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ब्रांड एंबेसडर बनी पूर्व मिस वर्ल्ड अभिनेत्री मानुषी छिल्लर

विश्व स्तर पर भारतीय रत्न और आभूषण निर्यात को बढ़ावा देने वाली अपेक्स ट्रेड बॉडी जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (जीजेईपीसी) ने दुनिया के अग्रणी देशों को बेहतरीन भारतीय आभूषणों की झलक दिखाने के लिए ‘इंडिया इवनिंग’ का आयोजन किया।

आभूषणों की चमक से झिलमिलाती इस संध्या में भाग लेने के लिए दुनिया भर के कई देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिष्ठित राजदूतों, उच्चायुक्तों और कारोबारी बिरादरी को आमंत्रित किया गया। केंद्रीय विदेश एवं शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।

दुनिया भर के ६० से अधिक देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले राजनयिकों के अलावा उपस्थित होने वाले प्रमुख लोगों में जीजेईपीसी के चेयरमैन  विपुल शाह, जीजेईपीसी के वाइस चेयरमैन  किरीट भंसाली और जीजेईपीसी में प्रमोशन और मार्केटिंग के संयोजक  मिलन चोकशी के नाम प्रमुख हैं। ‘इंडिया इवनिंग’ का मुख्य आकर्षण फैशन शो था, जिसमें मानुषी छिल्लर शोस्टॉपर थीं।

इस रंगारंग भव्य आयोजन की अहमियत उस समय और बढ़ गई, जब जीजेईपीसी के चेयरमैन  विपुल शाह ने भारत की डायमंड, जैम और ज्वैलरी इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए जीजेईपीसी की ग्लोबल ब्रांड एंबेसडर के रूप में पूर्व मिस वर्ल्ड मानुषी छिल्लर (मिस इंडिया वर्ल्ड 2017, अभिनेत्री, युवा आइकन) के नाम का एलान किया।

जीजेईपीसी को नोडल एजेंसी बनाकर भारत सरकार ने रत्न और आभूषण व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। देश के विभिन्न हिस्सों से कारीगरों द्वारा हीरे, रत्न और आभूषण व्यवसाय में 5000 वर्षों की हस्तनिर्मित बेहतरीन डिजाइनों का प्रतिनिधित्व करने वाली उत्कृष्ट और अनूठी कृतियों के प्रदर्शन की सुविधा समय समय पर प्रदान किये जानेे के लिए भी सरकार द्वाराजरूरी कदम उठाए जा रहे हैं I

जीजेईपीसी की ब्रांड एंबेसडर अभिनेत्री मानुषी छिल्लर ने इस अवसर पर कहा, ‘‘रत्नों और आभूषणों की दुनिया में उत्कृष्टता की पहचान कायम करने वाली संस्था जीजेईपीसी की ब्रांड एंबेसडर बनकर मुझे बहुत खुशी और गर्व का अनुभव हो रहा है। भारत की समृद्ध विरासत और अद्वितीय शिल्प कौशल ने सदियों से दुनिया को हैरान किया है।

जीजेईपीसी ब्रांड एंबेसडर के रूप में, मैं आभूषण उद्योग की अविश्वसनीय प्रतिभा को विश्व स्तर पर प्रदर्शित करने के लिए समर्पित भाव से काम करने के लिए तैयार हूं। आभूषण हमारी विरासत, संस्कृति और भावनाओं का प्रतिबिंब हैं, ये लोगों को जोड़ते हैं और स्थायी यादें बनाते हैं।

मेरा लक्ष्य रहेगा कि मैं ज्वैलरी इंडस्ट्री की कलात्मकता, रचनात्मकता, डिज़ाइन उत्कृष्टता और नवीनता को बढ़ावा दे सकूं, क्योंकि इनकी बदौलत ही हमारी इंडस्ट्री ने दुनियाभर में अपनी एक अलग और खास पहचान बनाई है।’’

