कैंसर रोग के प्रति जागरूक बने………..
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कैंसर एक गंभीर बीमारी है। एक ओर जहां प्रारंभिक स्तर पर इसका पता चलते ही इसका इलाज आसानी से हो जाता है ,वहीं दूसरी ओर देर से पता चलने पर कैंसर से बचाव का इलाज उतना ही विकट हो जाता है।आज के इस आधुनिक युग में भले ही हम विकास के नाम पर बहुत आगे बढ़ चुके हो लेकिन तमाम मेडिकल सुविधाओं ,उन्नत चिकित्सा पद्धति विकसित होने के बावजूद कैंसर के प्रभावी इलाज को नहीं ढूंढा जा सका है।
यह बात दीगर है कि इस भयंकर बीमारी में जो इलाज अभी उपलब्ध है उसके द्वारा रोगी को कुछ महीनों, कुछ साल के लिए मृत्यु से बचाया जा सकता है लेकिन मृत्यु को टाला नहीं जा सकता। इस दौरान इलाज कराते कराते रोगी के परिजन भी आर्थिक व मानसिक रूप से पूरी तरह टूट जाते हैं इस आशा में कि फलां डॉक्टर अच्छा है और फलां अस्पताल अच्छा है ,मेरे रोगी को कैंसर से ठीक कर देगा। परिजन रोगी के जीवन के अंत तक दौड़ते भागते ही रहते हैं ।
कैंसर से बचाव और इसके प्रभावी उपचार में मरीज की इच्छा शक्ति और इसके बारे में जागरूकता ही इससे बचाव का सबसे बड़ा व कारगर उपाय है। इस को ध्यान में रखते हुए कुछ ऐसी हिदायतों का यहां जिक्र करना उचित होगा जिनको अपनाकर स्वयं रोगीऔर उसके परिजनों का मनोबल भी ऊंचा रहता है और रोगी कैंसर का इलाज अच्छी तरह से कर सकता है।
रोगी अपनी प्रत्येक छोटी, बड़ी पीड़ा जो वह अनुभव कर रहा है उसे जरूर अपने परिजन व डॉक्टर को बताएं कभी भी यह न सोचे कि इस बीमारी में शायद ऐसा ही होता होगा या फिर अपने परिजनों को परेशान न करने के लिए इस पीड़ा को सहन करने की आदत डाल ले क्योंकि इस से रोगी केवल अपने रोग को बढ़ावा देता है इसका इलाज और भी कठिन व महंगा होता जाता है।
रोगी जब भी डॉक्टर को दिखाने जाए तो कभी भी डॉक्टर के बड़प्पन के प्रभाव में ना आए यह कभी न सोचे कि डॉक्टर साहब बुरा मान जाएंगे उनके पास समय कम है या फिर डॉक्टर को जल्दबाजी के चक्कर में खुद की पीड़ा बता ना पाए ।याद रखें कि डॉक्टर कितना भी बड़ा हो मरीज की पूरी बात सुनना ,उसे समय देना उसका फर्ज है जिसके एवज में उसे तनख्वाह मिलती है।
हमेशा डॉक्टर के समक्ष तेज आवाज में अपनी परेशानी बताएं यदि डॉ अनसुना करें तो फिर तेज आवाज में दोहराये ,अपने परिजनों से कहें कि वह डॉक्टर को इसकी जानकारी दें , अपनी दवा के बारे में व जांच के बारे में डॉक्टर से खुद भी खुलकर पूछें की जांच कैसे करवानी है, भले ही डॉक्टर आप के परिजन को बताएं पर मरीज खुद जरूर पूछे, अपनी किैसी भी समस्या के बारे में जिसे मरीज अपने परिजन को ना बता पाता है वह भी डॉक्टर से जरूर पूछें, याद रहे मरीज की स्वयं की जागरूकता ही उसे कैंसर रोग की पीड़ा से बचा सकती है।
कैंसर रोगी के इलाज में परिजन की भूमिका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है क्योंकि रोगी को उसकी पीड़ा में केवल और केवल परिजन का साथ ही रोग से लड़ने की ताकत देता है ।परिजन को रोगी के इलाज में पूरी तरह चौकसी रखने की जरूरत है ।डॉक्टर, अस्पताल दवा, पैथोलॉजी रिपोर्ट सभी की जानकारी परिजनों को सदा रखनी चाहिए आमतौर पर परिजन वे चाहे कितना भी शिक्षित ,प्रतिष्ठित या आर्थिक रूप से सक्षम हो कैंसर के इलाज को लेकर जागरूक नहीं हो पाता जो की सबसे बड़ी गलती है I
आर्थिक रूप से सक्षम परिजन को लगता है कि पैसा खर्च करने मात्र से ही रोगी का इलाज ठीक-ठाक हो रहा है तो यह एकदम गलत है, मध्यम वर्गीय परिजन को लगता है रोगी के इलाज में मैं क्या कर पाऊंगा जो कि गलत है , परिजन को चाहिए कि वह रोगी के रोग व किसी भी जानकारी पर डॉक्टर से खुलकर बात करें और उसे समझे .परिजन को हमेशा सेकंड ओपिनियन लेते रहना चाहिए इसके लिए मरीज को बार-बार ले जाने की जरूरत नहीं होती सिर्फ रिपोर्ट के साथ वह विशेषज्ञ चिकित्सकों से परामर्श प्राप्त कर सकता है ,डॉक्टर रोगी हेतु जांचे लिखते हैं जो कि आसानी से पठनीय नहीं होती इससे पैथोलॉजी में गलत जांच भी हो सकती है I
इससे बचने के लिए परिजन को चाहिए कि जांच के बारे में डॉक्टर से पूरी जानकारी प्राप्त कर लें, परिजन को यह प्रयास करना चाहिए कि मरीज को अनावश्यक लाइन में न लगना पडे।घंटों इंतजार न करना पड़े। अक्सर पैरामेडिकल स्टाफ मरीज के परिजनों से बदसलूकी करते हैं ऐसे में उन से उलझने के बजाय सीधे संबंधित चिकित्सालय के प्रशासन विभाग या प्रशासनिक अधिकारी से संपर्क कर सहायता मांगे ।कैंसर के इलाज में धन की सदा किल्लत रहती है इसलिए प्रयास करके सरकारी मदद के लिए भी निवेदन करना चाहिए।
मुख्यमंत्री सहायता कोष से भी आर्थिक सहायता मिलती है कैंसर रोगी हेतु सरकारी परिवहन में भी विशेष सुविधाएं मिलती है ।याद रहे कैंसर पर विजय तभी मिल सकती है जब हम इसको लेकर जागरूक रहें क्योंकि जागरूकता ही कैंसर से बचाव है।
प्रस्तुति:अमित कुमार चावला (लेखक -श्रीमती रवि कैंसर सेवा संस्थान के संयोजक है।)