बीत गये हैं 12 साल, कब शुरू होगी इन क्षेत्रों में बस सेवा !
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जितेन्द्र मिश्रा
अमेठी I
सवाल बीते १२ सालो से अनुत्तरित है की तिलोई और सिंहपुर क्षेत्र से सरकारी बस जिला मुख्यालय को कब चलेगी ? सरकार के निर्णय जब जनहित के द्रष्टिगत होते है तो उनसे जनता को लाभ होता है और सरकार की सराहना भी होती है। दूसरी और सरकार जब राजनैतिक बदले या सिर्फ वोटो के समीकरणों के मुताबिक निर्णय लेती है तब जनता को ही उन निर्णयों का भुगतान करना पड़ता है।
अमेठी जनपद का निर्माण तत्कालीन सरकार का एक ऐसा ही निर्णय था। अमेठी के निर्माण की नीव 2003 में पड़ी थी लेकिन इसको मूर्तरूप 2010 में मिला। तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं बसपा सुप्रीमो मायावती ने क्षत्रपति शाहू जी महाराज नगर के रूप में अमेठी को72 वां जिला बना दिया जिसका नामकरण संसोधित होकर बाद की सरकार ने अमेठी कर दिया। अमेठी जनपद के निर्माण को 12 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन इन 12 सालो में राजनीति ने कई करवटें ली, अमेठी ने प्रत्याशित और अप्रत्याशित दोनों देखा लेकिन समस्याएं ज्यों की त्यों बनी रही।
वर्ष 2022 अब 2023 में प्रवेश कर चुका है लेकिन वर्षो से चली आ रहीं जनहित की कुछ समस्याएं भी गत वर्ष से इस वर्ष में प्रवेश ले चुकी है लेकिन उन समस्यायों की लगातार अनदेखी की जा रही है। अमेठी में एक नही कई ऐसी समस्याएं हैं जिनकी लगातार अनदेखी हो रही है और जनता त्रस्त है। अमेठी जनपद निर्माण में तिलोई तहसील को रायबरेली से काट कर अमेठी में जोड़ा गया लेकिन आज की तारीख में देखा जाय तो सबसे ज्यादा घाटे में तिलोई और खास कर तिलोई तहसील का तिलोई और समूचा ब्लॉक सिंहपुर रहा है।
सिंहपुर का एक छोर बाराबंकी जनपद की सीमा से सटा हुआ है और यहाँ से अमेठी जनपद मुख्यालय की दूरी लगभग 75 किलोमीटर है। सिंहपुर विकास क्षेत्र की 58 ग्रामसभाओ के निवासियों को अभी तक जिला मुख्यालय जाने के लिए एक अदद साधन शासन मुहैया नही करवा सका है। अब अंदाजा लगाइए की जबरन जिला बना दिए जाने की सजा यहाँ के निवासियों को बीते 12 सालो से लगातार मिल रही है। सरकारी साधन ही नही इस मार्ग पर सीधे कोई प्राइवेट साधन भी नही चलता है। यही हालत तिलोई की ब्लाक की भी है,59 ग्राम सभाओ के निवासियों को भी एक अदद साधन की दरकार है।
जिला बनाने वालो या फिर जिले को संचालित करने वालो को इस समस्या में कोई रूचि ही नही है यही कारण है कि 12 साल बाद भी समस्या अपनी जगह पर बनी हुई है। तिलोई को रायबरेली से काट कर अमेठी में जोड़ने वालो ने अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा तो पूरी कर ली लेकिन निर्णय से प्रभावित 5 लाख लोगो को नये जिले के नाम पर मिला क्या ? जिले की इस दूरी को पूरा करने के लिए यदि आपके पास खुद का साधन नही है तो संभव नही है।
तिलोई वासियों को दो तो सिंहपुर वालो को तीन साधन बदलना पड़ता है तब कहीं जिला मुख्यालय के दर्शन होते है। अगर आपके पास व्यक्तिगत साधन नही है तो उसी दिन लौट के घर पहुंचना लगभग असम्भव है। हैदरगढ़ से एक सीधी सडक तिलोई को जोडती है , जो आगे बहादुरपर होते हुए जिला मुख्यालय को जोड़ देती है। जिम्मेदार अगर प्रयास करें तो हैदरगढ़ से तिलोई वाया अमेठी जिला मुख्यालय को एक बीएस सेवा देकर इस बड़ी समस्या से निजात दिला सकते है लेकिन देखना होगा की जिम्मेदारो की नजर इस समस्या पर कब जाती है।
अमेठी लोकसभा क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ समझा जाता था , संजय गाँधी से शुरू होकर इस लोकसभा सीट पर पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गाँधी , सोनिया गाँधी , और राहुल गाँधी ने प्रतिनिधत्व किया। गत लोकसभा चुनाव में अमेठी का कांग्रेसी तिलस्म टूट गया और लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी के रूप में स्मृति ईरानी ने अमेठी में अपना परचम लहरा दिया। लोकसभा में भाजपा प्रदेश में भाजपा और केन्द्रीय मंत्री सांसद के रूप में ,उम्मीद का दिया स्थानीय लोगो के मन में जला था लेकिन उम्मीद पूरी नही हो सकी। क्या 2023 में इस समस्या से लोगो को निजात मिल पायेगी यह एक गंभीर सवाल है। आखिर अब लोग किससे उम्मीद लगायें।

                        
                                
                                
                                
                            
                            