MAHAKUMBH2025 : महाकुंभ का माघी पूर्णिमा स्नान जारी, संगम तट पर करोड़ों श्रद्धालुओं की है मौजूदगी
1 min read
REPORT BY LOK REPORTER
KUMBHNAGAR PRYAGRAJ।
प्रयागराज में आज महाकुंभ का माघी पूर्णिमा स्नान चल रहा है। कल्पवास के विशेष अनुष्ठान के समापन के प्रतीक इस स्नान का विशेष महत्व है। इस वर्ष इसमें 10 लाख से अधिक कल्पवासी शामिल होंगे। महाकुंभ में कल्पवास विशेष फलदायी माना जाता है।
आस्था और भक्ति के महासंगम महाकुंभ 2025 में आज माघ पूर्णिमा स्नान का शुभ अवसर है। प्रयागराज का संगम तट श्रद्धालुओं से पट चुका है।अनुमान के मुताबिक सुबह 11 बजे तक 1.25 से अधिक श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगा चुके थे और अनुमान है कि आज करीब 2.5 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान करेंगे। चारों ओर हर-हर गंगे के जयकारों के साथ गंगा तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।
श्रद्धालुओं पर 25 क्विंटल फूलों की वर्षा , ट्रैफिक प्लान में बदलाव
स्नान पर्व के मौके पर श्रद्धालुओं का स्वागत हेलिकॉप्टर से 25 क्विंटल फूलों की वर्षा कर किया गया। भीषण भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने ट्रैफिक प्लान में बदलाव किया है। शहर में वाहनों की एंट्री पूरी तरह बंद कर दी गई है और मेला क्षेत्र में किसी भी वाहन को जाने की अनुमति नहीं है। श्रद्धालुओं को 8 से 10 किलोमीटर पैदल चलकर संगम पहुंचना पड़ रहा है। प्रशासन ने पार्किंग से शटल बस सेवा शुरू की है, लेकिन बसों की संख्या सीमित है।
मुख्यमंत्री आज सुबह 4 बजे से माघी पूर्णिमा स्नान की निगरानी कर रहे हैं। DGP आईपीएस प्रशांत कुमार,पीएस होम आईएएस संजय प्रसाद और सीएम सचिवालय के अधिकारी 5 केडी वॉर रूम में मौजूद हैं।
कुंभ संक्रांति आज
कुंभ संक्रांति हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे ज्योतिष और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, जब सूर्य मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं, तब कुंभ संक्रांति मनाई जाती है। इस विशेष अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान, पूजा, ध्यान, जप, तप और दान करने से व्यक्ति को देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसके पापों का क्षय होता है।
इस दिन भगवान सूर्य की आराधना का विशेष महत्व होता है, क्योंकि सूर्य देव को ग्रहों का अधिपति माना जाता है। उनकी उपासना से व्यक्ति को समाज में प्रतिष्ठा और मान-सम्मान प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गंगा स्नान, पूजा-पाठ और दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य 12 फरवरी बुधवार की रात 10:04 बजे कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में कुम्भ संक्रान्ति का क्षण रात के 10:04 बजे रहने वाला है।
कुंभ संक्रांति का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन पुण्य काल दोपहर 12:35 बजे से शाम 06:09 बजे तक रहेगा। वहीं महा पुण्य काल शाम 04:18 बजे से शाम 06:09 बजे तक रहेगा। इस अवधि में किए गए धार्मिक कार्य विशेष फलदायी माने जाते हैं।
कुंभ संक्रांति का महत्व