पुलिस के वास्तविक जीवन का दर्पण है ‘चट्टान’ : जीत उपेंद्र 

“मध्यप्रदेश के एक कस्बे के बहादुर और सिस्टम के खिलाफ अपने परिवार और अपनी जान की परवाह न करते हुए लड़ने वाला जांबाज पुलिस अफसर रंजीत सिंह की कहानी है ‘चट्टान’….जब फ़िल्मकार सुदीप डी.मुखर्जी ने मुझे इस की कहानी सुनाई तो मैं उनकी फिल्म ‘चट्टान’ का यह किरदार करने के लिए बहुत ही उत्साहित हो गया।

ऐसे भी मेरी रूचि वास्तविक किरदारों को जीने में ज्यादा रहता है इसलिये रंजीत सिंह का सहज और स्वाभाविक कैरेक्टराइज़ेशन, कहानी का टर्निंग पॉइंट और 1990 के दौर की खुशबू मुझे भा गई और मैं ‘चट्टान’ का पुलिस इंस्पेक्टर रंजीत सिंह बन गया।”

यह राज की बात प्रखर अभिनेता जीत उपेंद्र ने हाल ही में मुंबई के गोरेगाव स्पोर्ट्स क्लब में हुई एक विशेष अंतरंग बातचीत में साझा की। अभिनेता जीत उपेंद्र सिने अंचल के लिए किसी परिचय का मोहताज़ नहीं है। नारी हीरा जैसे सफल मीडिया किंग ने उन्हें 1980 में वीडियो के शुरूआती दौर में वीडियो फिल्म ‘डॉन-2’ और ‘स्केंडल’ में आदित्य पंचोली के साथ लांच किया था I

उसके बाद जीत ने नासिरुद्दीन शाह  के साथ ‘पनाह’ ,आमिर खान के साथ ‘अफसाना प्यार का’ आदि कई हिन्दी फ़िल्में की। उसके बाद जीत उपेंद्र ने हिंदी के साथ साथ मलयालम, गुजराती, राजस्थानी, भोजपुरी,कन्नड़,तामिल फिल्मों में कई मेमोरेबल रोल्स किये I

जिनमें दिल दोस्ती ने परदेशी ढोलना, आतंक, शिखंडी (गुजराती) जांनी वॉकर (मलयालम),माँ का आँचल (भोजपुरी ),शिवा रंजनी (तमिल) दूध का क़र्ज़, चुनड़ी, खून रो टीको (राजस्थानी ) विशेष उल्लेखनीय रही है l

जब भी कोई अभिनेता किसी भी रियल कैरेक्टर की प्ले करता है तो अपने कला पटुत्व को दिखाने या यूँ कह लीजिये अपने किरदार को आत्मसात करने के लिए अपने आसपास विचरते हुए किसी न किसी व्यक्ति विशेष के मैनेरिज्म को ज़रूर अपनाता है आपने इस दिशा में क्या किया है ?

मेरे इस सवाल के प्रतिउत्तर में जीत ने कहा—- “मैंने अपने कैरियर में  हिंदी, राजस्थानी, मालयालम,भोजपुरी, तामिल और गुजराती मिलाकर 150 से भी अधिक फ़िल्में की है पर किसी भी रोल में कभी किसी की कॉपी नहीं की और ना ही मेरा कॉपी करने में विश्वास है।

जब 90 के दौर की वास्तविक कहानी विशेष पर आधारित फिल्म चट्टान में निडर बहादुर पुलिस अफसर रंजीत सिंह का रोल करने का अवसर आया तब भी मैंने अपने सहज और स्वाभाविक मौलिक रूप को ही प्राथमिकता दी और निर्देशक सुदीप डी.मुखर्जी भी यही चाहते थे कि मैं उनके विजन का पात्र लगू बिलकुल कस्बे का नेचरल पुलिस अफसर मैंने इसका पूरा ध्यान रखा  है। मेरा रोल हीरोईज़्म से कोसों मील दूर है।

आपका  लम्बा कैरियर  रहा और फिल्मों में बहुत उतार चढाव का दौर आपने करीब  से देखा है कई कलाकारों से आप दोचार हुए होंगे आप अपना रोल मॉडल किसे मानते  हैं ?

