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SPECIAL NEWS : करवा चौथ (Karva Chauth) पर सजी थालियाँ, हाथों में मेंहदी और होंठों पर दुआएँ

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प्रस्तुति – रजनीश कुमार सिंह

  • चाँद के दीदार के साथ पूरी हुई सुहागिनों की मनोकामना

  • करवा चौथ के व्रत से गूंजी रात, सुहागिनों ने मांगी पति की लंबी उम्र

  • आस्था, विश्वास और प्रेम का प्रतीक बना करवा चौथ का पर्व

सुहागिन महिलाओं ने निर्जला व्रत रखते हुए चांद को अर्ध देकर व्रत को पूरा किया। इसके साथ ही चंद्र देव से पति की लंबी आयु की कामना करते हुए प्रार्थना की और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। देश भर में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र अच्छे स्वास्थ्य और सुखी जीवन की कामना के लिए करवा चौथ व्रत रख रही हैं । यह पर्व हर वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। जिसमें महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और शाम को पारंपरिक 16 सिंगर के साथ चंद्रमा को अध्य॔ देकर व्रत का समापन करती हैं।

इस वर्ष करवा चौथ और भी खास बन गया क्योंकि इस दिन सिद्धि योग और शिव वास योग जैसे शुभ संयोग बना रहे हैं। जिन्हें व्रत के फल को कई गुना बढ़ाने वाला माना जाता है । ऐसे में पूजन का सही तरीका ,शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय ,व्रत कथा, और पूजन सामग्री की जानकारी व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाती है ।

क्या है करवा

करवा चौथ के दिन माता करवा के साथ भगवान शिव पार्वती और भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व होता है इस दिन पूजा के लिए जिस पात्र का उपयोग किया जाता है। उसे करवा कहा जाता है यह करवा पीतल या मिट्टी होता है जिसमें टोटी (नलिका) लगी होती है ।

करवा चौथ पूजन विधि

पूजन के समय इस टोटी में कांस की सीक लगाई जाती है। जिसे शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। करवा का संबंध भगवान गणेश से जोड़ा जाता है जो विघ्नहर्ता और मंगल दाता माने जाते हैं। इस कारण करवा और सीक दोनों ही करवा चौथ की पूजा में पवित्रता शक्ति और मंगल कामना के प्रतीक होते हैं इनका उपयोग व्रत की पूजा को पूर्णता और आध्यात्मिक महत्व प्रदान करता है सिर्फ विवाहित महिलाएं ही नहीं बल्कि अविवाहित लड़कियां भी इस व्रत को रख सकती हैं।

कुंवारी कन्या यह व्रत मनचाहा जीवनसाथी पाने और उज्जवल भविष्य की कामना के लिए रखती हैं । भगवान शिव पर्वतीय भगवान श्री कृष्णा ध्यान में रखकर व्रत करती हैं जिससे उन्हें अच्छा और सुखी वैवाहिक जीवन प्राप्त हो सके। आस्था और श्रद्धा से किया गया यह व्रत कन्याओं के जीवन में भी सकारात्मक ऊर्जा और शुभ फल लाने वाला माना जाता है करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले ही सरगी ग्रहण करना शुभ होता है।

इसके बाद किसी भी चीज का सेवन न करें करवा चौथ की व्रत की कथा का पाठ हमेशा सोलह सिंगार और लाल जोड़े में करना चाहिए चंद्रमा देखने के बाद ही व्रत पारण करने तथा व्रत अधूरा माना जाता है इस दिन निर्जल उपवास रखें व्रत में तामसिक चीजों का सेवन न करें और नुकीली चीजों का उपयोग न करें करवा चौथ दिन पूजा पाठ और कुछ विशेष कार्य करने व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है इस दिन करवा माता पूजा करना उनकी व्रत कथा का पाठ जीवन में सुख समृद्धि लाने वाला माना जाता है सुहागिन महिलाओं का सुहाग की वस्तुएं जैसे चूड़ी ,बिंदी ,सिंदूर , दान करना शुभ होता है।

इसके साथ ही भगवान गणेश और गौरी शंकर की पूजा करने से व्रत पूर्ण फलदाई बनता है । शाम को सोलह सिंगार कर चंद्रमा की पूजा करना और उन्हें अध्य॔ देना वैवाहिक जीवन को प्रेम में और पूर्ण बनाता है अंत में सात सुहागिन महिलाओं से आशीर्वाद लेकर व्रत का पारण करें इससे जीवन में सुख शांति और सौभाग्य बना रहता है करवा चौथ का नाम ही अपने रहस्य को समेटे हुए करवा एक मिट्टी का विशेष बर्तन होता है प्राचीन काल में मिट्टी के बने बर्तन ही धार्मिक अनुष्ठानों में प्रमुखता से प्रयुक्त होते हैं क्योंकि प्राकृतिक और पवित्र माने जाते हैं आज भी करवा चौथ की पूजा के लिए बनाए जाते हैं।

इन पर रक्षा बांधा जाता है चंद्रमा की पूजा इसलिए की जाती क्योंकि उसे आयु सुख और मानसिक शांति का प्रतीक माना जाता है मानता है कि चंद देव की कृपा से जीवन में शांति संतुलन और वैवाहिक संबंध मधुरता बनी रहती है खासकर करवा चौथ के दिन सुहागन महिलाएं चंद्रमा पूजा अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवनी कामना के लिए करती हैं,  इस दिन उपवास रखकर व अखंड सौभाग्य प्राप्ति की प्रार्थना करती हैं।

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