Quality Education at IIT Madras : NIRF इंडिया रैंकिंग 2025: IIT मद्रास ने रचा इतिहास”
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रिपोर्ट – लोकदस्तक संवाददाता
नई दिल्ली।
दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) इंडिया रैंकिंग-2025 जारी की। यह रैंकिंग देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता, शोध, नवाचार, शिक्षा के अवसर और समग्र योगदान के आधार पर तय की जाती है। इस साल भी आईआईटी मद्रास ने अपनी श्रेष्ठता को बरकरार रखते हुए पहला स्थान हासिल किया है।
शीर्ष स्थान पाने वाले संस्थान
1. आईआईटी मद्रास – लगातार शैक्षणिक और शोध क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के चलते यह संस्थान इस साल भी प्रथम स्थान पर है।
2. भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बेंगलुरु – वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार में अग्रणी, यह संस्थान दूसरे स्थान पर रहा।
3. आईआईटी बॉम्बे – टेक्नोलॉजी और आधुनिक शोध में अपनी मजबूत पकड़ के कारण तीसरा स्थान मिला।
NIRF रैंकिंग का महत्व
NIRF रैंकिंग केवल संस्थानों की सूची नहीं है, बल्कि यह देश में शिक्षा की दिशा और दशा को दर्शाती है। इससे छात्रों को अपने लिए बेहतर संस्थान चुनने में मदद मिलती है। संस्थानों में प्रतिस्पर्धा बढ़ती है जिससे शिक्षा और शोध का स्तर सुधरता है। सरकार को भी शिक्षा नीति बनाने में वास्तविक आंकड़े और दिशा-निर्देश मिलते हैं।
रैंकिंग के मापदंड
NIRF रैंकिंग मुख्य रूप से पाँच प्रमुख मानकों पर आधारित होती है:-
शिक्षण, सीखने और संसाधन
शोध और व्यावसायिक अभ्यास
स्नातक परिणाम
आउटरीच और समावेशिता
प्रतिष्ठा और धारणा
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का संदेश
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रैंकिंग जारी करते हुए कहा कि यह केवल एक सूची नहीं बल्कि ‘नई शिक्षा नीति 2020’ के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने का माध्यम है। उन्होंने कहा कि भारत को “ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था” की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों का स्तर अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरना आवश्यक है।
NIRF इंडिया रैंकिंग-2025 ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और भारतीय विज्ञान संस्थान शिक्षा और शोध में देश का नेतृत्व कर रहे हैं। यह रैंकिंग शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
आने वाले समय में उम्मीद है कि अधिक से अधिक भारतीय विश्वविद्यालय इस सूची में शीर्ष स्थान हासिल करेंगे और वैश्विक स्तर पर भारत की शिक्षा प्रणाली की पहचान मजबूत करेंगे।