-“यूँ  तो मैंने  कभी किसी को अपना  आइडियल नहीं  माना  फिर भी मेरे मन मस्तिष्क पर डेनी डेन्जोप्पा हमेशा हावी रहे उनका अभिनय और मैनली  मैनरिज़्म मुझे बहुत अच्छा लगता है उनकी खूबियां अनायास बहुत कुछ सिखा जाती हैं।”

पिछले पांच सात सालों में फिल्मों ने नई करवट बदली है स्टोरी टेलिंग,म्यूजिक और टेक्नोलॉजी सभी पक्षों में बदलाव आये हैं ऐसी स्थिति में 90 के फ्लेवर की फिल्म करना आपके कैरियर के लिहाज़ से तर्कसंगत है ?

जब मैंने उनका ध्यान इस तरफ आकृष्ट कराया तो जीत उपेंद्र ने स्पष्ट शब्दों में कहा – “बदलाव तो प्रकृति की नियति है मगर कुछ दौरों में ऐसा कुछ खास हो जाता है कि हमारे लिए धरोहर बन जाते हैं .उनसे लगाव हो जाता है ऐसा ही फिल्मों का 90 का दौर l अभी फ़िल्म इंडस्ट्री और ऑडियंस उस दौर की वापसी चाहती है मेरी फिल्म ‘चट्टान’ उसी की पहल है ।”

आपकी फिल्म 90 के दौर की पहल लगे इसके लिए किन किन पक्षों को इसमें शामिल किया गया है इसका खुलासा कीजिए ? मेरे इस अहम सवाल को सुनकर जीत उपेंद्र गहरी सोच में डूब जाते हैं  I

फिर कॉफ़ी की चुस्की के साथ बड़े उत्साह के साथ बोल पड़ते हैं ” 90 के परिवेश को हूबहू पेश करने क लिए सभी पात्रों के बॉडी लैंगुएज,ड्रेसउप, डायलॉग्स, एक्शन सीक्वेंस और म्यूजिक सभी पक्षों को उसी स्तर पर रखा गया और तो और टेक्नोलॉजी भी उस समय की इस्तेमाल की गई है फिल्म पूरी तरह 90 के कलेवर की लगे उसके  लिये हर छोटी बड़ी बातों का ध्यान रखा गया है ।”

बतौर निर्देशक सुदीप जी के साथ आपके कैसे अनुभव रहे शूटिंग के दौरान कभी किसी क्रिएटिव मसले पर कोई नोकझोंक हुई ? यह पूंछे जाने पर जीत उपेंद्र जोर से हंस पड़े फिर अपने उसी चिर परिचित अंदाज़ में बोले – ” सुदीप दा बहुत बढ़िया सुलझे हुए निर्देशक तो हैं ही पर इंसान भी कमाल के हैं।

शूटिंग का माहौल बिलकुल घरेलू रहा। उनकी स्क्रिप्ट एप्रोच,शार्ट डिवीज़न, शॉट एंगल्स सब कुछ स्पष्ट रहा तो फिर क्रिएटिव टेंशन का सवाल ही नहीं उठता। सबसे बड़ी बात है वो फिल्म के साथ जीते हैं इसलिए कुछ भी उनके आँखों से ओझल नहीं हो हो पाता  ”

चट्टान के म्यूजिक को लेकर यूनिट के अतिरिक्त फिल्म अंचलों में चर्चा हो रही है क्या आपको लगता है इसमें 90 का म्यूजिक संजोया गया है ?

यह सुनते ही जीत  कुमार सानू का गया एक गीत गुनगुना उठे और बोले -“सुदीप जी को संगीत की गहरी समझ है एक एक गाना उम्दा बना है। लिरिक्स, कम्पोज़िशन्स, सिंगर्स आउट पुट्स सभी फिल्म की सिंचुएशन्स के अनुरूप है। ‘चट्टान’ पूर्णत 90 के दशक के फ्लेवर युक्त  म्यूजिकल फिल्म साबित होगी।”

