प्रेम के भाव को अपनाने से सुकूनमयी होगा कुल संसार – सुदीक्षा जी महाराज
1 min readREPORT BY PRAVIN KUMAR SHRIVASTAVA
SAMLAKHA ,HARIYANA I
तीन दिवसीय 76वें निरंकारी समागम बिधिवत रूप से संपन्न हुआ I “सभी में इस परमात्मा का रूप देखते हुए सबके साथ प्रेम का भाव अपनाने से ही संसार में सुकून स्थापित हो सकता है।’’ यह प्रतिपादन निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने 76वें वार्षिक निरंकारी समागम के समापन सत्र में उपस्थित विशाल मानव परिवार को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।
हरियाणा के महामहिम राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने समागम में पधारकर सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर उन्होंने अपने भावों को अभिव्यक्त करते हुए सभी निरंकारी भक्तों को समागम की शुभकामनाएं दी। साथ ही मिशन द्वारा समय समय पर किए जा रहे जनकल्याण के कार्यों हेतु भूरि भूरि प्रशंसा की।
निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा (हरियाणा) में पिछले तीन दिनों से हर्षोल्लास एवं आनंदमयी वातावरण में आयोजित हुए इस दिव्य संत समागम का आज सफलतापूर्वक समापन हुआ।
सत्गुरु माता जी ने आगे फरमाया कि संसार में प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक रूप में जो बहुमुखी विभिन्नता देखने को मिलती है यह इसकी सुंदरता का प्रतीक है। इस सारी रचना का रचियता एक ही निराकार परमात्मा है और उसी का अक्स, उसी का नूर हर किसी के अंदर समाया हुआ है।
सबके अंदर समाये हुए इस परम तत्व का जब हम दर्शन कर लेते हैं तब सहज रुप में एकता के सूत्र को अपनाते हुए हमारा दृष्टीकोण और विशाल हो जाता है। फिर हम संस्कृति, खान-पान या अन्य विभिन्नताओं के कारण बने ऊँच-नीच के भाव से परे होकर सभी के अंदर इस निरंकार का नूर देखते हुए सभी से प्रेम करने लगते हैं।
सत्गुरु माता जी ने निरंकारी भक्तों का आह्वान करते हुए कहा कि इस संत समागम से उन्हें जो सुकून एवं अलौकिक आनंद प्राप्त हुआ है उसे संजोकर अपने जीवन में धारण करते हुए हर मानव तक पहुंचाये।
समापन सत्र में समागम समिति के समन्वयक पूज्य श्री जोगिंदर सुखिजा जी ने सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता जी का हृदय से धन्यवाद किया क्योंकि उन्हीं के दिव्य आशिषों से यह पावन सन्त समागम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। साथ ही उन्होंने विभिन्न सरकारी विभागों का भी उनके बहुमूल्य सहयोग हेतु आभार व्यक्त किया।
बहुभाषी कवि दरबार
समागम के अंतिम सत्र में ‘सुकून – अंतर्मन का’ इस विषय पर आयोजित बहुभाषी कवि सम्मेलन सभी श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा। इस कवि दरबार में देश-विदेश से आये हुए लगभग 25 कवियों ने अपने सुंदर भावों को हिंदी, पंजाबी, उर्दू, नेपाली, मराठी एवं अंग्रेजी भाषाओं में अपनी अपनी कविताओं के माध्यम से प्रस्तुत किया।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष समागम के प्रथम दिन बाल कवि दरबार एवं दूसरे दिन महिला कवि दरबार का भी आयोजन किया गया जिसका सभी भक्तों ने भरपूर आनंद प्राप्त किया।