SPECIAL NEWS : दीपावली में आज भी बनते हैं मिट्टी के घरौंदे
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AMETHI NEWS I
दीपावली के दिन गांवों में आज भी कायम है मिट्टी के घरौंदा बनाने की परंपरा। दीवाली पर लक्ष्मी पूजन ,गणेश पूजन व रंगोली बनाने जैसी कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं, इसी तरह एक परंपरा है दिवाली पर मिट्टी का घरौंदा बनाने और उसे सजाने की।
यह परंपरा गांव से लेकर शहरों तक प्रचलित थी किंतु आज चकाचौंध के दौर में घरौंदा बनाने की परंपरा धीरे-धीरे विलुप्त सी होती जा रही है।
बताते चलें तिलोई ग्राम पंचायत के कुमारगंज ( पूरे पत्थरकटा ) व सिंहपुर ब्लाक के अंतर्गत बहादुरपुर मजरे रस्तामऊ में भी अधिकांश घरों में घरौंदा बनाने की परंपरा आज भी प्रचलित है । यहां के लोगों का कहना है कि इसे हम हर साल बना कर संतुष्ट हैं किंतु खेद है कि आम आदमी पुरानी परंपराओं से दूर होता जा रहा है।
पौराणिक कथा के अनुसार 14 वर्षों के वनवास के बाद कार्तिक माह की अमावस्या के दिन भगवान श्री राम ,सीता और लक्ष्मण के साथ जब अयोध्या लौटे थे तब लोगों ने उनके स्वागत में घरों में घी के दीए जलाए थे, कुछ लोगों ने इसी दिन मिट्टी का घरौंदा ( घर छोटा )भी बनाया था और उसे कई तरह से सजाया था जिसका अलग महत्व है।
घरौंदा बनाने से घर में होता है लक्ष्मी का वास
मान्यता है कि मिट्टी के घरौंदा बनाने से घर में लक्ष्मी का वास होता है साथ ही सुख और समृद्धि मिलती है।यह परंपरा शहरों में तो बिलुप्त सी हो गई है किंतु गांवों में भी परम्पराएं टूट रही हैं ।
पूरे कौहली मजरे चिलूली निवासी पंडित बृजेश मिश्रा शास्त्री बताते हैं कि भगवान श्री राम को जब 14 वर्षों का वनवास हुआ था तब अयोध्या वासियों ने घर में दीपक न जलाकर घर के पास ही मिट्टी का घरौंदा बनाकर दीपक जलाया था ।
मान्यता कुछ भी हो ,गांव हो या शहर अपने घरों में घरौंदा बनाने की एक अलग पहचान हुआ करती थी किंतु आधुनिकता के चकाचौंध में मिट्टी के घरौंदा बनाने की परंपरा अब कम दिखाई पड़ती है ।हमें अपनी पुरानी संस्कृति व परम्पराओं को अक्षुण्ण बनाए रखने की आवश्यकता है।