आरटीआई एक्टिविस्ट पर हमले के पीछे ‘मंदिर परिसर’ विवाद तो नहीं !
1 min readसुल्तानपुर। वरिष्ठ अधिवक्ता व आरटीआई (RTI) एक्टिविस्ट रवींद्र सिंह पर जानलेवा हमला कर उन्हें लहूलुहान करने के हाईप्रोफाइल मामले में पुलिसिया तफ्तीश ‘कच्छप चाल’ चल रही है। वारदात को 48 घंटे बीतने को हो आए हैं लेकिन अभी तक पुलिस घटनास्थल को लेकर दुविधा में है। पीड़ित अधिवक्ता (ADVOCATE) के अनुसार हमला जिस जगह हुआ वो स्थल शहर की गभड़िया पुलिस चौकी क्षेत्रांतर्गत है। जबकि दर्ज एफआईआर में शहर कोतवाल ने विवेचना लक्ष्मणपुर पुलिस चौकी प्रभारी संजीव कुमार को सौंप भ्रम गहरा कर दिया है।
ऐसे में अभी तक वारदात (Incident) की तफ्तीश (Investigation) को लेकर घटनास्थल का विवेचक ने मुआयना किया न ही क्षेत्रवासियों से।कोई पूछताछ ही की। अलबत्ता कोतवाल रामाशीष उपाध्याय मौका-ए-वारदात का जरूर एक चक्कर लगा आए। फिलहाल पुलिस कप्तान सोमेन वर्मा का दावा है कि निष्पक्ष जांच कर वारदात का जल्द खुलासा किया जाएगा।
सुई टिक रही जाकर मौनी मंदिर पर !
फौजदारी के सीनियर एडवोकेट रहे (मौजूदा शहर विधायक विनोद सिंह के चाचा) पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष स्व.राजकिशोर सिंह के चैम्बर में वकालत सीखने वाले आरपी सिंह जुनूनी आरटीआई एक्टिविस्ट हैं। वकालत अध्यवसाय के साथ साथ वे शहर में बेशकीमती सरकारी, ‘नजूल व नॉनजेडए’ भूमि पर कब्जा करके मॉल और कांप्लेक्स निर्मित कराने वाले भूमाफियाओं के खिलाफ करीब 10-12 वर्षों से जुटे हुए हैं। ‘वनमैनआर्मी’ की तरह लड़ी जा रही जंग में उनके अस्त्र हैं ‘आरटीआई (RTI) व जनहित याचिका’।
जिसके जरिये सुल्तानपुर शहर के सिविल लाइन,पंचरास्ता, महुअरिया, बस स्टेशन, पल्टन बाजार व चौक आदि क्षेत्रों में ‘नजूल व नॉनजेडए’ भूखंडों, मंदिरों और धर्मशालाओं पर कब्जे कर अवैध रूप से व्यावसायिक इमारत खड़ी करने वाले भूमाफियाओं व रसूखदार-सफेदपोशों और सरकारी कर्मियों का गठजोड़ उनके ‘टार्गेट’ पर है। इसी क्रम में सर्वाधिक चर्चित प्रकरण है ‘मौनी मंदिर’ (MAUNI MANDIR) ।
कलेक्ट्रेट के सामने महज 100 मीटर के फासले पर स्थित मौनी मंदिर परिसर सरकारी नजूल संपत्ति है। जिसे प्रशासन ने महान कवि एवं साहित्यकार स्व.पंडित रामनरेश त्रिपाठी को उनकी शख्सियत के सम्मान में ‘तुलसी सत्संग’ की खातिर पट्टा दे दिया था। जब वे इस दुनिया में नहीं रहे तो वो जगह कुछ रसूखदार सफेदपोश लोगों के कब्जे में आ गई। वक्त बदला। सन 2021 में उस बेशकीमती जमीन पर स्थित भवन को बगैर इजाजत ढहाकर भूमाफियाओं ने व्यावसायिक काम्पलेक्स बनवाना शुरू कर दिया।
उनके रसूख व सत्ता में पकड़ के आगे योगीराज के बावजूद प्रशासन ‘पंगु’ हो गया। अंततः पीआईएल (PIL) की आरपी सिंह ने ! नतीजा हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने भूमाफियाओं के मंसूबे पर पानी फेरते हुए निर्माण पर स्थायी रोक लगा दी। उधर कथित बिल्डरों ने ‘तुलसी भवन’ ढहाया तो तत्कालीन पालिकाध्यक्ष बबिता जायसवाल ने पालिका के कागजातों से भी उसे खारिज कर डाला। इसके बावजूद उक्त भूखंड पर निर्माण की जुगत में भूमाफिया सक्रिय रहे।
इधर मार्च माह से पुनः गठजोड़ कायम कर हाईकोर्ट (HIGH COURT) में तमाम तथ्यों व पीआईएल को संदर्भ को छुपा फिर से बिल्डरों ने मौनी मंदिर पर कानूनी रूप से काबिज होने का प्रयास शुरू कर दिया। पालिका के ईओ के पास पुनः म्यूटेशन एप्लिकेशन पड़ी।..लेकिन भनक लग गई आरपी को। उन्होंने न सिर्फ पालिका के ईओ (EO) को लिखित तौर पर अपना पक्ष रखकर कानूनी बारीकियां बता डालीं बल्कि हाईकार्ट में भी संदर्भित रिट में पैरवी शुरू कर दी।
परिणामस्वरूप बेनतीजा ‘डिस्पोज्ड’ हो गई रिट। नतीजतन एक बार फिर पूर्ववर्ती तुलसी सत्संग भवन(मौनी मंदिर परिसर) ढहाने के साजिशकर्ताओं को मुंह की खानी पड़ी। ये सारा घटनाक्रम पंद्रह दिनों के भीतर का है। सूत्रों के अनुसार, इसी के बाद खीझकर आरटीआई एक्टिविस्ट को सबक सिखाने के लिये हमले की व्यूहरचना तैयार हुई। भाड़े के ‘नकाबपोश हमलावर’ तैयार किये गए। मास्टरमाइंड ने ग्रामीणांचल से उन्हें बुलाया। पहले रेकी हुई और फिर वारदात को अंजाम दिया गया।
आक्रोशित है वकील समुदाय
फौजदारी के सीनियर एडवोकेट अरविंद सिंह राजा ने पुलिस कार्यप्रणाली पर संदेह जताया है। कहा है कि जानलेवा हमला होने के बावजूद अभियुक्तों पर पुलिस मेहरबान है। केस में संबंधित धारा 307 नहीं अंकित की गई। ऐसा क्यों ? उनका आरोप है, पुलिस सफेदपोश के दबाव में है। वो अपना रवैय्या बदले। निष्पक्ष विवेचना कर दोषियों को अरेस्ट करे। चाहे वे जितने बड़े रसूखदार हों।
आरटीआई एक्टिविस्ट (RTI activist) आरपी सिंह एडवोकेट का हाल जानने जिला अस्पताल पहुंचे भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष व बार अध्यक्ष करुणा शंकर द्विवेदी व पूर्व बार अध्यक्ष शिवमंगल शुक्ल। साथ में सुभाष चंद्र तिवारी व कुशल तिवारी। पूर्व जिलाध्यक्ष करुणा शंकर द्विवेदी ने सीएमओ सुल्तानपुर से की इलाज के संदर्भ में बात। ..सनद रहे, सोमवार को हुआ था एडवोकेट आरपी सिंह पर सरेराह नकाबपोशों ने लाठी डंडों से जानलेवा हमला किया था