कलम के बाहुबली को मिला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
1 min readनीरज सिंह-(संपादक)
नई दिल्ली I
बालीवुड फिल्म जगत के जाने-माने गीतकार ,डायलॉग राइटर ,पटकथा लेखक मनोज मुंतशिर उर्फ मनोज शुक्ला को भारत सरकार की तरफ से राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया है I शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित भव्य समारोह में मनोज मुंतशिर को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा I इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, अतिविशिष्ट गणमान्य लोगों के अलावा उनकी पत्नी नीलम मुंतशिर भी मौजूद रहीं I ये पुरस्कार उन्हें फिल्म साइना के गाने के लिरिक्स के लिए बेस्ट लिरिक्स का अवार्ड दिया गया I फिल्म साइना देश के नंबर वन बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल पर बनी बायोपिक पर आधारित है I बाहुबली की पटकथा लिखने वाले कलम के “बाहुबली” राष्ट्रवादी गीत मनोज मुंतशिर को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया है I
मनोज शुक्ला से बने मनोज मुन्तशिर
मनोज मुंतशिर का असली नाम मनोज शुक्ला है I मनोज मुंतशिर का जन्म उत्तर प्रदेश के अमेठी जनपद के गौरीगंज विकासखंड में हुआ I उनके पिता किसान थे, खेतीबाड़ी से फुर्सत के बाद पूजा पाठ भी कराते थे I वहीं इनकी माताजी प्राइमरी में अध्यापिका थी I जो अब रिटायर हो चुकी है I मनोज को बचपन से ही लेखन के प्रति शौक था I मां बाप ने शिक्षा में अपने सामर्थ्य के अनुसार पढ़ाया लिखाया I मनोज ने उर्दू में लिखें शायरी की किताबों को पढ़ने का प्रयास किया I लेकिन वह सफल नहीं हुए I एक दिन मस्जिद के नीचे ₹2 में बिकने वाली पुस्तक खरीदी ,जिसमें हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं में शायरी लिखी हुई थी I इस बीच उन्होंने अपना नाम मनोज शुक्ला से मनोज मुंतशिर कर दिया इस बात की खबर जब परिजनों को लगी उन्हें बहुत दुख हुआ लेकिन मनोज मुंतशिर ने सभी की नाराजगी है I मनोज शुक्ला के बजाय मनोज मुंतशिर ही बने रहने की ठान ली I मनोज ने इसके बाद ठान लिया कि मुझे मुंबई जाना है और पिताजी से जाने के लिए ₹300 का खर्च मांगा I उनके पिता ने उन्हें 300 के बजाय ₹700 मुंबई जाने के लिए दिया I पिता को लगता था कि वहां काम मिलना मुश्किल है, काम नहीं मिलेगा तो वह घर को वापस लौट आएगा I मनोज मुंतशिर की ये पंक्तियाँ उन पर ही फिट बैठ रही है…
जूते फटे पहन के आकाश पर चढ़े थे,
सपने हमारे हरदम औकात से बड़े थे।।
मनोज मुंतशिर का फिल्मी सफरनामा
मनोज मुंतशिर ₹700 लेकर मुंबई पहुंचे और यहां से संघर्ष की कहानी शुरू हुई I काम की तलाश में उन्होंने बहुत सारी रातें मुंबई की फुटपाथ पर बिताई I 1999 में अनूप जलोटा के लिए गजल लिखी थी जिसमें उन्हें ₹3000 मिले थे I 2005 में स्टार टीवी के अधिकारी ने कहा कि चलो अमिताभ बच्चन से मिलाते हैं I तब उन्हें यह मजाक लगा I लेकिन जब एक होटल में अमिताभ बच्चन से मिलवाया तो उन्होंने केबीसी के लिए गीत लिखने के लिए कहा और मनोज ने लिखी भी जो काफी पॉपुलर हुआ I इसके बाद मनोज मुंतशिर में पीछे मुड़कर नहीं देखा I उन्हें एक के बाद एक बड़ी फिल्में मिलती गई और सफलता के झंडे गाड़ते गए I बाहुबली फिल्म की पटकथा एवं डायलॉग मनोज मुंतशिर ने लिखी I जिसके गाने और फिल्म डायलॉग सब सुपरहिट गया I मनोज मुंतशिर ने ‘केसरी’, ‘हाफ गर्लफ्रेंड’, ‘एमएस धोनी’, ‘नोटबुक’, ‘सनम रे’, ‘साइना’ जैसी फिल्मों के गीत लिख चुके हैं। साइना फिल्म बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल की बायोपिक है जिस के गीत काफी सुपरहिट हुए हैं I मनोज मुंतशिर को इसी के गीत के लिरिक्स को बेस्ट लिरिक्स का अवार्ड 30 सितंबर दिन गुरुवार को मिला I इस राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार को देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने एक शानदार कार्यक्रम में मनोज मुन्तशिर ने दिया है I
मनोज मुंतशिर की मातृभूमि अमेठी में खुशी की लहर
अमेठी की भूमि ने बड़े-बड़े संत ,महात्मा एवं साहित्यकारों को जन्म दिया है I जिले के जायस की भूमि पर बाबा गोरखनाथ हुए, मलिक मोहम्मद जायसी ,पद्मावत जैसा महाकाव्य की रचना इसी भूमि पर किया था I इसी मिट्टी में पैदा हुए मनोज मुंतशिर अमेठी का नाम रोशन करने का काम किया I महाकवि मलिक मोहम्मद जायसी के नाम से जाने वाली अमेठी को आज मनोज मुंतशिर की अमेठी नाम से लोग जानने लगे हैं I राष्ट्रपति से राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिलने पर लोगों में खुशी का माहौल है I उनके करीबी मित्र शशिकांत तिवारी ने कहा आज अमेठी के लिए गर्व का दिन है I अमेठी के युवा साहित्यकार चिंतामणि मिश्रा का कहना है कि बधाई हो मनोज भैया आपने अमेठी का नाम रोशन कर दिया I अमेठी के समाज सेवी दीपक सिंह ने अपने फेसबुक पर लिखा है कि “मैं परिंदा क्यूं न बनूँ, मुझे आसमाँ पर जाना है ” …….
उक्त पंक्तियां मनोज मुंतशिर पर पूरी तरह से फिट बैठती है I
बधाई हो #मनोज मुंतशिर