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खाड़ी देशों में दौड़ेगी भारतीय रेल

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यह सुखद है कि आने वाले वर्षों में संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब समेत कई खाड़ी देशों में भारत निर्मित ट्रेन दौड़ती नजर आएगी। समुद्र के रास्ते रेल नेटवर्क से जुड़ी इस महत्वपूर्ण परियोजना को लेकर भारत, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने सैद्धांतिक सहमति जता दी है। यह रेल नेटवर्क बंदरगाहों से शिपिंग रेल के जरिए भारत से जुड़ेगा जिससे भारत के लिए खाड़ी देशों तक पहुंच बनाना आसान होगा।

गौरतलब है कि इस परियोजना का विचार सबसे पहले आई2यू2 फोरम में आया। आई2यू2 की स्थापना का निर्णय 2021 में भारत, इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश मंत्रियों की बैठक में लिया गया। इसका उद्देश्य मध्य पूर्व में रणनीतिक-कूटनीतिक इन्फ्रा प्रोजेक्ट को आकार देकर चीन के प्रभाव को कम करना है। याद होगा इजरायल ने गत वर्ष 14 जुलाई 2022 को आई2यू2 की वर्चुअल बैठक में इस क्षेत्र को रेलवे से जोड़ने का विचार दिया था।

हाल ही में बाइडन प्रशासन ने इसमें सऊदी अरब को शामिल करने का विचार प्रकट किया गया है। दरअसल अमेरिका इस रेल नेटवर्क के जरिए खाड़ी देशों से होते हुए दक्षिण पश्चिम एशिया तक अपनी पहुंच आसान बनाना चाहता है। यह तभी संभव होगा जब अरब और खाड़ी देशों को रेल नेटवर्क से जोड़कर समुद्री संपर्क को मजबूत किया जाएगा। यह परियोजना भारत के लिए भी इस मायने में महत्वपूर्ण है कि पड़ोसी देश चीन बेल्ट एंड रोड इनशिएटिव के जरिए मध्य पूर्व के देशों में तेजी से निवेश कर अपनी दखल बढ़ा रहा है।

इसके जवाब में भारत भी सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में रेल नेटवर्क से जुड़कर चीन के बेल्ट एंड रोड इनशिएटिव का करारा जवाब दे सकता है। उल्लेखनीय है कि चीन 2013 में बेल्ट एंड रोड इनशिएटिव प्रोजेक्ट के जरिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान होते हुए पश्चिम एशिया के देशों और यूरोप तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिश में है। उसकी योजना दुनिया के तकरीबन 150 से अधिक देशों को सड़क, रेल और शिपिंग लेन से जोड़ना है। हालांकि भारत और इटली समेत दुनिया के कई देशों ने चीन की मंशा पर शक जताकर इस परियोजना से खुद को दूर रखा है।

गौर करें तो इस समय पाकिस्तान से रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हैं। गिलगित बाल्टिस्तान पर उसका अवैध कब्जा है। ऐसे में भारत के लिए जमीन के रास्ते अफगानिस्तान होकर पश्चिम एशिया तक पहुंच बनाना आसान नहीं है। लेकिन अगर समुद्र के रास्ते रेल नेटवर्क का विस्तार होता है तो भारत के लिए वरदान सरीखा होगा। चूंकि भारत कच्चे तेल का बड़ा बाजार है इसलिए सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात भी इस परियोजना को लेकर बेहद उत्साहित हैं। यह परियोजना इसलिए महत्वपूर्ण है कि खाड़ी देश और दक्षिण-पश्चिम एशिया ऐतिहासिक, राजनीतिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक व आर्थिक कारणों से भाारतीय विदेश नीति में विशिष्ट महत्व का विषय रहे हैं।

