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ऐसा संगीत प्रेमी परिवार जिस पर बरसती है सरस्वती की कृपा

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अर्जुन सिंह भदौरिया

चार सगे भाई जब एक साथ संगीत की ध्वनि छेड़ते है तो देखने वाले और सुनने वालों को मंत्र मुग्ध कर देता है। इस चौकड़ी का गीत संगीत कुछ ऐसा होता है कि समा बंध जाती है।कुल मिलाकर इस परिवार पर सरस्वती मैया की कृपा बरसती है।
सिंहपुर क्षेत्र के पन्हौना गांव में एक ऐसा कायस्थ परिवार है जिसकी संगीत प्रतिभा का पूरा क्षेत्र कायल है।जिस समय चारों भाई विभिन्न संगीत वाद्यों के साथ गीतों की प्रस्तुति करते हैं देखने और सुनने वालों को मंत्र मुग्ध कर देते हैं। पेशे से शिक्षक रहे स्व राम मनोहर लाल श्रीवास्तव के चार पुत्र हैं जिनके नाम क्रमशः रविकांत श्रीवास्तव,मणिकांत श्रीवास्तव,जयकांत श्रीवास्तव और श्रीकांत श्रीवास्तव है।रविकांत श्रीवास्तव पेशे से शिक्षक हैं,मणिकांत श्रीवास्तव पेशे से अधिवक्ता हैं तीसरे नंबर पर जयकांत श्रीवास्तव परचून व्यवसाय से जुड़े हैं जबकि सबसे छोटे श्रीकांत श्रीवास्तव संगीत शिक्षक हैं।इन चारों भाइयों की खासियत है कि कोई भी देशी वाद्य यंत्र हो कोई भी बजा सकता है।यही नहीं गायन की बात करें तो सभी बहुत अच्छे गायक भी हैं। पन्हौना निवासियों की माने तो कोई भी त्योहार हो बिना इस चौकड़ी की संगीत प्रस्तुति के मजा ही नहीं आता। पन्हौना निवासी सूर्य बक्श सिंह बताते हैं कि गांव का यह ऐसा इकलौता परिवार है जिस पर सरस्वती मां की साक्षात कृपा बरसती है।गांव में दीपावली हो ,होली हो,नागपंचमी हो या फिर जन्माष्टमी पूरे गांव को इस चौकड़ी द्वारा संगीतमय गान प्रस्तुति का इंतजार रहता है।होली के परंपरागत गीतों की प्रस्तुति की तो इन्हे महारत हासिल है इसी तरह सावन में होने वाली नागपंचमी के त्योहार के दौरान गाए जाने वाले परंपरागत सावन गीत,कजरी, अवधी कजरी गीत इनके मंत्र मुग्ध कर देने वाले होते हैं।दीपावली के अवसर पर सोमवार को इस चौकड़ी द्वारा प्रस्तुत भजन ” सजा दो घर को गुलशन सा मेरे घर राम आए हैं” ने समा बांध दिया।दीपावली के अवसर पर भजन प्रस्तुति के दौरान हारमोनियम वादन के साथ गीत सबसे छोटे भाई श्रीकांत प्रस्तुत कर रहे थे तो तबले पर सबसे बड़े भाई रविकांत और ढोल पर मणिकांत सुर दे रहे थे मंजीरे से जयकांत तान मिलाते हुए साथ दे रहे थे।
सूर्य बक्श सिंह बताते हैं कि स्वर्गीय राममनोहर लाल श्रीवास्तव के बारे में गांव में जानकारी है कि कथक सम्राट बिरजू महाराज के सहपाठी थे।जिसका असर यह हुआ कि राम मनोहर लाल श्रीवास्तव क्षेत्र के शिक्षा सहित बहु प्रतिभा के धनी संगीत के जानकार और प्रस्तुति करता थे उनकी उस संगीत विद्या का ज्ञान बच्चों में भी पनपा और आज उनके चारों पुत्र उनकी संगीत परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
संगीत नाटक की बात की जाय तो पन्हौना गांव क्षेत्र का पुराना संगीत एवं नाट्य कला का प्रसिद्ध गांव है।यहां के तालुकेदार रहे रावत कन्हैया बक्श सिंह संगीत के इतने प्रेमी थे कि शिवरतन गंज की राम लीला से लेकर पन्हौना गांव में विभिन्न प्रकार के नाटक कार्यक्रमों के कर्णधार थे होली इत्यादि पर होली गीत गायन में प्रतिभाग के साथ नाटक में भी स्वयं निर्देशन के साथ पात्रों में प्रतिभाग करते थे।तालुकेदार की मौत के बाद बहुत दिनों तक इस गांव की उजागर ड्रामा पार्टी मशहूर थी।संगीत और नाट्य कला की वह पुरातन परंपरा आज तक जिंदा है।

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