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रिश्वत लेते चकबंदी लेखपाल रंगेहाथ गिरफ्तार, मचा हड़कंप

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गाजीपुर। भ्रष्टाचार के कारनामे थमने का नाम नहीं ले रहा है I देश हो या प्रदेश कहीं न कहीं छोटे से बड़े पैमाने तक रोजाना भ्रष्टाचार के कारनामे देखने को मिलते हैं । भ्रष्टाचार हमारे समाज को दीमक की तरह चाट रहा है, और खोखला बना रहा है आजकल सारा सिस्टम भ्रष्टाचार के ही इर्द्द-गिर्द घूम रहा है, देश की सरकार हो या प्रदेश की सरकार चाहे जितनी जतन कर रही है,  लेकिन भ्रष्टाचार रूपी राक्षस खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है I ऐसा नहीं है कि कार्यवाही नहीं हो रही है I भ्रष्टाचार एक तरह से कैंसर की तरह है, जिसका ऑपरेशन कर दो तो और और भी बढ़ने लगता है । वही हाल भ्रष्टाचार की है, कार्यवाही जितनी हो रही है ,उससे कहीं अधिक मामले भ्रष्टाचार सामने आ रहे हैं I  एक तरह से यह कहे कि मानव के रगो में खून की तरह दौड़ रहा है I एक सोच बन गई है कि भ्रष्टाचार पर कि बिना कोई काम बिना लेनदेन की हो ही नहीं सकता है I इसी कड़ी में भ्रष्टाचार मुक्त यूपी का नारा देने वाली योगी सरकार के मुख्य दूत माने जाने वाले डीएम की नाक के नीचे चकबंदी लेखपाल को एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने रंगे हाथ धर दबोचा और उसे थाने ले जाकर जेल भेज दिया।
कलेक्ट्रेट परिसर के बाहर ऐसी घटना होने के बाद हड़कंप मच गया। चकबंदी लेखपाल सूरज सैदपुर क्षेत्र देखते हैं। उनके खिलाफ बहरियाबाद के बबुरा निवासी एक व्यक्ति ने शिकायत की थी। उन्होंने बताया कि चकबंदी के आदेश के बावजूद लेखपाल द्वारा काम करने के लिए 10 हजार रूपए की रिश्वत मांगी जा रही थी। जिसके बाद टीम प्रभारी उपेंद्र सिंह यादव ने जाल बिछाया। इसके बाद पीड़ित को लेखपाल ने डीएम कार्यालय के गेट संख्या दो के बाहर स्थित एक दुकान पर बुलाया। वहां उसने केमिकल लगे नोटों को लेखपाल को दिया। जैसे ही उसने नोट दिया, वहां सादे कपड़ों में मौजूद एसीबी की टीम ने लेखपाल को दबोच लिया और साथ ले गए।वहां हाथ धुलवाने पर हाथ लाल हो गया। जिसके बाद कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद लेखपाल पर कार्रवाई की गई।
इधर डीएम की नाक नीचे ऐसी वारदात होने की जानकारी मिलते ही पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। लोगों का कहना है कि एक जिलाधिकारी को सीएम का दूत ही माना जाता है। ऐसे में ये उसकी हिम्मत ही है कि वो डीएम के नाक के नीचे उनके ही विभाग का कर्मी रिश्वत ले रहा है। टीम में संध्या सिंह, उपेंद्र सिंह यादव, विनोद कुमार यादव, मुख्य आरक्षी शैलेंद्र कुमार राय, सुनील कुमार यादव, पुनीत कुमार सिंह आदि रहे। भ्रष्टाचार के विरूद्ध एंटी करप्शन की इस कार्रवाई से भ्रष्टाचारियों में डर अवश्य पैदा हो गया है I लेकिन यह कब तक रहेगा,  यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा  I भ्रष्टाचार के विरूद्ध एंटी करप्शन की इस कार्रवाई से भ्रष्टाचारियों में डर अवश्य पैदा हो गया है I लेकिन यह कब तक रहेगा यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा Iइस तरह की कार्यवाहियों से भ्रष्टाचार में कमी अवश्य आएगी। इन भ्रष्टाचारी दानवों पर लगाम लगाया जा सके और आमजनों के कार्य आसानी से हो सके। और भ्रष्टाचारी सिस्टम से छुटकारा मिल सके I

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