चर्चाओं के बीच :अदाकारा मोनिशा आइज़ेक

धर्म नगरी प्रयागराज से मायानगरी मुम्बई में कदम रखने वाली अदाकारा मोनिशा आइज़ेक जब से जल संरक्षण के लिए कार्य करने वाली चर्चित संस्था रिवर वॉटर यूजर एसोसिएशन से जुड़ी हैं, तब से वो बॉलीवुड में चर्चा का विषय बन गई हैं। मोनिशा आइज़ेक सामाजिक व फिल्मी गतिविधियों में एक्टिव होने के साथ साथ कला की हर रंग में पारंगत हैं।

उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में इन्होंने अपनी स्कूल और स्नातकोत्तर की शिक्षा ग्रहण की है और आगे बायो इंफॉर्मेटिक्स में पीएचडी कर रही हैं। मोनिशा प्रयागराज (इलाहाबाद) में असिस्टेंट प्रोफेसर थी जहाँ वह बायो टेक्नोलॉजी विषय पढ़ाती थी। वह रिसर्च साइंटिस्ट में रिसोर्स स्पीकर के तौर पर कार्य कर चुकी हैं और वह विभिन्न देशों में रिसोर्स साइंटिस्ट के तौर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। मोनिशा का परिवार बेहद शिक्षित और सुसंस्कृत है।

मोनिशा हमेशा सीखते रहने और कुछ नया करने में विश्वास करती हैं। उन्हें कुकिंग, सिंगिंग, ड्राइविंग और लेखन का शौक है। मिस नॉर्थ इंडिया सब कॉन्टिनेंट 2017 शो में वह मिस फोटोजनिक की उपाधि से सम्मानित हो चुकी हैं। वह 2017 में मिस दिल्ली फाइनलिस्ट भी रह चुकी हैं। उन्होंने कई विज्ञापन फिल्मों में भी काम किया है।

वूमेन डे, मदर डे पर बने स्पेशल विज्ञापन, डिओड्रेंट आदि के डिजिटल विज्ञापन में वह काम कर चुकी हैं। नेटफ्लिक्स ओटीटी पर रिलीज दीपंकर बनर्जी की एक शार्ट फिल्म में भी वो अपने अभिनय का जलवा बिखेर चुकी हैं। एफटीआई में उन्होंने अपने अभिनय की बारीकियों को निखारने के लिए स्क्रीन एक्टिंग वर्क शॉप भी किया है।

मोनिशा आत्मनिर्भर, स्वाभिमानी और सशक्त महिला हैं। दो सालों तक वह अश्मिता थिएटर से जुड़ी रही जहाँ उन्होंने हजार से ज्यादा नुक्कड़ नाटक और स्टेज नाटक किये हैं। फिल्म ‘जय गंगाजल’ में अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा के अभिनय से वह बहुत प्रभावित रही और आगामी समय में वह भी अभिनय में अपना नया मुकाम हासिल करना चाहती हैं।

शाहरुख खान उनके पसंदीदा अभिनेता हैं। मोनिशा का कहना है कि यदि आप कोई भी लक्ष्य बनाते हो तो सबसे पहले आपको शिक्षा ग्रहण करना बेहद आवश्यक है। बेहतर शिक्षा आपको आपकी मंजिल तक पहुंचाने की समझ देगी और आपका रास्ता भी आसान बनाएगी। साथ ही साथ आपके कार्यक्षेत्र में आपकी शिक्षा ही सम्मान दिलाती है।

यदि अभिनय जगत में आपको कदम रखने है तो आप पहले पढ़ाई पूरा करो फिर आओ यह आपको आत्मनिर्भर बनाएगी और अच्छे बुरे की समझ प्रदान करेगी। साथ ही मन के साथ आप अपने शरीर का भी ख्याल रखें उसे फिट रखें। व्यक्ति को अभ्यास करना कभी नहीं छोड़ना चाहिए यह आपको बेहतर बनाने में सहायक होता है।

बहुत जल्द ही ओटीटी स्टोरी डेक पर उनकी शॉर्ट फिल्म ‘कॉफी’ आने वाली है जिसमें एक रोमांटिक और दिल को छू लेने वाली कहानी है। मोनिशा की अन्य शॉर्ट फिल्में ओटीटी पर जल्द आने वाली है।

प्रस्तुति : काली दास पाण्डेय

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