पत्रकार की सुरक्षा का दायित्व सरकारों की है..
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बात पत्रकारो की सुरक्षा की है तो केन्द्र सरकार एवं राज्यों की सरकार का दायित्व है पत्रकारों सुरक्षा हर कीमत पर की जाए क्योंकि लोकतंत्र के अधिकारों और मानवीय अधिकारों व प्रजातंत्र की पत्रकार ही सरकारों समय समय पर याद दिलाते हैं I
बात पत्रकारो की सुरक्षा की है तो केन्द्र सरकार एवं राज्यों की सरकार का दायित्व है पत्रकारों सुरक्षा हर कीमत पर की जाए क्योंकि लोकतंत्र के अधिकारों और मानवीय अधिकारों व प्रजातंत्र की पत्रकार ही सरकारों समय समय पर याद दिलाते हैं I सुरक्षा की जाए तो किस पत्रकार की जाए असमंजस में है पुलिस
देखना यह है कि पत्रकार किस तरह से पुलिस के द्वारा सताया गया है I
सामाजिक घटनाओं की खबर प्रकाशन के बदले या पीड़ित पत्रकार के द्वारा पूर्व में किए गए अपराधिक गतिविधियों के चलते यह विषय जांच का है परन्तु प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज से पूर्व पत्रकार की अपराधिक गतिविधियों एवं जीवन में रहे गतिशील कर्मशील गुणदोष के आधार पर जांच एक कमेटी द्वारा करा ली जाए अगर हम बात करे राष्ट्र के चौथे स्तंभ की तो कलम दुश्वारियों में है I पत्रकार मारे जा रहे हैं कुचले जा रहे है और सरकार का पत्रकारों की सुरक्षा का दावा खोखला होता जा रहा है I
शब्द आनुष्ठानिक नहीं होते, इसलिए जरूरी नहीं कि चौथे स्तंभ के खतरे में होने की बात पत्रकारिता दिवस पर ही कही जाए। कलम दुश्वारियों में है। पत्रकार मारे जा रहे हैं, कुचले जा रहे हैं, गिरफ्तार हो रहे हैं। लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए कोई पत्रकार सच का खुलासा करता है,तो माफिया मार डालते हैं। जान से मारने की धमकी देते है जिसपर पुलिस विभाग भी शख्त कदम उठाने मे नाकाम साबित हो रहा है I
सच का यह सिर्फ एक पहलू है, दूसरा खुद चौथे खंभे के घर-आंगन में है कुछ ताजा घटनाओं का संदर्भ लेते हुए,आइए, जानते हैं,आखिर किस तरह पत्रकार अपनी जान जोखिम मे डालकर सच्चाई का आइना विभाग को दिखाता है I एक मामला देश की राजधानी दिल्ली के पश्चिम बिहार का है वहां भी एक महिला पत्रकार के साथ हुआ कुछ मामले महाराष्ट्र के पत्रकारों के साथ हुए ताजा मामला जनपद अयोध्या के कोतवाली अयोध्या से निकल कर सामने आ रहा है I जहां पर बिजली चोरी की रिपोर्टिंग करने गई महिला पत्रकार के साथ गाली गलौच व हाथापाई व दबंगई करके पत्रकार को ही नही बल्कि पुलिस विभाग को चुनौती दी है I
अयोध्या धाम स्थित राम पथ मार्ग ख़ाकी अखाड़ा हनुमानगढ़ी मे अवैध तरीके से बिजली चोरी कर कार्य चल रहा था I मामले की जानकारी होने पर हिंदी दैनिक समाचार पत्र की जिला संवाददाता मिताली रस्तोगी मामले की ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए पहुँची और वहाँ तस्वीरे लेने का प्रयास किया ,उसी समय वहाँ दबंग बृजेश गुप्ता उर्फ़ बिरजू आ धमका और तस्वीरे लेने से मना किया I हमारे संवाददाता ने कहा कि आप लोग बिजली की चोरी कर सरकारी राजस्व को चूना लगा रहे है I एक पत्रकार होने के नाते मेरी जिम्मेदारी है कि मैं ऐसे समाज विरोधी कृत्यों का पर्दाफाश करूँ I
जिस पर दबंग भड़क गया और महिला पत्रकार के साथ गाली गलौच और अभद्रता करने लगा और हाथा पाई करने व मोबाइल फोन छीनने का प्रयास किया I इसी बीच पत्रकार द्वारा बिजली विभाग के अधिकारियों को भी विद्युत चोरी की सूचना दी और आपातकालीन पुलिस हेल्पलाइन सेवा से पुलिस को बुलाया I भड़के हुए दबंग ने पुलिस आने की सूचना पर महिला पत्रकार धमकी दिया कि तूने ये करके अच्छा नही किया अब तुझे जिंदा नही छोड़ेंगे, जहाँ मिलेगी वही मार डालेंगे I
