Quota System : योगी सरकार का बड़ा ऐलान.. यूपी में खत्म होगी कोटेदारी व्यवस्था
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विशेष रिपोर्टर – लोकदस्तक
उत्तर प्रदेश की राजनीति और प्रशासनिक ढांचे में लंबे समय से एक शब्द आम जनता की जुबान पर रहा है – “कोटेदार”। गाँव-गाँव और कस्बों में यही लोग सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से गरीबों को राशन पहुंचाने का काम करते रहे हैं। लेकिन सालों से इस व्यवस्था पर भ्रष्टाचार, गड़बड़ी और पारदर्शिता की कमी के आरोप लगते रहे हैं। अब प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संकेत दिया है कि बहुत जल्द कोटेदारी व्यवस्था को खत्म कर दिया जाएगा।
सरकार का इरादा है कि राशन या सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में भेजी जाएगी (Direct Benefit Transfer – DBT)। यह घोषणा न केवल प्रशासनिक सुधार है बल्कि सामाजिक न्याय और खाद्य सुरक्षा की दिशा में भी एक क्रांतिकारी कदम मानी जा रही है।
1. कोटेदारी व्यवस्था क्या है और कैसे शुरू हुई?
भारत में 1960 और 70 के दशक में खाद्यान्न संकट गहराने पर सरकार ने गरीबों और जरूरतमंदों के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) शुरू की। इस व्यवस्था के तहत हर गाँव या शहरी मोहल्ले में एक कोटेदार / राशन डीलर नियुक्त किया गया।
इन्हीं दुकानों से लोगों को निर्धारित मूल्य पर गेहूँ, चावल, चीनी, केरोसिन जैसी चीजें उपलब्ध कराई जाती थीं। यह प्रणाली गरीब वर्ग को भूखमरी से बचाने और महंगाई से राहत देने का माध्यम बनी। लेकिन समय के साथ इसमें कई समस्याएँ सामने आने लगीं।
फर्जी राशन कार्ड बनवाकर कालाबाजारी
वजन और माप में गड़बड़ी
लाभार्थियों से दुर्व्यवहार
राशन की कालाबाजारी करके खुले बाजार में बेचना
इन खामियों ने पूरे ढांचे की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए।
2. योगी आदित्यनाथ की घोषणा का संदर्भ
लखनऊ के साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में पोषण अभियान और सुपोषण स्वास्थ्य मेला के शुभारंभ अवसर पर बोलते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा –
उत्तर प्रदेश सरकार कोटेदारी व्यवस्था को खत्म करने की दिशा में काम कर रही है। गरीबों और जरूरतमंदों को मिलने वाली सब्सिडी सीधे डीबीटी (DBT) के माध्यम से उनके खातों में भेजी जाएगी।
उन्होंने दावा किया कि अगर सरकारी योजनाएँ पूरी ईमानदारी से अंतिम पायदान तक पहुँचा दी जाएँ, तो राज्य में भूख, बीमारी और कुपोषण जैसी समस्याएँ स्वतः समाप्त हो जाएँगी।
3. फर्जीवाड़े पर बड़ा प्रहार
योगी आदित्यनाथ ने बताया कि सत्ता संभालने के तुरंत बाद सरकार ने 30 लाख फर्जी राशन कार्ड रद्द किए थे।केवल 13,000 कोटेदारों की दुकानों पर इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (e-PoS) मशीनें लगाई गई थीं।
इससे सरकार को हर साल 350 करोड़ रुपये की बचत हुई।
अब योजना है कि सभी 80 हजार कोटेदारों की दुकानों पर तकनीक लागू की जाए, जिससे करीब 2000 करोड़ रुपये की सालाना बचत संभव है।
लेकिन साथ ही मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि आने वाले समय में कोटेदारों को अन्य व्यवसाय अपनाने की सलाह दी जाएगी क्योंकि वितरण प्रणाली DBT आधारित हो जाएगी।
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4. नई व्यवस्था: DBT कैसे काम करेगी?
सरकार की योजना के अनुसार –
केंद्र या राज्य सरकार द्वारा तय की गई खाद्यान्न पर सब्सिडी की रकम सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में जमा होगी।
लाभार्थी इस पैसे से किसी भी दुकान से बाजार दर पर अनाज खरीद सकेंगे।
