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विवेचना ट्रांसफर मामला : सवालों के घेरे में सीओ सिटी की कार्यशैली !

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REPORT BY ANKUSH YADAV ADVOCATE 

SULTANPUR NEWS। 

कोतवाली नगर से जुड़े हत्या के प्रयास मामले में सीओ सिटी के जरिए मनमानी तरीके से विवेचना ट्रांसफर करने का आरोप लगा है । विवेचना ट्रांसफर मामले में सीओ सिटी मनमानी तरीके से कार्य करने का आरोप लगा है वो भी बिना पुलिस अधीक्षक के या अन्य किसी सक्षम अधिकारी के आदेश के बिना तथा कोई सटीक कारण बताएं बिना जनहित की बात कहते हुए विवेचना हटाने का आदेश दे दिया है I जिले से लेकर हाईकोर्ट स्तर तक इस मामले में पेज फंसा हुआ है ।

बीते 10 सितंबर को बच्चों के विवाद को लेकर तुराब खानी इलाके में अभियोगी इसरार हुसैन के पुत्र इमरान व अन्य पर आरोपियों ने लोहे की राड समेत अन्य हथियारों से हमला कर दिया था जिसमें इमरान के सिर पर गंभीर चोट पहुंचाने के अलावा कूल्हे की हड्डी टूटने की बात सामने आई थी । मामले में अभियोगी इसरार हुसैन ने मोहम्मद सकलेन शहंशाह आरोपी सगे भाई मोहम्मद सकलेन अली, हसनैन एवं आरोपी सगे भाई अली मोहम्मद व मोहम्मद सलमान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है ।

भारतीय दंड विधान की धारा 307 समेत अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है । जुलूस में बच्चों के बीच हुई कहा-सुनी के बाद विवाद बढ़ गया था । मामले में अमहट चौकी प्रभारी रामेंद्र वर्मा ने आरोपी अली हसनैन को गिरफ्तार कर जेल भेजने की कार्यवाही की थी । वहीं से सारे आरोपी के फरार होने की दशा में करीब एक माह पहले NBW व 82- दंड प्रक्रिया संहिता की कार्रवाई की गई थी । फिर भी मुलजिम पकड़ में नहीं आ सके । वहीं आरोपियों के जरिए हाई कोर्ट स्तर पर बड़ा खेल करने का मामला सामने आया है । अभियोगी ने शिकायत कर गम्भीर आरोप लगाए हैं कि आरोपियों के जरिए फर्जी सुलह लगाकर गिरफ्तारी रोक संबंधी आदेश पा लेने की बात सामने आई ।

मिली जानकारी के मुताबिक आरोपियों ने दोनों पक्षों के बीच सुलह की बात दर्शाकर इस संबंधी कागजात हाई कोर्ट में दाखिल कर बीते 23 नवंबर को गिरफ्तारी पर रोक संबंधी आदेश पा लिया था । फिलहाल हाई कोर्ट ने गिरफ्तारी पर लोग लगाने का आदेश देने के साथ-साथ दाखिल सुलहनामा की जांच करने और नियमानुसार उचित कार्रवाई करने के लिए पुलिस को निर्देश दिया था । जिसके क्रम में विवेचन रामेंद्र वर्मा ने अपनी जांच में सुलहनामा की बात झूठी पाई । वादी पक्ष ने कई लोगों के शपथ के साथ सुलहनामा को फर्जी बताया है ।

विवेचक रामेंद्र वर्मा ने बीते 7 दिसंबर को अपनी जांच में सुलहनामा की बात झूठी बताते हुए एवं हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए अर्जी देकर मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट से आरोपियों के खिलाफ उचित स्टेप लेने के लिए यथोचित आदेश की मांग की । मामले को संज्ञान में लेते हुए सीजेएम ने अगले दिन 08 दिसंबर को कथन झूठा पाने की दशा में नियमानुसार कार्यवाही करने का निर्देश दिया था । इसी के बाद 08 दिसंबर को ही को सिटी राघवेंद्र चतुर्वेदी के जरिए जनहित की बात दर्शाते हुए विवेचना दरोगा रामेंद्र वर्मा से हटाते हुए गभहड्डिया चौकी प्रभारी विकास गुप्ता को सौंपने का आदेश दे दिया गया। दरोगा विकास गुप्ता के नाम पर विवेचना ट्रांसफर करने के आदेश से सीओ की कार्यशैली पर सवाल उठा है ! आखिर उनके जरिए क्यों और कैसे डायरेक्ट विवेचना ट्रांसफर करने संबंधी आदेश दे दिया गया है, उसका वह भी बिना उच्च अधिकारियों को जानकारी दिए एवं बिना अनुमति की विवेचना ट्रांसफर क्यों कर दिया गया ।

विवेचना हटाने का कारण भी उल्लेख नहीं किया गया है, बिना किसी विशेष परिस्थिति के सामान्य परिस्थितियों में विवेचना नहीं हटाई जा सकती । डीजीपी मुख्यालय समेत ऊंची संस्थाओं से इस संबंध में पुलिस अधिकारियों के लिए जारी निर्देश है। इसके बावजूद सीओ सिटी के जरिए मनमाना आदेश सामने प्रकाश में आया है । फिलहाल देखना है कि इस प्रकरण में उच्चाधिकारी क्या कदम उठाते हैं?

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