम अवयव है। गत वर्ष पहले आस्ट्रेलिया के विदेशमंत्री ने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुत्थान की भारतीय पहल की सराहना की और कहा कि यह महत्वपूर्ण कदम सहिष्णुता और समायोजन के मूल्यों को प्रोत्साहित करता है जिसका आस्ट्रेलिया आदर करता है।
अंतर्राष्ट्रीय मंचों की बात करें तो आस्टेªलिया सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता पाने के भारतीय दावे का पहले ही पूर्ण समर्थन कर चुका है। इसके अलावा वह ‘एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग संगठन’ में वर्ष 2010 में सदस्यता निरोध समाप्त हो जाने पर भारत को सदस्यता प्रदान किए जाने का समर्थन किया। स्वच्छ विकास एवं जलवायु पर एशिया प्रशांत भागीदारी के अंतर्गत दो दर्जन से अधिक संयुक्त आस्ट्रेलिया-भारत परियोजनाएं महत्वपूर्ण योगदान कर रही हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक में भी भारतीय सुझावों का समर्थन कर चुका है। दोनों देश आतंकवाद से मिलकर लड़ने के संकल्प को मूर्त रुप देने के साथ-साथ क्वाड में भागीदारी और सीमा पार की कई गैर-सैन्य समस्याओं मसलन नशीले पदार्थों की तस्करी, दस्युता, समुद्री संचार की स्वतंत्रता, लघु शस्त्रों के निर्यात, विश्व व्यापार संगठन के प्रतिबंधों के संदर्भ में समान रणनीति पर काम कर रहे हैं।
दोनों देश व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर मुहर लगाते हुए ट्रेड व इन्वेस्टमेंट, डिफेंस व सिक्योरिटी, एजुकेशन एंड इनोवेशन तथा साइंस एवं टेक्नोलाॅजी के क्षेत्र में भी मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जता चुके हैं । आस्ट्रेलिया अपने एलान के मुताबिक प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष समेत अलग-अलग क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए 28 करोड़ अमेरिकी डाॅलर का निवेश के साथ 89 लाख डाॅलर भारत में निवेश कर रहा है। इसके अलावा वह 1.72 करोड़ अमेरिकी डाॅलर में आस्ट्रेलिया-भारत सामरिक अनुसंधान कोष का विस्तार करने और 3.57 करोड़ डाॅलर का निवेश ग्रीन स्टील पार्टनरशिप, क्रिटिकल मिनरल रिसर्च पार्टनरशिप और अंतर्राष्ट्रीय उर्जा एजेंसी में सहयोग की दिशा में आगे बढ़ा है।
विश्व स्तर पर भू-सामरिक एवं भू-आर्थिक संदर्भों में भी दोनों देश कंधा जोड़े हुए हैं। परपरांगत लगाव और द्विपक्षीय विवादास्पद मुद्दों के बावजूद भी दोनों देश सुरक्षा एवं विश्व व्यवस्था के संदर्भ में निर्णायक भूमिका निभाने को तैयार हैं। दोनों देशों के बीच शानदार मधुर रिश्ते के बावजूद दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य यह कि आस्ट्रेलिया में प्रजातिय हमले बढ़ रहे हैं। उसका सर्वाधिक शिकार भारतीय नागरिक बन रहे हैं।
आस्ट्रेलिया सरकार को ऐसे हमले को रोकना होगा। इसलिए और भी कि वर्तमान में अमेरिका के बाद विदेश में भारतीय विद्यार्थियों की सबसे अधिक संख्या आस्ट्रेलिया में ही है। उम्मीद है कि दूसरी टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता से न सिर्फ व्यापार-कारोबार और निवेश की दिशा में प्रगति होगी बल्कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और भावनात्मक लगाव भी बढ़ेगा।