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Controversy : कॉल रिसीव न करने पर घिरी महिला डीएम, नोटिस जारी होते ही जताया खेद

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विशेष रिपोर्ट – रवि नाथ दीक्षित 

लखनऊ, उप्र।

बुलंदशहर की जिलाधिकारी (डीएम) श्रुति उस समय विवादों में आ गईं, जब उन्होंने समाजवादी पार्टी के महासचिव शिवपाल सिंह यादव का फोन नहीं उठाया। बताया जाता है कि शिवपाल ने उन्हें 20 से अधिक बार कॉल किया, लेकिन डीएम ने रिसीव नहीं किया। इस रवैये से नाराज होकर शिवपाल ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से शिकायत कर दी।

विधानसभा अध्यक्ष की सख्ती

शिवपाल की शिकायत को गंभीर मानते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने तुरंत डीएम को नोटिस जारी कर दिया। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना था कि यदि शिवपाल अड़े रहते तो डीएम को विशेषाधिकार हनन समिति के समक्ष पेश होना पड़ सकता था।

माफी मांगकर टला संकट

नोटिस मिलने के बाद डीएम श्रुति ने खुद शिवपाल को फोन किया और खेद जताया। उन्होंने कहा कि कॉल की जानकारी उन्हें नहीं दी गई थी। इसके लिए उन्होंने अपने निजी सहायक नितेश रस्तोगी को जिम्मेदार ठहराया और पद से हटा भी दिया। लंबे समय से तैनात नितेश अब अपने मूल पद एडीएम वित्त के पास लौट गए हैं।

शिवपाल का नरम रुख

विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों ने बताया कि शिवपाल यादव ने लिखित रूप से अध्यक्ष को सूचित किया कि वह डीएम की सफाई और माफी से संतुष्ट हैं और आगे किसी कार्रवाई की जरूरत नहीं है। इसके बाद अध्यक्ष ने मामले को बंद कर दिया।

नितेश की सफाई

हटाए गए निजी सहायक नितेश का कहना है कि सीयूजी फोन हमेशा उनके पास नहीं रहता था। अलग-अलग समय पर स्टाफ के पास रहता था, इसलिए कॉल की जानकारी देना संबंधित सहायक की जिम्मेदारी होती है। उनका मानना है कि लंबे समय से तैनाती के कारण ही उन्हें हटाया गया।

अफसरों पर पुराना आरोप

विशेषज्ञों का मानना है कि अफसरों द्वारा विधायकों के फोन न उठाने की शिकायत कोई नई नहीं है। विपक्ष और सत्ता पक्ष, दोनों दलों के विधायक विधानसभा में कई बार यह मुद्दा उठा चुके हैं। विधानसभा अध्यक्ष और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना अफसरों को चेतावनी भी दे चुके हैं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।

श्रुति का कैडर परिवर्तन

श्रुति 2011 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। उन्हें शुरू में पंजाब कैडर मिला था, लेकिन शादी के बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश कैडर में आने का आवेदन किया। केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद 2017 में उन्होंने यूपी कैडर जॉइन किया।

यह प्रकरण दिखाता है कि नेताओं और अफसरों के बीच संवाद की कमी बड़े विवाद का रूप ले सकती है। हालांकि, डीएम श्रुति की माफी और शिवपाल यादव के उदार रुख से मामला शांत हो गया।

अगर ऐसा न होता, तो डीएम को विधानसभा में पेश होकर सफाई देनी पड़ सकती थी। यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच बेहतर तालमेल जरूरी है।

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