यह क्षेत्र भारत के विदेश नीति के रक्षा संबंधित पहलूओं को भी प्रभावित करता है। साथ ही इस क्षेत्र में नए क्षेत्रीय कुटनीतिक-आर्थिक संबंध तेजी से बनते-बिगड़ते रहते हैं। चूंकि इस क्षेत्र में भारतीयों के अलावा पाकिस्तानी भी भारी तादाद में रहते हैं ऐसे में भारत विरोध के स्वर को धीमा करने के लिए यहां भारत को अपना प्रभाव बढ़ाना आवश्यक है। रेल नेटवर्क परियोजना के आकार लेने से सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से भारत के संबंध सुधरेंगे। हाल के वर्षों में भारत और सऊदी अरब के बीच रिश्ते प्रगाढ़ हुए हैं।

आज की तारीख में सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार देश है। उर्जा के एक बड़े स्रोत के रुप में भी सऊदी अरब भारत के लिए मुफीद है। ध्यान देना होगा कि उर्जा क्षेत्र में सहयोग द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण आयाम है और दोनों पक्ष युक्तिसंगत उर्जा भागीदारी की दिशा में कार्यरत हैं। इसमें सऊदी अरब द्वारा भारत को निरंतर कच्चे तेल की दीर्घकालीन आपूर्ति उसके उर्जा की बढ़ती आवश्यकताओं की आपूर्ति सम्मिलित है। हम कच्चे तेल की अपनी आवश्यकता का लगभग 15 से 19 प्रतिशत सऊदी अरब से आयात करते हैं। रेल नेटवर्क के आकार लेने से सऊदी अरब के साथ-साथ भारत-संयुक्त अमीरात के साथ भी व्यापारिक गतिविधियों को विस्तार मिलेगा।

दोनों देशों के सामरिक-आर्थिक बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास होगा और संयुक्त पूंजी से रेलवे, बंदरगाह, सड़क, हवाई अड्डे, औद्योगिक गलियारे और पार्कों का आधुनिकीकरण करने में मदद मिलेगी। संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, कतर, ओमान, कुवैत और सऊदी अरब में तकरीबन तीन करोड़ भारतीय विभिन्न तरह के काम कर रहे हैं जो दुनिया भर में पसरे तकरीबन सवा सात करोड़ भारतीयों का चैथाई हिस्सा है। अकेले संयुक्त अरब अमीरात से ही 13 अरब डाॅलर भारत आता है। अरब देशों में संयुक्त अरब अमीरात एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक एवं व्यवसायिक हब है तथा साथ ही सिंगापुर एवं हांगकांग के बाद विश्व में तीसरा प्रमुख पुनर्निर्यातक केंद्र भी है।

यही वजह है कि यह इराक, ईरान, सीआईएस देशों तथा अफ्रीका आदि बाजारों के लिए स्रोत केंद्र बना हुआ है। दूसरी ओर लगभग 8 प्रतिशत जीडीपी की वृद्धि दर से भारत विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रुप में उभर रहा है, इसलिए भी दोनों देशों के बीच बेहतर व्यापारिक संबंध होना आवश्यक है। संयुक्त अरब अमीरात भारतीय उत्पादों के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। भारत द्वारा संयुक्त अरब अमीरात से आयात की जाने वाली वस्तुओं में पेट्रोलियम एवं उसके उत्पाद, सोना, चांदी, धातु अयस्क एवं धातु अपशिष्ट, सल्फर एवं लौह पायराइटस, मोती तथा बेशकीमती पत्थर इत्यादि शामिल है। इसी तरह भारत द्वारा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में आरएमजी काॅटन, रत्न, आभूषण, मानव निर्मित धागे, समुद्री उत्पाद तथा प्लास्टिक इत्यादि शामिल हैं।

खाड़ी देशों से संबंध मजबूत होने से भारत को पश्चिम एशिया के साथ-साथ मध्य एशिया पर भी नजर रखने में मदद मिलेगी। आज मध्य एशियाई क्षेत्र में चीन हावी है। खनिज संपदाओं से लबालब उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान दुनिया के सबसे बड़े तेल एवं प्राकृतिक गैस क्षेत्र हैं। इन पर चीन की नजर है। ऐसे में भारत खाड़ी देशों के साथ रेल नेटवर्क का विस्तार कर पश्चिम और मध्य एशिया में चीन के खिलाफ प्रतिरोध का प्रस्तावना खींच सकता है।     

  अरविंद जयतिलक(लेखक/स्तंभकार)

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