जिसके बाद दबंग वहाँ से भाग निकला, पत्रकार द्वारा घटना की सूचना कोतवाली अयोध्या मे लिखित प्रार्थना पत्र के रूप मे दिया गया है I वही पर कुछ ही दिन पहले कोतवाली बीकापुर अन्तर्गत पुलिस चौकी मोतीगंज चौकी प्रभारी के द्वारा एक पत्रकार को अपना निशाना बना लिया I हिन्दी दैनिक अखबार के पत्रकार धर्मेन्द्र तिवारी के मामले को घटनात्मक दृष्टि से देखें तो यह बात मामूली सी लगती है लेकिन जब हम इसे चौथे स्तंभ के मूल्यों की कसौटी पर परखते हैं I ऐसा सोचने के लिए विवश हो जाते हैं कि किस तरह आज की ऐसी गैरजिम्मेदाराना स्थितियां ही ईमानदार पत्रकारों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी हैं।
जहां तक लोकतंत्र के खतरों की बात है,सोशल मीडिया आता है,खतरा पैदा हो जाता है I गठबंधनवादी सियासत पर कुछ लिखो,खतरा पैदा हो जाता है I खनन माफिया, शिक्षा माफिया, वन माफिया, दवा माफिया, भूमाफिया, के भेद खोलो, खतरा पैदा हो जाता है और सबसे बडा खतरा आज राष्ट्र के चौथे स्तम्भ को पुलिस विभाग से है I यह अपने खाकी की रौब से पत्रकार की कलम मे लगाम लगाना चाहते हैं I केन्द्र एवं राज्यों की बेलगाम पुलिस आज पत्रकारों को फंसाने के लिए किस हद तक गिर जायेगी अन्दाजा नही लगाया जा सकता है I
जिसका जीता जागता सबूत चौकी मोतीगंज चौकी प्रभारी अश्विनी कुमार ने किया है I धर्मेन्द्र तिवारी पत्रकार की खबर को लेकर चौकी प्रभारी अश्विनी कुमार व सिपाही प्रदुम्म और संतोष को लेकर सबर्ण जाति सूचक गाली देते हुए कमरे के अन्दर लाठियों की बौछार कर दिया I यही नही अपने कृत्य को छुपाने के लिए जिस तरीके से चौकी प्रभारी एक महिला का सहारा लेकर पत्रकार पर फर्जी छेड़खानी का मुकदमा दर्ज किया I यह पत्रकारो की स्वतंत्रता का हनन है जिसका मीडिया जगत घोर निन्दा करता है I
यह खेल अकेले चौकी इंचार्ज ही नहीं बल्की थाना प्रभारी बीकापुर राजेश राय भी शामिल है I इस बात का खुलासा तब होता है जब पत्रकारों को चौकी प्रभारी व थाना का अलग अलग बयान दिया गया I बिन्दू लता की लहरीर मे बिन्दु लता के साथ छेड़खानी व हाथा पाई चौकी के बाहर कस्बे मे होती हैं I चौकी प्रभारी के बयान मे छेड़खानी चौकी के सामने सडक पर होती हैं तो वही पर थाना प्रभारी के बयान मे पत्रकार धर्मेन्द्र तिवारी बिन्दू लता से छेड़खानी चौकी के अन्दर करने का दावा किया है I
अब एक ही आदमी एक ही दिन में एक ही महिला से एक ही समय मे कैसे छेड़खानी व हाथा पाई करता है यह सोंचने का बिषय है इन तीनों अलग अलग बयान मे साफ साफ साजिश की दुर्गंध आती हैं चौकी प्रभारी अश्विनी कुमार की इस हरकत ने पत्रकारों की स्वतंत्रता को भंग करने का कार्य किया है जिसकी जांच होकर दोषियो के खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए और चौथे खंभे के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है I
केन्द्र सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार पत्रकार की सुरक्षा का लाख दावा करे लेकिन धरातल की सच्चाई मे सनी देओल के फिल्म दामिनी का डायलॉग याद आ जाता है I जिसमे कहता है की जज आर्डर आर्डर करता रहेगा और तू पिटता रहेगा I वही खेल पत्रकारो के साथ पुलिस विभाग कर रहा है I मनुष्य के साथ शारीरिक हिंसा सबसे जघन्यतम कृत्य माना गया है। यदि कोई पत्रकार सच का खुलासा करता है तो उसे माफिया मार डालते हैं। वह लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए ऐसा करता है। ऐसे में हमारी पुलिस व्यवस्था, न्याय पालिका और सरकार को सवालों के घेरे से बाहर नहीं रखा जा सकता है।
पत्रकार मारे जा रहे हैं, कुचले जा रहे हैं, गिरफ्तार हो रहे हैं, अदालतों के चक्कर लगा रहे हैं, उनकी कलम की राह की दुश्वारियां किस हद तक पहुंच चुकी हैं, यह सवाल बखूबी हमें अभिव्यक्ति के खतरों का एहसास कराता है I वह भी तब,जबकि पत्रकारिता को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का दर्जा प्राप्त है। आजाद भारत देश में पत्रकारों के साथ इस तरह का जघन्य अपराध एक बार फिर शहीद भगत सिंह की टिप्पणी पर सोचने के लिए विवश करती है कि ‘क़ानून की पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है जब तक की आप चाटुकारिता करे जिस दिन सच लिखोगे तो पुलिस आपके पीछे एक षड्यंत्र रचकर आपको ही अपाहिज बना देगी I
वी पी एस खुराना- वरिष्ठ पत्रकार