सफलता की कसौटी पर कसा राष्ट्रीय पोषण मिशन !
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नीरज सिंह-
देश में 01 से 30 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण माह मनाया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशानुसार माह सितम्बर को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। पोषण अभियान एक बहु-मंत्रालयी कन्वर्जेन्स मिशन है, जो प्रधानमंत्री जी के विजन ’सुपोषण भारत’ (कुपोषण मुक्त भारत) पर आधारित है। पोषण अभियान की शुरुआत 8 मार्च 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राजस्थान के झुंझुनूं में महिला दिवस के अवसर पर केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना का जिसमें कुपोषित बच्चों को सुपोषित बनाने के लिए अभियान शुरू किया जाएगा का शुभारंभ किया था। जिसमें महिलाएं एवं 0-6 तक के बच्चे लाभार्थी की श्रेणी हैं I केंद्र सरकार ने इसके 2017-18 के बजट में अगले तीन साल के लिए 9046.17 करोड़ देकर राष्ट्रीय पोषण मिशन (एन एन एम) स्थापना की गई। पोषण अभियान के प्रभावशाली क्रियान्वयन हेतु जन आन्दोलन और सामुदायिक भागीदारी से सम्पन्न कराया जा रहा हैं। जिसमें सम्बन्धित विभागों के समन्वय से ग्रामीण स्तर पर ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में गठित ग्राम पंचायत की विभिन्न समितियों के माध्यम से पोषण पंचायत आयोजित करते हुए पोषण अभियान को जन आन्दोलन से जन भागीदारी की ओर उन्मुख किया जायेगा। इसमें पोषण पंचायत, पोषण जन आंदोलन तथा कन्वर्जेन्स के माध्यम से आंगनवाडी केन्द्र को ’सक्षम’ आंगनबाड़ी केन्द्र बनाने की प्रकिया पर विशेष महत्व दिया जायेगा। भारत सरकार द्वारा पोषण 2.0 के अन्तर्गत इस वर्ष के पोषण माह का मुख्य फोकस अंतर्विभागीय समन्वय स्थापित करते हुये पंचायत स्तर पर पोषण गतिविधियों को संपादित की जानी हैं। पोषण माह हेतु मुख्य थीम जैसे- महिला और स्वास्थ्य, बच्चा एवं शिक्षा पोषण भी पढ़ाई भी, लैंगिक संवेदनशीलता आधारित पेयजल संरक्षण एवं प्रबन्धन, जनजातीय क्षेत्रों में महिलाओं एवं बच्चों हेतु परम्परागत खाद्य समूह का प्रोत्साहन आदि पर आधारित है। उक्त सभी थीम पर कार्य करने हेतु आई०सी०डी०एस० के साथ-साथ अन्य विभाग यथा स्वास्थ्य, पंचायती राज, शिक्षा, ग्राम्य विकास विभाग की अहम भूमिका है। पोषण माह के दौरान विभिन्न गतिविधियां संपादित की जायेंगी। जिसमें पोषण पंचायत का गठन व क्रियाशीलता तथा पोषण पंचायत के माध्यम से पोषण गतिविधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना, संभव अभियान का आयोजन, स्वस्थ्य बालक-बालिका प्रतियोगिता का आयोजन, स्कूल केन्द्रित गतिविधियां जैसे-स्कूलों में पोषण मेले का आयोजन, निबन्ध प्रतियोगिता, आंगनबाड़ी केन्द्र एवं सामुदायिक भूमि पर पोषण वाटिका को बढ़ावा देना तथा जन आन्दोलन के माध्यम से संवेदीकरण आदि कार्य सम्पादित किये जायेंगे।इसी क्रम में राष्ट्रीय पोषण माह सितम्बर के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा 16 सितम्बर को पूर्वान्ह् 11:00 बजे से ऑडिटोरियम लोक भवन लखनऊ में 199 आंगनबाड़ी केंद्रों का शिलान्यास किया गया। इसी 501 आंगनबाड़ी केंद्रों का लोकार्पण के साथ-साथ दो पुस्तकों यथा प्रदेश के आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के क्षमता वृद्धि तथा गृह भ्रमण में परामर्श की गुणवत्ता हेतु ’’सक्षम’’ (पोषण मैनुअल) तथा विभाग द्वारा विगत 5 वर्षों की उपलब्धियों विषयक पुस्तिका ’’सशक्त आंगनबाड़ी’’ का विमोचन किया गया। इसके अतिरिक्त आंगनबाड़ी केंद्रों के सहयोगात्मक पर्यवेक्षण हेतु ’’सहयोग’’ मोबाइल ऐप तथा 03 से 06 वर्ष के बच्चों हेतु ई0सी0सी0ई0 आधारित ’’बाल पिटारा’’ मोबाइल ऐप का लांच भी मुख्यमंत्री जी के द्वारा किया गया।
एक आरटीआई के जरिए मिली जानकारी के अनुसार 14 अक्टूबर 2021 से पहले तक भारत में करीब 33 लाख कुपोषित बच्चे थे I मंत्रालय के अनुसार यह संख्या आने वाले समय में बढ़ भी सकती है फिलहाल कि सरकार सरकार इस तरफ ध्यान दे रही है जिससे कुपोषण पर नियंत्रण अवश्य लगेगा अगर योजना पूर्ण रूप से धरातल पर उतरती है I भारत सरकार से लेकर राज्य सरकार इस मिशन पर पूरी तत्परता से जुटे हुए हैं इसी का नतीजा है कि आज सितंबर माह 2022 को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है I ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भी भारत का स्थान नीचे गिरा है जो की चिंता का विषय है केंद्र की कपड़ा मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी विगत 27 अगस्त को अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी में सभा स्वीकार किया कि कुपोषण से बच्चे ग्रस्त हैं। और बताया कि इस जिले में ही 1736 बजे कुपोषण से प्रभावित हैं। उन्होंने आवाहन किया कि समाज में एक भी बच्चा कुपोषित ना रहे। देश में इस अभियान में केरल में सबसे अच्छा कार्य किया है वही देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में इसका सबसे खराब प्रदर्शन रहा है I 16 सितंबर को पोषण मिशन कार्यक्रम के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि माँ स्वस्थ्य रहेगी तो बच्चे कुपोषित नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि विगत पांच वर्ष के परिश्रम का फल है कि कि आज प्रदेश में बच्चों की मृत्यु दर काफी कम हुई है। कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या में बड़ी मात्रा में कमी हुई है I पोषण निगम के राज्य पोषण निगम के निदेशक कपिल देव सिंह का कहना है कि प्रदेश में बच्चों गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं सहित करीब 115 लाख से अधिक लाभार्थियों को पूरा पोषण दिया गया है । अगर विश्लेषकों की मानें तो प्रदेश में 5 बच्चों में से दो को कद की समस्या है ,और हर तीसरा बच्चा वजन में कम है, जो कि एक चिंता का विषय है I देश में विगत 2 वर्षों में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य परिवार सर्वेक्षण में मिले आंकड़ों में कुछ प्रगति नजर आ रही है, जो कि यह दर्शाता है कि राष्ट्रीय पोषण मिशन के सकारात्मक परिणाम आने शुरू हो गए हैं I