एस टी एफ का पहला टास्क था,…श्री प्रकाश शुक्ला,जिंदा या मुर्दा…
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लोक दस्तक ब्यूरो-
लखनऊ। 90 के दशक में उत्तर प्रदेश का कुख्यात माफिया डॉन था श्री प्रकाश शुक्ला। बड़े बड़े प्रमुख अखबारों के पन्ने हर रोज उसी के आपराधिक कारनामों की खबरों की सुर्खियों से रंगे रहते थे।उसको पकड़ने के लिए यूपी पुलिस बहुत हैरान-परेशान थी।उसका नाम पता तो था लेकिन पुलिस के पास उसकी कोई तस्वीर नहीं थी।
बड़े व्यापारियों,बिजनेसमैनों, उद्दमियों से धन उगाही, किडनैपिंग, कत्ल, डकैती और पूरब से लेकर पश्चिम तक रेलवे के ठेकों पर एकछत्र राज. बस यही सब उसका पेशा था।और इस सब के बीच जो भी आया तो उसने उसे मारने में जरा भी देरी नहीं की। लिहाजा लोग तो लोग पुलिस तक श्री प्रकाश शुक्ला से डरती थी। आखिरकार, यूपी पुलिस की एसटीएफ टीम ने आतंक के पर्याय श्री प्रकाश शुक्ला को एक मुठभेड़ में मार गिराया।
पुलिस और एस टी एफ अधिकारियों के मुताबिक श्रीप्रकाश शुक्ल के साथ पुलिस का पहला एनकाउंटर 9 सितंबर 1997 को हुआ था। पुलिस को खबर मिली थी कि श्रीप्रकाश अपने तीन साथियों के साथ सैलून में बाल कटवाने लखनऊ के जनपथ मार्केट में आने वाला था। पुलिस ने चारों तरफ घेराबंदी कर दी। लेकिन यह ऑपरेशन ना सिर्फ फेल हो गया बल्कि पुलिस का एक जवान भी शहीद हो गया। इस एनकाउंटर के बाद श्रीप्रकाश शुक्ला की दहशत पूरे यूपी में और ज्यादा बढ़ गई।
ऐसे हुआ यूपी एसटीएफ का गठन
लखनऊ स्थित सचिवालय में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, तत्कालीन गृहमंत्री और डीजीपी की एक महत्वपूर्ण मीटिंग हुई। इस विशेष मीटिंग में यू पी में अपराधियों, खास तौर पर माफिया डॉन श्री प्रकाश शुक्ला से निपटने के लिए स्पेशल फोर्स बनाने की योजना तैयार हुई।
4 मई ,1998 को यूपी पुलिस के तत्कालीन एडीजी अजयराज शर्मा ने राज्य पुलिस के बेहतरीन 50 जवानों को छांट कर स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) बनाई। इस फोर्स एस टी एफ का पहला टास्क था- श्रीप्रकाश शुक्ला, जिंदा या मुर्दा।
सादे कपड़ों में तैनात एके 47 से लैस एसटीएफ के जवानों ने लखनऊ से गाजियाबाद, गाजियाबाद से बिहार, कलकत्ता और जयपुर तक जगह जगह छापेमारी की।तब जाकर श्रीप्रकाश शुक्ला की तस्वीर पुलिस के हाथ लगी। इधर, एसटीएफ श्रीप्रकाश की खाक छान रही थी और उधर श्रीप्रकाश शुक्ला अपने क्राइम करियर की सबसे बड़ी वारदात को अंजाम देने यूपी से निकल कर बिहार राज्य के पटना पहुंच चुका था।
श्री प्रकाश ने की थी बिहार सरकार के तत्कालीन मंत्री बृज बिहारी की गोली मारकर हत्या
श्रीप्रकाश शुक्ला ने 13 जून 1998 को पटना स्थित इंदिरा गांधी हॉस्पिटल के बाहर बिहार सरकार के तत्कालीन मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की गोली मारकर हत्या कर दी। मंत्री की हत्या उस वक्त की गई जब उनके साथ सिक्योरिटी गार्ड मौजूद थे। वो अपनी लाल बत्ती की कार से उतरे ही थे कि एके 47 से लैस 4 बदमाशों ने मंत्री पर फायरिंग शुरु कर दी और वहां से फरार हो गए।
बिहार सरकार के इस मंत्री के कत्ल के साथ ही श्रीप्रकाश ने साफ कर दिया था कि अब पूरब से पश्चिम तक रेलवे के ठेकों पर उसी का एक छत्र राज है। बिहार के मंत्री के कत्ल का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि तभी यूपी पुलिस को एक ऐसी खबर मिली जिससे पुलिस अधिकारियों तक के हाथ-पांव फूल गए।
श्री प्रकाश यूपी के तत्कालीन सीएम की ली थी 6 करोड़ रुपये में सुपारी
श्री प्रकाश शुक्ला ने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सुपारी ले ली थी। 6 करोड़ रुपये में सीएम कल्याण सिंह की सुपारी लेने की खबर पुलिस के लिए बम गिरने जैसी थी। तब एसटीएफ बहुत तेजी से हरकत में आई और उसने तय भी कर लिया कि अब किसी भी हालत में श्रीप्रकाश शुक्ला का पकड़ा जाना जरूरी है। एसटीएफ को पता चला कि श्रीप्रकाश शुक्ल, दिल्ली में अपनी किसी गर्लफ्रेंड से मोबाइल पर बातें करता है।
एसटीएफ ने उसके मोबाइल को सर्विलांस पर ले लिया। लेकिन श्रीप्रकाश को शक हो गया। उसने मोबाइल की जगह पीसीओ से बात करना शुरू कर दिया,लेकिन उसे यह नहीं पता था कि पुलिस ने उसकी गर्लफ्रेंड के नंबर को भी सर्विलांस पर लगा रखा है। सर्विलांस से पता चला कि जिस पीसीओ से श्रीप्रकाश कॉल कर रहा है वो गाजियाबाद के इंदिरापुरम इलाके में है।
खबर मिलते ही यूपी एसटीएफ की टीम फौरन दिल्ली के लिए रवाना हो गई। एसटीएफ किसी भी कीमत पर ये मौका गंवाना नहीं चाहती थी। 23 सितंबर 1998 को एसटीएफ के प्रभारी अरुण कुमार को खबर मिली कि श्रीप्रकाश शुक्ला दिल्ली से गाजियाबाद की तरफ आ रहा है। श्रीप्रकाश शुक्ला की कार ने जैसे ही वसुंधरा इन्क्लेव पार किया, तभी अरुण कुमार सहित एसटीएफ की टीम ने उसका पीछा शुरू कर दिया।
उस वक्त श्रीप्रकाश शुक्ला को जरा भी शक नहीं हुआ था कि एसटीएफ उसका पीछा कर रही है। उसकी कार जैसे ही इंदिरापुरम के सुनसान इलाके में दाखिल हुई, मौका मिलते ही एसटीएफ की टीम ने अचानक श्रीप्रकाश की कार को ओवरटेक कर उसका रास्ता रोक दिया।
पुलिस ने पहले श्रीप्रकाश को सरेंडर करने को कहा लेकिन वो नहीं माना और पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस की जवाबी फायरिंग में श्रीप्रकाश शुक्ला मारा गया। इसी के साथ यूपी एसटीएफ ने अपने जिस स्पेशल टास्क को बड़ी चुनौती माना था और जिस लिए उसका गठन हुआ था उसको सिद्ध कर दिया था।
कपिल देव सिंह (स्टेट हेड)