इससे कोटेदार, दलाल या बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी।
इस मॉडल से पारदर्शिता बढ़ेगी और जनता को बेहतर विकल्प मिलेंगे।
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5. लाभार्थियों के लिए फायदे
1. पारदर्शिता – पैसा सीधे खाते में आएगा, गड़बड़ी की संभावना घटेगी।
2. स्वतंत्रता – राशन खरीदने की जगह और समय की आज़ादी मिलेगी।
3. सम्मान – कोटेदारों की मनमानी और अपमानजनक व्यवहार से मुक्ति।
4. गुणवत्ता – लाभार्थी मनपसंद दुकान से अच्छा अनाज खरीद सकेंगे।
5. समय की बचत – लंबी कतारों में खड़े होने और विवाद झेलने से छुटकारा।
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6. कोटेदारों पर असर
यह कदम निश्चित रूप से हजारों कोटेदारों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा।
वर्तमान में प्रदेश में करीब 80,000 कोटेदार कार्यरत हैं।
यह उनका रोज़गार है और परिवार की आय का मुख्य स्रोत भी।
सरकार ने उन्हें सलाह दी है कि वे कोई दूसरा व्यवसाय अपना लें।
संभव है कि इस फैसले के विरोध में कोटेदार संघ आंदोलन का रास्ता अपनाएँ। सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि इन परिवारों का पुनर्वास किस तरह किया जाए।
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7. विपक्ष और आलोचकों की राय
विपक्षी दलों का कहना हो सकता है कि –
यह फैसला अचानक लागू हुआ तो गरीब जनता को शुरुआत में कठिनाई हो सकती है।
ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग सुविधाएँ और डिजिटल भुगतान अभी भी पूरी तरह सुलभ नहीं हैं।
कोटेदारों की भूमिका पूरी तरह खत्म करने की बजाय उनमें सुधार और निगरानी बढ़ाई जा सकती थी।
हालांकि सरकार का तर्क है कि भ्रष्टाचार पर रोक लगाने का यह सबसे बेहतर और स्थायी तरीका है।
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8. सामाजिक-आर्थिक असर
गरीब वर्ग – उन्हें आत्मसम्मान और सुविधा मिलेगी।
महिलाएँ – बैंक खाते में पैसा सीधे आने से परिवार की महिलाओं को भी निर्णय की ताकत मिलेगी।
गाँव की अर्थव्यवस्था – स्थानीय दुकानों और मंडियों में बिक्री बढ़ेगी।
राज्य का बजट – हजारों करोड़ की बचत को शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास योजनाओं में लगाया जा सकेगा।
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9. भविष्य की चुनौतियाँ
1. बैंकिंग पहुंच – हर गाँव तक बैंकिंग सुविधा और जागरूकता जरूरी।
2. डिजिटल साक्षरता – लाभार्थियों को मोबाइल और ऑनलाइन लेनदेन समझाना होगा।
3. महंगाई नियंत्रण – बाजार में खाद्यान्न की कीमतें स्थिर रहनी चाहिए वरना सब्सिडी का असर घटेगा।
4. राजनीतिक विरोध – कोटेदार संघ और विपक्षी दल इसका विरोध कर सकते हैं।
5. क्रियान्वयन क्षमता – इतनी बड़ी आबादी में DBT को सफलतापूर्वक लागू करना आसान नहीं।
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10. निष्कर्ष
योगी सरकार का यह ऐलान उत्तर प्रदेश की खाद्य आपूर्ति व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव साबित हो सकता है।
इससे भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा खत्म होगा।
गरीबों को राहत और आत्मसम्मान मिलेगा।
सरकारी खर्च में बड़ी बचत होगी।
हालाँकि इसके साथ-साथ कोटेदारों के पुनर्वास, बैंकिंग ढाँचे को मजबूत करने और डिजिटल साक्षरता बढ़ाने की जिम्मेदारी भी सरकार को उठानी होगी।
यदि यह मॉडल सफल रहा, तो आने वाले समय में इसे देश के अन्य राज्यों में भी लागू करने की राह आसान हो जाएगी।

 
                         
                                 
                                 
                                 
                            