सनातन धर्म में संक्रांति तिथियों का विशेष महत्व होता है। इस दिन स्नान, दान और पूजा-पाठ से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। कुंभ संक्रांति के अवसर पर तिल का दान, सूर्य देव की पूजा और ब्राह्मणों को भोजन कराने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। ज्योतिषीय दृष्टि से यह दिन विशेष रूप से मकर और सिंह राशि वालों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
कुंभ संक्रांति का शुभ योग
कुंभ संक्रांति के अवसर पर सौभाग्य और शोभन योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही अश्लेषा और मघा नक्षत्र का भी संयोग है, साथ ही शिववास योग भी उपस्थित है। इन योगों में सूर्य देव की पूजा करने से साधक को उनकी इच्छित फल की प्राप्ति होगी। इस दिन पितरों की पूजा (तर्पण) भी की जा सकती है।
कल्पवास: साधना, सेवा और समन्वय का संगम
माघ पूर्णिमा के अवसर पर बुधवार को महाकुम्भ में कल्पवास का समापन हो जाएगा। प्रसिद्ध ‘वॉटर वुमन’ शिप्रा पाठक, जो स्वयं भी इस बार कल्पवास कर रही हैं, ने इसकी गहराई को बेहद सरल शब्दों में व्यक्त किया।
शिप्रा पाठक के अनुसार, कल्पवास केवल स्नान का पर्व नहीं, बल्कि साधना, सेवा और समन्वय का अनुभव है। कल्पवासी यहां केवल अपने पुण्य और मोक्ष के लिए नहीं, बल्कि आने वाले श्रद्धालुओं के सहयोग के लिए भी आते हैं।
40 दिनों की तपस्या, जीवन के लिए सीख
कल्पवास का नियम है कि धरती पर शयन किया जाए, जिससे व्यक्ति सर्दी-गर्मी के कठोर मौसम को सहन करना सीखे। शिप्रा पाठक कहती हैं, “यह तपस्या हमें जीवन के हर संघर्ष को धैर्य और समर्पण के साथ स्वीकार करने की प्रेरणा देती है।”
वो कहती हैं कि यह जीवन से जुड़ा सूत्र है जो संकेत देता है कि जब हमारे सामने झुलसाने वाली परिस्थित आए और कंपनी वाली परिस्थिति हो तब हमें एक ही भाव से स्थिर होकर इसे आत्मसात करना है। ये कल्पवास शरीर को हठ योग से ऐसा बना देता है कि मन बहुत कुछ इसके अनुकूल होने लगता है।
उन्होंने कहा कि महाकुम्भ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि निस्वार्थ प्रेम और सेवा का महासंगम है। जब तक हमारे भीतर केवल अपने पुण्य और मोक्ष की चिंता रहेगी, तब तक हम इस धरती के असली संदेश को आत्मसात नहीं कर सकते।
शिप्रा पाठक ने बताया कि कल्पवास के दौरान उन्होंने शिविर में कार्यरत पुजारियों, आचार्यों, कोठारियों, भंडारियों और सफाई कर्मचारियों को विशेष महत्व दिया। उन्होंने इनके साथ भोजन तैयार किया, स्वयं उन्हें खाना परोसा और उनकी समस्याओं को सुना।
शिप्रा पाठक महाकुम्भ में एक थैला, एक थाली अभियान से जुड़कर स्वच्छता को भी बढ़ावा दे रही हैं। उन्होंने बताया कि महाकुम्भ में नदियों के साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए अब तक 15 लाख थाली, 16 लाख थैला और 4 लाख गिलास वितरित किए जा चुके हैं।
मंगलवाल को ही उन्होंने मदर डेयरी को 500 थैले उपलब्ध कराए, ताकि महाकुम्भ से पूरी तरह पन्नी पर रोक लग जाए। सभी दुकान वालों से निवेदन किया कि सभी को वो थैला अगले दिन लाने का निर्देश दिया जाए और इस तरह कुम्भ की धरा को छोटे छोटे प्रयासों से पन्नी मुक्त बना सकते हैं।
माघ पूर्णिमा पर IPS वैभव कृष्ण (डीआइजी प्रयागराज)
माघपूर्णिमा के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान के लिए यहां पहुंच रहे हैं। हमारी व्यवस्थाएं बहुत अच्छी हैं, सब कुछ नियंत्रण में है। पार्किंग, ट्रैफिक डायवर्जन, सब कुछ सक्रिय है।भक्त नियमों और विनियमों का पालन कर रहे हैं।