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SPECIAL NEWS : कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ……

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SPECIAL REPORT BY AMIT KUMAR CHAWLA (SUB EDITOR)

LUCKNOW NEWS। 

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. 28 वर्षीय प्रतीक सैनी ने इस कहावत को वास्तविकता में चरितार्थ कर दिखाया है .प्रतीक वर्तमान में सहायक प्रबंधक के रूप में इंडियन बैंक की चौक शाखा में कार्यरत है और पूर्ण रूप से नेत्रहीन है। आंखों में भले ही रोशनी नहीं है लेकिन प्रतीक की प्रबल इच्छा शक्ति ,मनोबल और बेहतरीन कार्य प्रणाली की बैंक के ग्राहक ,कर्मचारी व अधिकारी भी मुरीद है.

दिमागी बुखार ने छीन लिया आखों की रोशनी 

15 वर्ष की आयु में प्रतीक को दिमागी बुखार हुआ जिसकी वजह से उनके मस्तिष्क में ऑप्टिक नर्वस का रक्त परिसंचरण रुक गया और आंखों की रोशनी चली गई। और जीवन अंधकार पूर्णहो गया. प्रतीक बताते हैं वह नियमित रूप से चौक स्थित बड़ी काली जी के मंदिर अपनी माता जी के साथ जाते थे. वहीं नेशनल ब्लाइंड एसोसिएशन के किसी सदस्य से उनका मिलना हुआ .

संस्था के संपर्क में आने के बाद और संस्था के प्रयासों से प्रतीक कंप्यूटर प्रशिक्षण के लिए मुंबई गए।और सीखने की ललक के चलते न केवल प्रशिक्षण पूरी सफलता से प्राप्त किया बल्कि अपनी पढ़ाई भी जारी रखी .2011 में प्रतीक के पिता का कैंसर बीमारी से निधन हो गया .2013 में प्रतीक को अपने पिता की जगह पर डीएम कार्यालय में सहायक स्वागत अधिकारी की नौकरी मिल गई ।

इसके बाद उन्होंने अपनी बड़ी बहन की शादी भी कराई। दिक्कतों से जूझते हुए प्रतीक ने अधिकारी बनने की ठानी और आईबीपीएस की परीक्षा तीसरे प्रयास में पास की इसके बाद उनके बैंकिंग करियर की शुरुआत हुई और 8 जून 2022 को उनकी नियुक्ति इंडियन बैंक में हुई .

नेत्रहीन आखों में है आईएएस अधिकारी बनने का सपना 

प्रतीक बताते हैं कि बैंक प्रोबेशनरी अधिकारियों के प्रशिक्षण के दौरान 74 लोगों में वह एकमात्र नेत्रहीन थे। तब अन्य प्रशिक्षु भी उनसे बहुत प्रभावित हुए .प्रतीक का सपना है कि वह एक आईएएस अधिकारी बने इसके लिए वह बैंक में कार्य करते हुए भी तैयारी में लगे हैं।

इतना ही नहीं वह राष्ट्रीय स्तर पर नेत्रहीन फुटबॉल टीम में भी खेल चुके हैं साथ ही साथ अभिनय के क्षेत्र में भी कई नाटकों में कार्य कर चुके हैं।

इंडियन बैंक चौक शाखा प्रबंधक साधना दुबे बताती है कि उनकी तरफ से प्रतीक सैनी को पूरा सहयोग किया जाता है .प्रतीक भले ही पूर्ण रूप से नेत्रहीन है लेकिन मोटिवेशन की कमी नहीं है उन्होंने बताया कि प्रतीक अपने दायित्वों का अच्छी तरह से निर्वहन करते हैं।

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