तन बसी रुकमिणी मन बसी राधिका—-
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अमेठी। जिले के तिलोई ब्लाक क्षेत्र के सेमरौता कस्बे में गुरुवार रात्रि को आध्यात्मिक काव्य संध्या का आयोजन किया गया जिसमें दूर दराज से आये श्रोताओं को कवियों ने भक्ति रस से सराबोर कर दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की वाणी वंदना से हुआ। अमेठी से आए कवि राजेंद्र प्रसाद शुक्ल “अमरेश” ने मा सरस्वती की वंदना की । कार्यक्रम के अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद द्विवेदी प्रलयंकर ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
अमेठी से आए वरिष्ठ कवि रामेश्वर प्रसाद द्विवेदी ने अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा
“गज ग्राह में था युद्ध नंगे पांव दौडे प्रभु,
लक्ष्मी गरुण पीछे छूटे जग जाने हैं।
हमने लगायी टेर मोक्ष गाह को मिली है,
कैसी प्रभु कृपा मे रोज मन अनुमाने है ।।
रायबरेली से पधारे कवि प्रवीण त्रिपाठी ने अपनी कविता सुनाते हुए कहा
विकारों का मन से गमन हो रहा है,
विचारों का शुभ आगमन हो रहा है।
जहाँ कृष्ण की बांसुरी मन न लुभायें
वहाँ जल बिना आचमन हो रहा है।
राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल अमरेश’ ने अपनी मुक्तक सुनाते हुए कहा
धर्म ध्वजा को उठा भक्ति दरसाइये ।
कर्मफल पे नहीं ध्यान को लाइये।”
लाज ‘अमरेश’ लुटती अगर हो कहीं
द्रोपदी के लिए कृष्ण बन जाइये ||
शिकोहाबाद से आए गीतकार रवीन्द्र रंजन ने भी अपनी कविता सुनाते हुए कहा
तन बसी रुकमिणी मन बसी राधिका,
प्राण में साधिका सी बसी बालिका ।
जब कथा भागवत व्यास जी ने कही
झोपड़ी भी लगी कृष्ण की द्वारिका।।
भागवत की महिमा का बखान करते हुए बाराबंकी से आए कवि वेद प्रकाश सिंह प्रकाश ने अपनी रचना कुछ इस तरह से सुनाई
लक्ष्य अनुरक्ति तृप्ति: मुक्ति का ही द्वार गीता है।
ब्रह्म के अंश से ही ब्रह्म का साकार गीता है ।” ”
शामली से आए कवि ज्ञानेन्द्र पाडे अवधी “मधुरस ” भागवत महिमा का वर्णन प्रस्तुत करते हुए कहा
पुरानु जही सबु बेदु जही सबु सार जहीं ,
श्रुतियां जहीं पाती।
जही हरि नाम जही हरि धाम,जही प्रभु कै
अनमोल हौ थाती।
जही रज मा सबु तृप्ति मिलै, रचना दिन राति सनी गुना गाती
पुनीत प्रसिद्ध अलौकिक भाउ ग्रहीत स्वरूप म धर्म सोहाती।
कार्यक्रम के आयोजक सुशील चंद्र पांडेय ने अपनी कविता कुछ इस तरह सुनाई
धन धाम वैभव से मोह न हमे है कुछ,
हमने हिए में एक मूर्ति ही बसाई है
सुर नर मुनि जाको जोहत है रैन-दिन,
हमें बस एक वही प्रिय यदुराई है।।
इस मौके पर श्रीकांत पांडेय,अरविंद,अनिरुद्ध,पंकज,समीर, अंब्रिश,आलोक,गुलाब समेत तमाम श्रोता मौजूद रहे।