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पुलिस उत्पीड़न पर दलित पीड़ित पहुंचा न्यायालय की शरण में

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REPORT BY VPS KHURANA

MATHURA NEWS।

नियम और कानून को ताक पर रखकर मनमानी करने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस का दलितों के प्रति जो रवैया चल रहा है, वह किसी से छुपा हुआ नहीं है। जनपद के थाना जैत पुलिस ने दलित उत्पीड़न के मामले में न्यायालय एससी एसटी एक्ट से जारी वारंट के आरोपी झोलाछाप डॉक्टर के धन बल के प्रभाव के आगे नतमस्तक होते हुए पीड़ित को राजीनामा के लिए तैयार करने को 08 दिन तक अवैध हिरासत में रखा गया I

अधिकारियों के संज्ञान में मामला होने के बावजूद पुलिस अपनी मनमानी करती रही एक सामाजिक संगठन के द्वारा आंदोलन की चेतावनी के बाद पीड़ित को पुलिस ने रिहा किया। जानकारी के अनुसार छीतर सिंह पुत्र खेमा जाटव निवासी तरौली जनुवी थाना छाता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से विशेष न्यायाधीश एससी एसटी एक्ट के न्यायालय में 156( 3) के तहत प्रार्थना पत्र देकर थाना प्रभारी जैत अजय वर्मा सहित आधा दर्जन लोगों पर आरोप लगाया है। उसके पुत्र बनवारी लाल को थाना पुलिस 12 अक्टूबर को अवैध रूप से हिरासत में लेकर तथाकथित आरोप लगाते हुए 8 दिन तक अवैध विरासत में रखा गया।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद और अखिल भारतीय समता फाऊंडेशन के द्वारा आंदोलन की चेतावनी के बाद छोड़ा गया। पीड़ित के अधिवक्ता ताराचंद एडवोकेट ने बताया इस मामले में विशेष न्यायाधीश एससी एसटी एक्ट के यहां वाद दायर किया गया है जिस पर 21 नवंबर को पुलिस से जवाब मांगा गया है । पीड़ित के अधिवक्ता ने बताया बनवारी लाल की पत्नी कथित झोलाछाप डॉक्टर मुकेश ठाकुर के गलत इंजेक्शन लगाने के चलते मृत्यु हो गई थी।

इस मामले में न्यायालय के द्वारा कथित डॉक्टर को तलब किया गया इस मामले में समझौता के लिए पीड़ित पर दवा बनाने के उद्देश्य से बनवारी लाल को थाना प्रभारी को अपने धनवल और राजनीतिक प्रभाव के चलते गिरफ्तार करा दिया गया था, तमाम कार्रवाई के बाद अधिकारियों के दबाव में 8 दिन बाद बनवारी लाल को अवैध हिरासत से रहा किया गया था।

इस प्रकरण में आला अधिकारियों के द्वारा थाना प्रभारी और अन्य लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई मजबूरन पीड़ित ने न्यायालय की शरण ली है। प्रश्न यह है राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सर्वोच्च न्यायालय सभी ने डायरेक्शन दे रखे हैं।

इसके बावजूद पुलिस अपनी कार्यशैली में आखिर बदलाव क्यों नहीं ला रही है, देखना है आला अधिकारी मामले से जुड़े हुए लोगों के विरुद्ध कोई कार्रवाई कर पाएंगे।

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