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शासनादेश के बाद भी दशकों से एक ही ब्लाक में डटे मनरेगा कर्मी

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अमेठी I

शासन के दिशा निर्देश के बाद भी जिले के ब्लाकों में दशकों से मनरेगा के कर्मी डटे हुए है। जबकि शासनादेश में स्पष्ट निर्देशित किया गया हैं कि कर्मचारी की कार्य अवधि सिर्फ तीन वर्ष ही है। जिससे प्रदेश सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति और मनरेगा के पारदर्शी व गुणवत्तापूर्ण कार्यों पर प्रतिकूल असर दिखाई दे रहा है। गौरतलब हो कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनान्तर्गत कार्यों के सम्यक निष्पादन के दृष्टिगत सभी विकास खंडों में एपीओ, सहायक लेखा, तकनीकी सहायक और कम्प्यूटर ऑपरेटर की तैनाती की गई थी, जिसमें जिले के 13 विकास खण्डों 12 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी काफी संख्या में कर्मचारी उसी जगह डटे हुए हैं। जिससे मनरेगा कार्य की पारदर्शिता और गुणवत्ता दोनों प्रभावित हो रही है। ग्राम्य विकास आयुक्त योगेश कुमार 21 जनवरी 2021 के आदेश पत्रांक 176 के क्रम में पूरे प्रदेश में वर्षों से जमे कर्मियों को उनके कार्यस्थल से हटाकर अन्यत्र पूर्व कार्यस्थल और गृह ब्लाक को छोड़ कर तैनात करने का निर्देश दिया गया था। परन्तु 23 माह बीत जाने के बाद भी जिले में उस आदेश का कोई जमीनी असर दिखाई नहीं पड़ रहा हैं।

जिससे शासन के कार्यों, गुणवत्ता और योजना में प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। मुसाफिरखाना ब्लाक में तैनात ए पी ओ आशुतोष कुमार 10 वर्ष, वरुण कुमार लेखा सहायक भादर 12 वर्ष, माता प्रसाद 12 वर्ष गौरीगंज, पुरुषोत्तम दास 12 वर्ष मुसाफिरखाना, अरूण कुमार 12 वर्ष संग्रामपुर, दिलीप वाल्मिकी 12 वर्ष तिलोई, फिरदौस 12 वर्ष शाहगढ, पवन श्रीवास्तव 7 वर्ष भादर,  संकठा प्रसाद 7 वर्ष बहादुरपुर, नदीम अहमद 12 वर्ष अमेठी, संजय शर्मा 12 वर्ष गौरीगंज, सुनील कुमार 12 वर्ष जगदीशपुर, अनवर अली 12 वर्ष संग्रामपुर, सुनीता 12 वर्ष शुकुल बाजार, सोनू कुशवाहा 12 वर्ष सिंहपुर आदि के अलावा विकास खण्डों में काफी संख्या में तकनीकी सहायक भी तैनात हैं। जो दशकों से एक ही ब्लाक में तैनात रहकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जिनमें कुछ ब्लाक में तो तकनीकी सहायक प्रधान भी बने हुए हैं। विश्वस्त सूत्रों से पता चला हैं कि मनरेगा में काफी कर्मचारी ऐसे भी हैं जो नौकरी से जुड़ने के बाद से ही एक ही ब्लाक में अपने रसूख के बलबूते टिके हुए है। इससे प्रदेश सरकार की जीरो टार्लेंस की नीति भी प्रभावित हो रही हैं।

 

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