Lok Dastak

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चुने उसे जो आपकी बात सुने……..

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आगामी 4 मई को हम अपने शहर की सरकार बनाने के लिए अपना वोट डालकर जनादेश देंगे  ! शहर के 110 वार्डों में प्रत्याशियों की भरमार है I पार्षद के लिए हर राजनीतिक पार्टी के अपनी उम्मीदवार मैदान में है, निर्दलीय भी पीछे नहीं .जिन वार्डों में आरक्षण प्रणाली के अंतर्गत महिला सीट आरक्षित है ,वहां के प्रत्याशी वही है जो पहले भी रहे हैं केवल अपनी पत्नियों के चेहरे को आगे कर दिया है I मतलब यह कि उनकी पत्नी के नाम पर वोट पड़ेंगे I

भले ही वह महिला   जीत भी जाए, चलेगी उनके पति की I अब हमें -आपको यह देखना होगा कि हमारे   वार्ड  के जो पूर्व पार्षद रहे हैं वह अपने समय में क्या कर पाए? क्या नहीं कर पाए  ?और इस बार क्या बड़ा कर लेंगे यदि जीत जाए तो ! ज्यादा नहीं आपको 2 साल पीछे ले चलते हैं  कोरोना की विभीषिका को हम सभी ने झेला  है।तब हमारे कितने काम आए थे हमारे उस समय के पार्षद जी !

क्या वे हमारे दुख में शामिल हुए? क्या जब हम अपने  संक्रमित  मरीजों  को भर्ती कराने के लिए डॉक्टरों के हाथ-पैर जोड़ रहे थे तब क्या हमारे वार्ड के नेता जी ने हमारी पीठ पर हाथ रख कर कहा था कि परेशान मत हो अपने प्रभाव से मैं आपके मरीज को भर्ती करवा लूंगा और तो और जब लोगों को कंधा देने वाले नहीं मिल रहे थे तब क्या कर रहे थे आप के नेता जी?

आदमी अपनी पीड़ा को जितनी आसानी से अपने पास वाले को बता देता है इतनी आसानी से दूर बैठे शासन प्रशासन के लोगों तक नहीं पहुंचा पाता। मदद भी पीड़ित व्यक्ति को सबसे पहली और तेजी से वही व्यक्ति दिला सकता है जो क्षेत्रीय नागरिक  हो।और हमारे फोन करने पर हमारी परेशानी को अपनी परेशानी समझ कर उसका तत्काल निराकरण करने में हमारा सहयोग करें  I

बात जब भी  निकाय चुनाव की आती है तो मुद्दे वही पुराने रहते हैं जो सालों से चले आ रहे हैं .जलभराव , गंदगी ,टूटी सड़कें , गंदे पानी की सप्लाई  आदि।यह  वही मुद्दे हैं जिनके नाम पर वोट मिलते हैं और चुनाव जीतने के बाद भी जनता को   यह दुश्वारियां  अगले 5 वर्षों के लिए फिर मिल जाती है  लेकिन हल  नहीं मिलता .फिर अगले चुनाव के लिए  यही मुद्दागर्म रहता है।

कहने का मतलब यह है कि सबसे पहले हमें अपने मन से इस भ्रमको मिटाना होगा कि जिसे हम पार्षद बनाएंगे वह हमें इन समस्याओं से निजात दिलाएगा. क्योंकि वार्ड का विकास कई तरह के समीकरणों पर आधारित होता है ,उसे छोड़ दीजिए. अब आइए पार्षद के व्यक्तित्व पर .सच्चे अर्थों में आपका पार्षद  वह व्यक्ति बनना चाहिए जो आपके वार्ड में आपका, स्थानीय लोगों का सच्चा हमदर्द हो  मददगार हो ,रात को 12:00 बजे भी  आप उसके घर का दरवाजा   पीटते हैं, तो वह उठे और आपकी बात सुने और घर से निकलकर आपके कंधे से कंधा मिला कर खड़ा हो… I

इसी राजधानी लखनऊ में ऐसे पूर्व पार्षदों की कमी नहीं है जो  अपने वार्ड के सच्चे हितैषी रहे! जन समस्याओं के निराकरण में भले ही वह बहुत कुछ ना कर पाए हो मगर  लोगों के सुख-दुख में सबसे आगे खड़े नजर आए अब भले ही उनके क्षेत्र में चुनाव उनकी पत्नी के नाम पर लड़ा जा रहा है    लेकिन वोट उस व्यक्ति  की इंसानियत के नाम पर ही पड़ेंगे .हमें भी यही देखना होगा ,पैमाना यही बनाना होगा कि जिसे भी हम वार्ड का पार्षद  बनाएं ।वह सरकारी योजनाओं का लाभ हमें दिलाए, गरीबों का आयुष्मान कार्ड बनवाने में मदद करें ताकि वह निशुल्क स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ ले सके I

निशुल्क राशन आसानी से मिल सके इसकी व्यवस्था करें .जन्म मृत्यु  आदि। अन्य सरकारी प्रमाण पत्रों को बनवाने के लिए खुद तत्परता दिखाएं .क्षेत्र में समय दें। पार्षद भी इंसान ही है,वार्ड की सारी नहीं तो प्राथमिकता के आधार पर जन समस्याओं का निराकरण करने में पूरा जोर लगा दे I अपने वार्ड में हमें  उसे पार्षद बनाएं आदर्श वार्ड बनाने की कुब्बत रखता  हो।इसलिए आवाहन यही है कि “उसे ही चुने जो आपकी सुने” I

अमित कुमार चावला 

लखनऊ

(लेखक/समाजसेवी}

 

 

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